कर्नाटक में सघन चुनाव प्रचार के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने करीब 3,000 लोगों से किया संवाद
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कर्नाटक विधानसभा चुनाव में पिछले सात दिनों में डेढ़ दर्जन जनसभाओं को संबोधित किया और आधा दर्जन के करीब रोड शो किए, लेकिन उनके इस चुनाव प्रचार एक कम ज्ञात पहलू यह रहा कि उन्होंने इस दौरान लगभग 3,000 लोगों के साथ मुलाकात भी की, जिनमें पार्टी के पुराने व नए कार्यकर्ताओं के साथ समाज के प्रबुद्ध लोग भी शामिल था।
सूत्रों ने कहा कि उन्होंने रविवार को अपने प्रचार अभियान के अंतिम दिन लगभग 430 लोगों से मुलाकात की, जबकि एक दिन पहले उन्होंने लगभग 450 लोगों के साथ संवाद किया था। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ने रैलियों और उड़ान यात्राओं से पहले और बाद में लोगों से व्यक्तिगत रूप से मिलने का कार्यक्रम बनाया। सूत्रों ने बताया कि मोदी ने 5 मई को 300 से अधिक लोगों के साथ संवाद किया।
कुल मिलाकर, मोदी ने दक्षिणी राज्य में 18 रैलियों को संबोधित किया। उन्होंने 27 अप्रैल को डिजिटल माध्यम से पार्टी कार्यकर्ताओं से संवाद किया था। प्रधानमंत्री ने छह रोड शो का भी नेतृत्व किया, जिसमें तीन बेंगलुरु में और एक-एक मैसूर, कलबुर्गी और तुमकुरु में हुए। सूत्रों ने कहा कि प्रचार के दौरान उनसे मिलने वाले लोगों का चयन पार्टी कार्यकर्ताओं, पेशेवरों और शहर के प्रमुख नागरिकों के अच्छे मिश्रण को सुनिश्चित करने के लिए सावधानीपूर्वक किया गया था। उन्होंने अपनी एक ऐसी ही बातचीत के दौरान पद्म पुरस्कार विजेताओं से भी मुलाकात की थी।
उन्होंने कहा, ‘‘ये बातचीत काफी निजी होती है। पार्टी के सदस्यों के साथ उनकी बातचीत भी बहुत महत्वपूर्ण है। बहुत से लोग उन्हें उनके साथ अपनी पिछली बातचीत के बारे में बताते हैं। कुछ लोग उन्हें बताते हैं कि उनके पिता उनके साथ काम करते थे। अगर कोई पुराना सदस्य है, जिसे प्रधानमंत्री पहचानते हैं, तो उन्होंने उसके परिवारों के बारे में पूछताछ भी की।’’
सूत्रों ने कहा कि जब अनुभवी कार्यकर्ता मोदी के साथ अपनी पुरानी यादों को ताजा करते हैं, तो इससे पार्टी के साथ उनके बंधन को और मजबूत करने में भी मदद मिलती है। उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री से व्यक्तिगत रूप से मिलने वाले लोगों की तस्वीरें उस शहर में अक्सर वायरल होती रहती हैं। मोदी ने भाजपा के प्रचार अभियान का नेतृत्व किया है, क्योंकि वह राज्य में सत्ता बरकरार रखने के लिए हरसंभव प्रयास कर रही है।
कर्नाटक में 1985 के बाद से कोई सत्ताधारी पार्टी सत्ता में वापसी करने में विफल रही है। भाजपा ने इस मिथक को तोड़ने का भरोसा जताया है, जबकि विपक्षी कांग्रेस ने भी सत्ता में वापसी के लिए सघन प्रचार अभियान चलाया है। कर्नाटक विधानसभा के 224 सदस्यों के चुनाव के लिए मतदान 10 मई को होगा और मतगणना 13 मई को होगी।