इस दिवाली पर निकला चीन का दिवाला

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के  के वोकल फॉर लोकल  और आत्मनिर्भर भारत अभियान का असर इस दिवाली पर  दिखने लगा है। इसी लक्ष्य पर अमल करते हुए दिवाली  से पहले ही भारतीयों ने चाइना  का दिवाला निकाल दिया है। खबर है कि दिवाली से पहले चीन को बड़ा झटका लगा है और चीनी सामानों के बहिष्कार से ड्रैगन को अभी तक करीब 50 हजार करोड़ का नुकसान हुआ है।

कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स  की माने तो चाइना के  सामानों  के बहिष्कार के उसके आह्वान से चीन को इस त्योहारी सीजन में 50 करोड़ रुपये के व्यापार के नुकसान का अनुमान है जबकि इस दौरान घरेलू स्तर पर ग्राहकी बढ़ने से अर्थव्यवस्था में दो लाख करोड़ रुपये की संभावना है।

सबसे महत्वपूर्ण बदलाव यह है कि जब से प्रधानमंत्री ने बाहर की वस्तुओं की जगह अपने देश में निर्मित खास तौर पर शिल्पकारों और कुटिर उद्योगों में बनाई गई चीजों को खरीदने और उसको खरीदने के लिए अपने आस पास के लोगों को प्रेरित करने का आह्वान किया है तब से लोग चीनी सामान खरीदने में दिलचस्पी नहीं ले रहे हैं । इसके कारण भारतीय सामान की मांग बढ़ी है जबकि चीनी वस्तुओं की बिक्री में भारी गिरावट आई है।

कैट के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने कहा कि कैट की अनुसंधान शाखा, कैट रिसर्च एंड ट्रेड डेवलपमेंट सोसाइटी द्वारा कई राज्यों के 20 शहरों में किए गए एक हालिया सर्वेक्षण में पाया गया कि इस साल अब तक कई भारतीय व्यापारी या आयातकों ने चीन को इसे दिवाली पर पटाखों या अन्य सामानों का ऑर्डर नहीं दिया गया है और इस साल दिवाली को विशुद्ध रूप से भारतीय दिवाली के रूप में मनाया जाएगा।जिन 20 शहरों ने चीन को कोई आर्डर नहीं दिया है, वो हैं- नई दिल्ली, अहमदाबाद, मुंबई, नागपुर, जयपुर, लखनऊ, चंडीगढ़, रायपुर, भुवनेश्वर, कोलकाता, रांची, गुवाहाटी, पटना, चेन्नई, बेंगलुरु, हैदराबाद, मदुरै, पांडिचेरी, भोपाल और जम्मू।यानी लक्ष्मी- गणेश की मूर्ति हो या लाइट की लड़ियां, दिवाली में गिफ्ट के तौर पर देने वाले क्रॉकरी आइटम्स हों या देवी-देवताओं की तस्वीर या सीनरीज देश की जनता ने चीनी सामानों का बहिष्कार कर इस साल दिवाली को विशुद्ध रूप से हिंदुस्तानी दिवाली के रूप में मनाने का फैसला कर लिया है।

वाराणसी में प्रधानमंत्री ने आत्‍मनिर्भर स्‍वस्‍थ भारत योजना के शुभारंभ के बाद जनसभा को सम्‍बोधित करते हुए उन्‍होंने कहा था  कि हमें इस दिवाली में भी अपने स्‍थानीय कामगारों का ख्‍याल रखना है। हम जितना अधिक ‘वोकल फॉर लोकल’ होंगे, उतना ही हमारे परिवारों में खुशहाली आएगी। उन्‍होंने लोगों से धनतेरस से दिवाली तक स्‍थानीय उत्‍पादों की खरीदारी का आह्वान किया था । इसके साथ यह भी कहा कि लोकल का मतलब सिर्फ मिट्टी के दीये नहीं हैं।

भरतिया ने कहा कि हर साल राखी से नए साल तक के 5 महीने के त्योहारी सीजन के दौरान भारतीय व्यापारी और निर्यातक चीन से लगभग 70 हजार करोड़ रुपये का माल आयात करते हैं। लेकिन इस वर्ष राखी उत्सव के दौरान चीन को लगभग 5000 करोड़ रुपये का भारी नुकसान हुआ और गणेश चतुर्थी में 500 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ और यही प्रवृत्ति दिवाली में भी देखे जाने के बाद यह तय हो गया है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के वोकल फॉर लोकल और आत्म निर्भर भारत को लोगों का भरपूर साथ मिल रहा है। इसी का नतीजा है कि न केवल व्यापारी हैं जो चीनी सामानों का बहिष्कार कर रहे हैं बल्कि उपभोक्ता भी चीन से बने उत्पादों को खरीदने के इच्छुक नहीं हैं।

इस बार मुंबई में भी दिवाली पर  पर्यावरण के अनुकूल और भारत में बने उत्पादों का चलन दिख रहा है और मुंबईवासी शहर के कुछ प्रसिद्ध बाज़ारों में त्योहार के लिए ऐसी आवश्यक वस्तुएं खरीद रहे हैं, जो पर्यावरण के लिए हानिकारक नहीं हों। बाजारों में मोमबत्तियों से लेकर दीयों और रंगोलियों से लेकर लालटेनों तक दिवाली से संबंधित सामग्री की भरमार है और इस बार जोर भारत में बने उत्पादों पर है।

मुंबई के पश्चिमी उपनगर माहिम की एक गली को कंदील लेन के नाम से जाना जाता है। यह अपनी लालटेन की दुकानों के लिए जानी जाती है और रोशनी के त्योहार से पहले जगमग हो उठी है। विभिन्न आकारों, रंगों और शैलियों के लालटेन बेचने वाली दुकानों से सजी यह गली त्योहार के दौरान गुलजार रहती है।दुकानदारों के मुताबिक इस साल कपड़े, कागज और गत्ते से बने लालटेन की मांग ज्यादा है। लालटेन लेन में एक दुकानदार वैभव कहते हैं, “हम कागज और कपड़े से बने लालटेन बेचते हैं, क्योंकि ग्राहक यही चाहते हैं। प्लास्टिक और थर्माकोल से पर्यावरण पर पड़ने वाले दुष्प्रभावों के बारे में अधिक जागरूकता है, इसलिए लोग पर्यावरण-अनुकूल लालटेन खरीद रहे हैं। ”

दुकानदारों का कहना है कि लोग भारत में बने उत्पादों और स्थानीय उत्पाद खरीदना चाहते हैं। लेन की एक अन्य दुकानदार स्वाति कहती हैं, ”ग्राहक स्थानीय स्तर पर बनी वस्तुएं खरीदना चाहते हैं और चीन में निर्मित उत्पादों में उनकी रुचि नहीं है।” पर्यावरण-अनुकूल और भारत-निर्मित लालटेन के चलन से पता चलता है कि लोग पर्यावरण के बारे में जागरूकता बढ़ाकर खरीदारी कर रहे हैं।

धनतेरस जाकर आज दिवाली का  त्योहार दस्तक दे रहा  है। लेकिन बाजारों में इन त्योहारों को लेकर रौनक पहले से  ही छाई हुई है। माना जा रहा है कि इस बार दिवाली शॉपिंग के लिए बाजारों में और ज्यादा से ज्यादा  भीड़ उमरने वाली है। जिसके चलते उम्मीद है कि इस वर्ष दिवाली  पर 2।5 लाख रुपये की खरीदारी देखने को मिली सकती है। कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट ) के मुताबिक दिवाली की त्योहारी खरीद एवं अन्य सेवाओं के जरिये लगभग ढाई लाख करोड़ रुपये की नगदी बाजार में आने की उम्मीद है। कैट के राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीन खंडेलवाल के मुताबिक केंद्र सरकार के डीए में 4% की बढ़ोतरी और रेल कर्मचारियों को 78 दिनों के वेतन के बराबर बोनस देने का जबरदस्त फायदा मिलने वाला है क्योंकि इससे लोग खरीदारी करने के लिए प्रेरित होंगे जिसका फायदा व्यापारियों और अर्थव्यवस्था को मिलेगा। 


कैट के मुताबिक दिवाली उत्सव के कारोबार में डेढ़ लाख करोड़ रुपये से अधिक का कारोबार दर्ज करने की उम्मीद है तो दिवाली से संबंधित यात्राओं एवं अन्य सेवाओं के उपयोग पर  एक लाख करोड़ रुपये से अधिक खर्च होने की उम्मीद की जा रही है। इससे पहले ऑटोमोबाइल क्षेत्र के संगठन फाडा द्वारा हाल ही में जारी एक रिपोर्ट के अनुसार, नवरात्रि की अवधि के दौरान ऑटोमोबाइल की कुल खुदरा बिक्री में 57% की भारी वृद्धि हुई। ये आंकड़े इस बात की ओर संकेत कर रहे हैं कि इस त्योहारी सीजन में लोग भारतीय मालों जबरदस्त शॉपिंग कर रहे हैं। 

बताया जाता है कि 40 हजार से अधिक देश भर के व्यापारी संगठन भारत में ही बनी घर के सजावट के सामान, दिवाली पूजा के सामान जिसमें मिट्टी के दीये, देवता, दीवार पर लटकने वाले, हस्तशिल्प के सामान, देवी लक्ष्मी और श्री गणेश जी की पूजा का सामान, जो  स्थानीय कारीगरों, शिल्पकारों और कुशल कलाकारों द्वारा बनाई गई है उसे बड़ा बाजार देने का काम कर रहे है इससे भी चीन को भरी फटका लगा है ।

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