यूपी के छह लाख किसानों के लिए ‘आपदा’ बने राहत अफसर, जानें कैसे?
लखनऊ। विधानसभा चुनाव में किसान बड़ा मुद्दा हैं। सरकार से लेकर विपक्ष उनकी हर सेवा में हाजिर नजर आ रहा है। इसलिए सरकार ने बाढ़ पीड़ितों के लिए खजाना खोल दिया, लेकिन आपदा राहत विभाग के अफसर उस पर कुंडली मारकर बैठ गए। प्रदेश के छह लाख किसान सिर्फ उनकी लापरवाही की वजह से आपदा राहत की राशि नहीं पा सके हैं। यह किसान सरकार से नाराज हैं, ये हालात सरकार को भारी पड़ सकते हैं।
प्रदेश में बेमौसम बारिश, ओलावृष्टि और बाढ़ से किसानों की लहलहाती फसल बर्बाद हो गई। योगी सरकार ने तुरंत बर्बाद हुई फसल की क्षतिपूर्ति देने का ऐलान कर दिया। मुआवजे के लिए अब तक 11.44 लाख किसानों का आवेदन भी जिलों से स्वीकृत होकर आ गया। जिसके लिए शासन ने 3.77 अरब की धनराशि भी स्वीकृत कर दी।। शासन ने किसानों के खातों में यह रकम भेजने की ताकीद भी कर दी। बावजूद इसके अभी तक 5.5 लाख किसानों के खातों में ही यह राशि भेजी जा सकी है।
इस तरह जारी हुआ बजट
हाल में राज्य सरकार ने 29 जिलों में बाढ़ और बारिश से प्रभावित 2.98 लाख किसानों के लिए 102.63 करोड़ रुपये की धनराशि और आवंटित की है। इससे पहले राजस्व विभाग विभाग 52 जिलों के 8.25 लाख किसानों के लिए पांच किस्तों में कुल 282.09 करोड़ रुपये की धनराशि दे चुका है। बचे हुए 2.98 लाख किसानों के लिए अब 102.63 करोड़ रुपये की धनराशि और दी गई है। इस तरह कुल मिलाकर राज्य आपदा मोचक निधि से 377.41 करोड़ रुपये निर्गत किए जा चुके हैं।
गुस्से में हैं किसान
अफसरों की लापरवाही का गुस्सा किसान सरकार पर उतार रहे हैं। भारतीय किसान यूनियन (भानू) के प्रदेश प्रवक्ता मनोज नागर ने कहा कि जो सरकार डीएपी उपलब्ध नहीं कर पा रही वो किसानों को क्षतिपूर्ति क्या दे पाएगी। मुझे आज तक किसान सम्मान निधि का एक भी पैसा नहीं मिल पाया। सरकार पहले खाद उपलब्ध कराएं ताकि फसल की बुआई हो पाए।
फोन नहीं उठाते राहत विभाग के अफसर
सरकार भले ही आपदा राहत विभाग के अफसरों पर यकीन करती हो, लेकिन इन अफसरों का यकीन अपनी जवाबदेही पर नहीं है। यही वजह है कि आपदा राहत विभाग का केंद्रीय कंट्रोल रूम तक का फोन नहीं उठता। न ही अपर मुख्य सचिव व सचिवों का फोन ही रिसीव होता है।