हिंदू हित ही राष्ट्रहित, यही होनी चाहिए पहली प्राथमिकता : मोहन भागवत

हैदराबाद। आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने कि हिंदू इतने सक्षम हैं कि किसी के पास उनके खिलाफ खड़े होने की ताकत नहीं है। हिंदू समुदाय किसी के प्रति विरोधी नहीं है। बता दें कि भागवत बुधवार को हैदराबाद में संत श्री रामानुजाचार्य की जयंती समारोह में भाग लेने के बाद एक सभा को संबोधित कर रहे थे।इस दौरान उन्होंने कहा, ‘हमारे पास इतना सामर्थ्य है कि किसी के पास हमारे सामने खड़े रहने की ताकत नहीं है।’ उन्होंने ये भी कहा कि हिंदू समाज किसी का विरोधी नहीं है। भागवत ने आगे कहा, ‘हम सदियों से कायम हैं और फलते-फूलते रहे हैं। जिन लोगों ने 1,000 वर्षों तक हिंदुओं को नष्ट करने की कोशिश की, वे अब दुनिया भर में आपस में लड़ रहे हैं।उन्होंने कहा कि कुछ लोगों के डर का एकमात्र कारण यह है कि वे भूल गए हैं कि वे कौन हैं। ‘उन्होंने हमें खत्म करने की कोशिश की, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। आज भी भारत के ‘सनातन’ धार्मिक जीवन को यहां देखा जा सकता है। इतने अत्याचारों के बावजूद, हमारे पास ‘मातृभूमि’ है। हमारे पास बहुत सारे संसाधन हैं। तो हम क्यों डरते हैं? क्योंकि हम खुद को भूल जाते हैं। स्पष्ट कमजोरी का कारण यह है कि हम जीवन के प्रति अपने समग्र दृष्टिकोण को भूल गए हैं।भागवत ने आगे कहा, ‘हमलों और क्रूर अत्याचारों को झेलने के बावजूद देश में हमारी संख्या आज 80 प्रतिशत है। देश पर शासन करने वाले और राजनीतिक दलों को चलाने वालों में अधिकतर हिंदू हैं। यह हमारा देश है और आज भी यहां हमारे मंदिर हैं और बन भी रहे हैं। हमारी परंपराओं ने हमें जो सिखाया वह स्थायी है।उन्होंने कहा कि स्वयं, परिवार, पंथ, जाति, भाषा और अन्य पहचान के हितों से ऊपर राष्ट्रीय हित को पहली प्राथमिकता दी जानी चाहिए। ‘हिंदू हित यानी राष्ट्रहित’ पहली प्राथमिकता होनी चाहिए और इसी तरह हम एक मजबूत और सक्षम राष्ट्र होंगे और फिर कमजोरी के किसी भी विचार को छोड़ देंगे।

Related Articles

Back to top button