करोड़ों की रूपयों की वसूली में बन गये अरबों के मालिक, सपा सरकार में गायत्री की बोलती थी तूती

लखनऊ। गैंगरेप व पॉक्सो एक्ट के मामले में उम्रकैद की सजा पाये गायत्री प्रसाद प्रजापति का जलवा अखिलेश सरकार में सातवें आसमान पर था। एक से बढ़कर एक खनन माफिया उनके दरबार में हाजिरी लगाने वसूली की रकम के साथ जाते थे। वह पहली बार विधायक 2012 में बने उसके बाद मंत्री बनते ही उनकी कमायी इतनी बढ़ी की वह अरबों के मालिक बन गये।

गायत्री को राजनीति का चस्का काफी पहले से था, वह 1993 में पहली बार बहुजन क्रांति दल के टिकट पर अमेठी से विधानसभा चुनाव लड़े और कुल 1526 वोट हासिल किया। इसके बाद 1996 मेें उन्हें समाजवादी पार्टी ने अमेठी से टिकट दिया और चुनाव में 25112 वोट पाकर वे तीसरे नंबर पर रहे। 2002 में सपा ने अमेठी विधानसभा क्षेत्र से फिर उन्हें अपना प्रत्याशी बनाया। इस चुनाव में भी 21764 वोट पाकर वे तीसरे स्थान पर रहे। लगातार तीन चुनाव हारने व राजनीति में गहरी पैठ बनाने के बाद गायत्री ने प्रॉपर्टी के क्षेत्र में भाग्य आजमाना शुरू किया। यह क्षेत्र भी उनके लिए मुफीद साबित हुआ। 2002 से 2012 के चुनाव तक गायत्री तकरीबन क्षेत्र से नदारद रहकर अपनी आर्थिक स्थिति मजबूत करने में जुटे रहे।

सपा ने दिया 2012 में टिकट, बाद में बने मंत्री
2012 में सपा ने एक बार फिर उन्हें अपना प्रत्याशी बनाया। टिकट मिला तो गायत्री अपनी मजबूत आर्थिक स्थिति के बल पर लोगों को साधने में सफल रहे। 2012 में गायत्री प्रजापति को 58,434 वोट मिले। गायत्री पहली बार चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचे तो मुलायम सिंह यादव की कृपा से उन्हें मंत्री पद से नवाजा गया। मंत्री बनने के बाद न सिर्फ गायत्री का प्रभाव बढ़ा बल्कि आर्थिक रूप से भी धन कुबेर की श्रेणी में शुमार होने लगे।

कई शहरों तक फैला आर्थिक साम्राज्य
विधायक व मंत्री बनने से पहले अमेठी व लखनऊ में आर्थिक गतिविधि संचालित करने वाले गायत्री मंत्री बने तो मुड़कर पीछे नहीं देखा। पहले सिंचाई व बाद में भू-तत्व एवं खनिकर्म मंत्री बनने वाले गायत्री का आर्थिक साम्राज्य उनके मंत्री रहते-रहते देश की राजधानी दिल्ली से लेकर आर्थिक राजधानी मुंबई तक फैल गया।

18 फरवरी 2017 को लखनऊ के थाने में दर्ज हुआ था केस
इस मामले की रिपोर्ट चित्रकूट की रहने वाली महिला ने 18 फरवरी 2017 को लखनऊ के गौतम पल्ली थाने पर दर्ज कराई गई थी। महिला ने आरोप लगाया कि उसे नौकरी दिलाने और घर पर काम करने के बहाने लखनऊ लाया गया था। यहां गायत्री और उसके सहयोगियों ने उसके साथ सामूहिक दुराचार किया। वर्ष 2014 से जुलाई 2016 तक उसका शारीरिक शोषण किया जाता रहा। वह सब कुछ सहती रही लेकिन जब इन लोगों ने उसकी 16 साल की बेटी से भी दुष्कर्म करने का प्रयास किया तो वह चुप नहीं बैठी।

महिला का आरोप है कि आरोपियों ने उसे खनन का काम और नौकरी दिलाने के नाम पर लखनऊ बुलाया और अलग-अलग स्‍थानों पर ले जाकर उसके साथ रेप किया। महिला का आरोप है कि घटना की विस्तृत शिकायत पुलिस महानिदेशक से भी की गई थी पर कोई कार्रवाई न होने पर सुप्रीम कोर्ट के सामने विशेष अनुमति याचिका दाखिल की गई। जिस पर रिपोर्ट दर्ज करने का आदेश हुआ।

खुद को बचाने के गायत्री सारे जतन हुए फेल
चित्रकूट की इस पीड़िता से समझौते के लिये गायत्री और उनके परिचितों ने पूरा जोर लगा दिया था लेकिन पीड़ि‍ता अपनी जिद पर अड़ी रही। गायत्री की गिरफ्तारी के बाद ही उस पर बयान बदलने के लिये दबाव बनाया गया लेकिन वह किसी से नहीं मानी। इतना ही नहीं उसने यह आरोप भी लगाया था कि गायत्री को सपा सरकार में पहले बचाने का पूरा प्रयास किया गया था। जब मामले ने काफी तूल पकड़ा और वह सुप्रीम कोर्ट तक गयी तब सरकार को भी पीछे हटना पड़ा।

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