हवन यज्ञ का हुआ आयोजन, विशाल भंडारा आज

वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ किया गया हवन यज्ञ 

उन्नाव। सिविल लाइंस स्थित श्री बालाजी हनुमान मंदिर में हनुमान जयंती के पावन पर्व पर हर वर्ष परंपरागत तरीके से चार दिवसीय भव्य कार्यक्रम का आयोजन किया जाता है। शुक्रवार को चार दिवसीय कार्यक्रम के तृतीय दिवस पर हवन यज्ञ का आयोजन किया गया। सैकड़ो भक्तों की उपस्थिति में वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ हवन यज्ञ किया गया। वैदिक मंत्रोच्चारण के बीच संपन्न हुए हवन यज्ञ में मन्दिर भक्तों ने भी आहुतियां दी। हवन यज्ञ के बाद सभी को प्रसाद वितरण किया गया। मंदिर प्रांगण में मौजूद भक्तों को हवन यज्ञ का महत्व बाताते हुए महन्त गोपाल कृष्ण त्रिपाठी ने बताया कि हिंदू धर्म में कई सारी परंपराएं सदियों से चली आ रही हैं। इन्हीं में से एक है, यज्ञ और हवन। रामायण और महाभारत में भी यज्ञ और हवन का उल्लेख किया गया है। अग्नि के माध्यम से ईश्वर की उपासना करने की प्रक्रिया को हवन या यज्ञ कहते हैं। माना जाता है कि यह हमारे जीवन में सकारात्मकता लेकर आता है।धर्म ग्रंथों के के अनुसार, यज्ञ और हवन कराने की परंपरा सनातन काल से चली आ रही है। हवन को आज भी उतना ही शुभ फलदायी माना जाता है जितना कि पहले। माना जाता है कि हवन, यज्ञ के बिना कोई भी पूजा, मंत्र जप पूर्ण नहीं हो सकता। सनातन काल से यज्ञ और हवन की परंपरा चली आ रही है। हवन को हिंदू धर्म में शुद्धिकरण का एक कर्मकांड माना गया है। हवन के जरिए आसपास की बुरी आत्माओं के प्रभाव को खत्म किया जाता है। हवन कुंड में अग्नि के माध्यम से देवता को हवि ( भोजन ) पहुंचाने की प्रक्रिया है।कहा जाता है कि वायु को शुद्ध करने के लिए हवन, यज्ञ किया जाता है। स्वास्थ्य एवं समृद्धि के लिए भी हवन किया जाता है। अग्नि में जब औषधीय गुणों वाली लकड़ियां और शुद्ध गाय का घी डालते हैं तो उसका प्रभाव सुख पहुंचाता है। माना जाता है कि हवन के धुएं का वातावरण पर असर लंबे समय तक बना रहता है और इस अवधि में जहरीले कीटाणु नहीं पनप पाते। घर के द्वार में अगर वास्तु दोष है तो सूर्य के मंत्र के साथ हवन करना शुभ माना जाता है। मंदिर भक्तों में प्रमुख रूप से अंशुल यादव, अंजू यादव, बबिता, अवनींद्र, सुधीर, शिवानी, रीता, बबिता, सूरज, शिवा, शिवकुमार, गुड़िया, प्राची, नयनशी, बिटान, बेबी, शिया दुलारी, प्रत्यूष, नमन, उमा, राहुल आदि लोग उपस्थित रहे।

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