लखनऊ: आत्महत्या मामले में दोहरा मापदण्ड अपना रहा है पुलिस प्रशासन

लखनऊ। विगत दिनों आत्महत्या के दो मामलो में यूपी पुलिस का दोहरे मापदंड अपनाने की बात सामने आई है। हालांकि पुलिस अधिकारी यह नहीं मानते हैं। उनका कहना हैं कि विवेचना में आए तथ्यों के आधार पर करवाई हुई है। मामला अयोध्या में बैंक अधिकारी श्रद्धा गुप्ता और लखनऊ के अलीगंज निवासी विशाल सैनी से जुड़ा हुआ है। जहां श्रद्धा गुप्ता प्रकरण में पुलिस ने एक आईपीएस समेत तीन लोगों पर आत्महत्या हत्या के लिए उकसाने का मुकदमा दर्ज किया है।

वहीं विशाल सैनी मामले में आत्महत्या के लिए उकसाने या बाध्य करने के आरोपों से घिरीं एडीएसीपी उत्तरी (आईपीएस) प्राची सिंह पर पुलिस विभाग मेहरबान रहा। सूत्रों के मुताबिक यह दोहरा मापदंड इसलिए है कि विशाल संविदा पर काम करने वाला एक छोटा कर्मचारी था, जबकि श्रद्धा बैंक अधिकारी थी। इसके अलावा विशाल एक साधारण परिवार से जुड़ा था जिसका कोई राजनीतिक रसूख से जुड़े व्यक्ति से कोई संबंध नहीं था।
सूत्रों का कहना है कि विशाल आत्महत्या मामले की स्थिति काफी गंभीर इसलिए है कि पुलिस आज तक यह साबित ना कर सकी कि जिस दिन पुलिस ने स्पॉ पर छापा मारा था। उस दिन विशाल वहां था कि नहीं। इधर इसी तरह के मामले में आयोध्या पुलिस ने बरामद सुसाइड नोट में अयोध्या के पूर्व एसएसपी आशीष तिवारी, सिपाही अनिल रावत और श्रद्धा के मंगेतर विवेक गुप्ता को उसकी मौत का जिम्मेदार ठहराया गया था। उसी आधार पर आईपीएस आशीष तिवारी समेत तीनों पर मुकदमा दर्ज किया गया।

पूर्व आईपीएस अमिताभ ठाकुर जा चुके हैं जेल

बीते 27 अगस्त को भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) के पूर्व अधिकारी अमिताभ ठाकुर को हजरतगंज कोतवाली पुलिस ने एक दुष्कर्म पीड़िता और उसके सहयोगी को आत्महत्या के लिए उकसाने समेत कई गंभीर आरोपों में गिरफ्तार कर जेल भेज था। पुलिस ने अमिताभ ठाकुर को उनके गोमतीनगर स्थित आवास से गाउ़ी में खींच कर हजरतगंज कोतवाली लाई थी। जिस पर उनकी पत्नी सामाजिक कार्यकर्ता नूतन ठाकुर ने पुलिस पर अभद्रता का आरोप लगाते हुए मानवाधिकार आयोग में शिकायत की थी।

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