370 हटने के बाद बदल गया कश्मीर; आतंकी हमले कम, पत्थरबाजी बंद,विकास और अमन चैन

मोदी सरकार ने जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 को हटा दिया था, जिसका लंबे समय से विवाद चल रहा था. इसके साथ ही जम्मू-कश्मीर और लद्दाख को अलग-अलग केंद्र शासित प्रदेश बनाया गया

5 अगस्त 2019 यानी आज से 4 साल पहले केंद्र की मोदी सरकार ने जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 को हटा दिया था, जिसका लंबे समय से विवाद चल रहा था. इसके साथ ही जम्मू-कश्मीर और लद्दाख को अलग-अलग केंद्र शासित प्रदेश बनाया गया. आर्टिकल 370 से जम्मू-कश्मीर राज्य को विशेष अधिकार मिल रखे थे, जैसे वहां कोई जमीन खरीद सकता था. हालांकि, अब 370 हटाने के बाद कश्मीर में काफी बदलाव हुआ है।

सरकार की ओर से लोकसभा में दी गई जानकारी के अनुसार, अभी तक जम्मू और कश्मीर के बाहर के 34 लोगों ने केंद्र शासित प्रदेश में संपत्ति खरीदी है. वहीं, जम्मू-कश्मीर में सऊदी अरब की तीन कंपनियां यहां भारी निवेश कर रही हैं.

बता दें कि जम्मू और कश्मीर से धारा 370 हटाए जाने के बाद वहां अब तक 890 केंद्रीय कानूनों को लागू किया गया है. इससे वहां की कानून व्यवस्था और कई नियम देश के अन्य राज्यों की तरह हो गए हैं.

पत्थरबाजी मे जबरदस्त आयी कमी

रिपोर्ट्स के अनुसार, साल 2016 में 2653 पत्थरबाजी की घटनाएं हुई थीं और 2017 में करीब 1400 घटनाएं हुई. वहीं 370 हटाने से पहले तक 2018 में 1500 और 2019 में करीब 2000 घटनाएं हुईं. लेकिन इसके बाद ये 255 रह गईं. इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि 90 फीसदी घटनाएं कम हो गई हैं. यानी अब कश्मीर शांति की ओर बढ़ रहा है.

विकास का हुआ काम

एक तो केंद्र सरकार की ओर से बजट आवंटन में कश्मीर का खास ध्यान रखा गया है. जैसे 28400 करोड़ रुपये औद्योगिक गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए बजट बनाया गया है. इसके साथ ही 2020-21 में उद्योगों के लिए 29030 हजार कैनाल लैंड बैंक बनाए गए हैं. इसके अलावा करीब 500 एमओयू निवेश को लेकर साइन हो चुके हैं और कई अटके प्रोजेक्ट पूरे किए जा रहे हैं और नए प्रोजेक्ट पर काम किया जा रहा है.

कश्मीर प्रवासी भी कश्मीर लौटे

आर्टिकल 370 हटाए जाने के बाद प्रधानमंत्री विकास पैकेज के तहत करीब 2105 प्रवासी कश्मीर घाटी वापस लौट आए हैं. अभ विकास पैकेज के जरिए लोगों को नौकरियां और रहने जैसी कई सुविधाएं दी जा रही है. 2020-21 में नियुक्तियों की संख्या 841 थी और 2021-22 में नियुक्तियों की संख्या 1264 थी.

जम्मू-कश्मीर से धारा 370 को खत्म हुए तीन साल पूरे हो गए हैं. आज से चार साल पहले केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर को खास दर्जा देने वाले धारा 370 को खत्म कर दिया था. केंद्र सरकार का दावा है कि तीन सालों में जम्मू-कश्मीर में काफी बड़े बदलाव आए हैं.

इसके खत्म होने के बाद अब जम्मू-कश्मीर भी देश के बाकी राज्यों जैसा हो गया है. पहले केंद्र सरकार का कोई भी कानून यहां लागू नहीं होता था, लेकिन अब यहां केंद्र के कानून भी लागू होते हैं. इतना ही नहीं, जम्मू-कश्मीर में कई समुदायों को कई सारे अधिकार भी नहीं थी, लेकिन अब सारे अधिकार भी मिलते हैं.

केंद्र सरकार ने 5 अगस्त 2019 को जम्मू-कश्मीर से धारा 370 को खत्म कर दिया था. इसके साथ ही जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में भी बांट दिया था. अब दोनों ही केंद्र शासित प्रदेश हैं. जम्मू-कश्मीर में विधानसभा है, जबकि लद्दाख में विधानसभा नहीं है. हालांकि, सरकार का कहना है कि सही समय आने पर जम्मू-कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा दे दिया जाएगा.

सड़को का बना जाल;आवागमन हुआ सुलभ

  • पहले जम्मू-कश्मीर में रोड कनेक्टिविटी सही नहीं थी. श्रीनगर से जम्मू जाने में 12 से 14 घंटे का वक्त लगता था. लेकिन अब श्रीनगर से जम्मू तक 6 से 7 घंटे में पहुंचा जा सकता है.
  • सरकार के मुताबिक, अगस्त 2019 से पहले हर दिन औसतन 6.4 किमी सड़क ही बन पाती थी, लेकिन अब हर दिन 20.6 किमी सड़क बन रही है. जम्मू-कश्मीर में सड़कों का जाल 41,141 किलोमीटर लंबा है.

केंद्र के कानून और योजनाएं लागू होने से जबरदस्त बदलाव हुआ

  • धारा 370 के कारण जम्मू-कश्मीर में पहले केंद्र के बहुत से कानून और योजनाएं लागू नहीं होती थीं. पहले केंद्र के कानून और योजनाएं लागू करने के लिए राज्य सरकार की मंजूरी जरूरी थी. लेकिन अब वहां केंद्रीय कानून और योजनाएं भी लागू हैं.
  • इस साल मार्च में जम्मू-कश्मीर का बजट पेश करते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बताया था कि धारा 370 हटने के बाद जम्मू-कश्मीर में केंद्र के 890 कानून लागू हो गए हैं. पहले बाल विवाह कानून, जमीन सुधार से जुड़े कानून और शिक्षा का अधिकार जैसे कानून लागू नहीं थे, लेकिन अब यहां लागू हैं.
  • इतना ही नहीं, जम्मू-कश्मीर में पहले महिलाएं अगर दूसरे राज्य के पुरुष से शादी करती थीं, तो उनके पति को मूल निवासी नहीं माना जाता था. लेकिन अब दूसरे राज्य के पुरुष जिन्होंने जम्मू-कश्मीर की महिलाओं से शादी की है, उन्हें भी यहां का स्थानीय निवासी माना जाता है.

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