Prayagraj: कुम्भ में दान देने की भावना हिन्दू समाज की आस्था है – डॉ. कृष्ण गोपाल
Prayagraj: महाकुम्भ नगर(प्रयागराज), 05 जनवरी (हि.स.)। महाकुम्भ मेला में लोग देने की भावना से आते हैं। हिन्दू समाज की यह आस्था है। जो यह बोध करा देती है कि मेरे पास जो कुछ है वह परमात्मा का है, हमारा कुछ नहीं है। इसीलिए राजा हर्ष यहां जब आते थे तो अपना सब कुछ दान कर देते थे। यहां तक कि अपने कपड़े भी दे देते थे। उनकी बहन घर से कपड़े लाती थीं, तब वह यहां से पहन कर जाते थे।
यह विचार बतौर मुख्य वक्ता राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह सरकार्यवाह डॉ. कृष्ण गोपाल ने रविवार को महाकुम्भ क्षेत्र के सेक्टर-6 स्थित बजरंग दास मार्ग पर ‘नेत्र कुम्भ’ के उद्घाटन अवसर पर व्यक्त किए। उन्होंने इतने बड़े आयोजन पर खुशी व्यक्त करते हुए कहा कि इस नेत्र कुम्भ में लगभग 250ं संस्थाएं हैं, जो मिलकर काम कर रही हैं। ऐसे कई लोग साथ हैं, जिनमें हिन्दुत्व के भाव हैं। हमारे देश में क्षमता है, सामर्थ्य है। उन्होंने यह भी कहा कि एक समस्या है, मिलकर काम करने का अभ्यास नहीं है, जो अब धीरे-धीरे दूर हो रहा है।
डॉ. कृष्ण गोपाल ने कहा कि हमारे देश में एक करोड़ के लगभग लोग दृष्टि से बाधित हैं। इलाज के अभाव में वह ज्यादा परेशान हो जाते हैं। ऐसे लोगों के लिए सक्षम का उठाया गया यह कदम सराहनीय है। उन्होंने कहा कि हमारा शरीर पूर्ण होने पर दूसरों के काम आ सकता है। यहां ठीक से संचालन न होने कारण लोगों में जागरूकता का अभाव है। यदि जागरूकता आ जाये तो हमारे भारत का एक भी व्यक्ति दृष्टि बाधित नहीं होगा।
उन्होंने बताया कि पिछले नेत्र कुम्भ के दौरान लगभग 11 हजार चश्मा लोग किसी कारणवश नहीं ले गये थे। जिसे कुम्भ के बाद उनके पते पर चश्मा भेजा गया। उन्होंने कहा कि हमारे भारत में ‘सर्वे भवन्तु सुखिनः’ का भाव सब में रहता है। यह भाव पशु-पक्षी, पृथ्वी, नदी आदि सभी में है। अंत में उन्होंने कहा कि देश में समस्याओं को सभी धीरे-धीरे मिलकर दूर करेंगे। सभी लोग हिन्दू समाज के लिए ऐसा उदाहरण प्रस्तुत करें जो अन्य के लिए प्रेरक हो।
जूना अखाड़ा के महामंडलेश्वर अवधेशानंद गिरि ने कहा कि भगवान के दो नेत्र हैं, सूर्य और चन्द्रमा। सूर्य बुद्धि का और चन्द्रमा मन का स्वामी होता है। हमारे पास जो है, दान करना चाहिए। उन्होंने कहा कि पूरे देश में नेत्र कुम्भ में दिखाये जाने वालों मरीजों के आपरेशन निःशुल्क होंगे। यहां जो दूर-दराज से आयेंगे, यदि उन्हें इसकी आवश्यकता पड़ी तो उसे पूरा किया जायेगा। ऐसी व्यवस्था नेत्र कुम्भ में की गयी है। अंत में उन्होंने कहा कि ऐसे कार्यक्रम से मैं बहुत आह्लादित हूं।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए सक्षम के राष्ट्रीय अध्यक्ष गोविंद राज ने कहा कि मानव जीवन के विकास में आंखों का बहुत बड़ा योगदान है। यदि आंखें सही हैं तो जीवन गतिशील रहता है। आर्थिक समृद्धि बढ़ती है। अन्यथा जीवन में अंधेरा छा जाता है। सक्षम के राष्ट्रीय संगठन मंत्री चंद्रशेखर ने बताया कि नेत्र कुम्भ के दौरान करीब पांच लाख नेत्र रोगियों के आंखों का इलाज और तीन लाख चश्मा वितरण का लक्ष्य निःशुल्क रखा गया है। उन्होंने कहा कि देश में करीब सवा करोड़ लोग पूर्ण अंधत्व या किसी न किसी प्रकार के गम्भीर नेत्र रोग के शिकार हैं। इनमें से बड़ी संख्या में लोगों को कार्निया की खराबी के कारण दिखाई नहीं देता। पैसे के अभाव में वह ठीक से इलाज नहीं करा पाते। ऐसे लोगों के लिए सभी व्यवस्थाएं निःशुल्क हैं। मरीजों को उनके घर के समीप स्थित अस्पताल में आपरेशन की सुविधा उपलब्ध करायी जायेगी। इतना ही नहीं आंखों के अलावा अन्य बीमारियों के लिए भी ओपीडी संचालित की जायेगी।
इसके पूर्व मुख्य वक्ता आरएसएस के सह सरकार्यवाह डॉ कृष्ण गोपाल, महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरि, सक्षम के राष्ट्रीय अध्यक्ष गोविंद राज, संगठन मंत्री चन्द्रशेखर, इस्कॉन के निदेशक गौरांग दास प्रभु, प्रवीण भाई वसानी ने दीप प्रज्ज्वलित कर ‘नेत्र कुम्भ’ का उद्घाटन किया।
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इस अवसर पर नेत्र कुम्भ आयोजन समिति के महासचिव सर्वज्ञ राम मिश्र, कविन्द्र प्रताप सिंह, डॉ. एसपी सिंह, सक्षम के राष्ट्रीय महासचिव उमेश पंधारे, सक्षम के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष डॉ कमलाकांत, डॉ. कमलाकर सिंह, डॉ. एसपी सिंह, आयोजन समिति की मीडिया को-आर्डिनेटर डॉ. कीर्तिका अग्रवाल एवं अन्य पदाधिकारी सहित आरएसएस के तमाम पदाधिकारी उपस्थित रहे।