Sandeep Ghosh in division bench: डिवीजन बेंच में संदीप को राहत, जल्दबाजी में मुकदमा दफन नहीं करेंगे- हाई कोर्ट

Sandeep Ghosh in division bench: कलकत्ता हाई कोर्ट की डिवीजन बेंच ने आर.जी. कर अस्पताल में वित्तीय अनियमितताओं के मामले में संदीप घोष और अन्य आरोपितों को राहत दी है। कोर्ट ने कहा कि चार्ज गठन से पहले आरोपितों को समय दिया जाएगा और जल्दबाजी में मुकदमा खत्म करने का प्रयास नहीं किया जाएगा। इस मामले की अगली सुनवाई शुक्रवार को होगी, जिसमें चार्ज गठन की तारीख तय हो सकती है।

सीबीआई ने इस घोटाले में चार्जशीट दाखिल कर दी है, जिसमें अस्पताल के पूर्व प्रधानाचार्य संदीप समेत कई लोगों के नाम शामिल हैं। हाई कोर्ट की सिंगल बेंच ने सीबीआई को निर्देश दिया था कि वह सात दिनों के भीतर चार्ज गठित करे। यह समय सीमा गुरुवार को समाप्त हो रही थी, लेकिन संदीप और अन्य आरोपितों ने चार्ज गठन की प्रक्रिया को धीमा करने की अपील की थी।

इससे पहले, सिंगल बेंच ने उनकी अर्जी को दो बार खारिज कर दिया था। इसके बाद यह मामला हाई कोर्ट के जस्टिस जॉयमाल्य बागची और जस्टिस शुभेंदु सामंत की डिवीजन बेंच के पास गया। बेंच ने सीबीआई की जल्दबाजी पर सवाल उठाया और कहा कि बिना उचित समय दिए चार्ज गठन करना उचित नहीं होगा।

कोर्ट ने कहा कि नए कानून के अनुसार, चार्जशीट दाखिल होने के बाद चार्ज गठन से पहले आरोपितों को अधिकतम 60 दिनों तक का समय मिल सकता है। लेकिन इस मामले में इतनी छूट नहीं दी जा रही है। जस्टिस बागची ने कहा कि यह अदालत मुकदमे को अनावश्यक रूप से लंबा नहीं खींचना चाहती, लेकिन आरोपितों को उनका कानूनी अधिकार मिलना चाहिए। जरूरत पड़ी तो हाई कोर्ट, अलीपुर अदालत की सुनवाई की निगरानी करेगा।

कोर्ट ने मौखिक रूप से कहा कि आरोपितों को कम से कम 14 दिन का समय दिया जाना चाहिए ताकि वे चार्जशीट पढ़ सकें और मुकदमे से राहत पाने के लिए आवेदन कर सकें। हाई कोर्ट ने यह भी कहा कि तीन सप्ताह बाद मामले की फिर से सुनवाई होगी और सीबीआई को यह बताना होगा कि चार्ज गठित होने के बाद अभियुक्तों को राहत मांगने का मौका कब मिलेगा।

इस बीच, अलीपुर अदालत में संदीप और अन्य आरोपितों ने मुकदमे से राहत पाने के लिए याचिका दायर की है। हाई कोर्ट की टिप्पणी गुरुवार को अलीपुर अदालत को भी भेजी गई, जिसके बाद वहां के जज ने कहा कि शुक्रवार को इस पर सुनवाई होगी।

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हाई कोर्ट में शुक्रवार को इस मामले की अगली सुनवाई होगी, जिसमें अभियोजन और बचाव पक्ष की दलीलें सुनी जाएंगी और चार्ज गठन की अंतिम तारीख तय की जा सकती है।

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