Nepal: मेनका गांधी ने नेपाल के उपराष्ट्रपति को पत्र लिखा, गढ़ीमाई मेले में शामिल न होने की अपील

Nepal: भारत की पूर्व महिला एवं बाल विकास मंत्री मेनका गांधी ने नेपाल के उपराष्ट्रपति रामसहाय प्रसाद यादव को पत्र लिखकर बारा जिले के गढ़ीमाई में हर पांच साल में लगने वाले मेले में न शामिल होने की अपील की है। उन्होंने यह आग्रह इसलिए किया है, क्योंकि इस मेले में पशु बलि का कार्यक्रम आयोजित किया जाता है।

भारत में पशु अधिकार के लिए लंबे समय से कार्य कर रही मेनका गांधी के प्रेस सलाहकार दिनेश यादव ने गढ़ीमाई मेले में पशु बलि कार्यक्रम के पूर्व यह पत्र लिखे जाने की जानकारी दी है। गढ़ीमाई में जिस स्थान पर मेला लगेगा, वह उपराष्ट्रपति यादव का गृह क्षेत्र है। इस मेले के उद्घाटन के लिए 7 दिसंबर को नेपाल के उपराष्ट्रपति बतौर प्रमुख अतिथि जाने वाले हैं। मेनका गांधी की ओर से उपराष्ट्रपति यादव को लिखे पत्र में नेपाल के सर्वोच्च न्यायालय की ओर से सन 2019 में दिए गए आदेश का हवाला देकर कार्यक्रम में शामिल न होने का अनुरोध किया गया है। गांधी ने पत्र भेज कर कहा कि अगर वह संगठित और दर्दनाक तरीके से जानवरों की सामूहिक बलि देने की परंपरा के दौरान मौजूद रहते हैं तो इससे उन गतिविधियों को बढ़ावा मिलता है, जो उनके देश के सुप्रीम कोर्ट के आदेश के खिलाफ हैं।

दरअसल, नेपाल के सुप्रीम कोर्ट ने 2019 में पशु बलि को तुरंत रोकने से इंकार कर दिया था, लेकिन आदेश दिया था कि गढ़ीमाई मेले के दौरान होने वाले पशु बलि को धीरे-धीरे कम किया जाए। हालांकि, कोर्ट का कहना था कि यह धार्मिक मान्यताओं से जुड़ा मामला है, इसलिए इससे जुड़े लोगों की धार्मिक भावनाओं को आहत नहीं किया जा सकता है। हालांकि, इस आदेश के बाद भी उसी वर्ष लगभग 2.5 लाख पुश पक्षियों की बलि दी गई। गांधी ने पत्र में कहा कि मैं नेपाल की सांस्कृतिक परंपराओं का सम्मान करती हूं, लेकिन साथ ही हमें मानव की संवेदनशीलता और करुणा के हमारे मूल सिद्धांत की देखभाल करने की वैश्विक सहमति को भी स्वीकार करना चाहिए, जो हमारी सभ्यता को दर्शाता है।

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गढ़ीमाई मेला गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में भी सबसे अधिक सामूहिक बलि प्रथा के रूप में दर्ज है। यहां सबसे पहले बनारस के डोम राज के यहां से आने वाले 5100 पशुओं की बलि दी जाती है। करीब एक महीने तक चलने वाले इस मेले में नेपाल और भारत से प्रत्येक दिन करीब 5 लाख से अधिक दर्शनार्थी आते हैं। भारत और नेपाल के लोगों की इस मंदिर के प्रति अगाध श्रद्धा है और मान्यता यह है कि अपनी मनोकामना पूरी होने पर लोग यहां पर पशु बलि देते हैं। इस वर्ष 4 से पांच लाख तक पशु बलि होने और दस दिनों तक चलने वाले मेले में प्रत्येक दिन 10 लाख श्रद्धालुओं के आने का अनुमान है।

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