Loksabha Elections 2024: नतीजे के बाद क्या कहेगा विपक्ष ?

Loksabha Elections 2024: Congress, तृणमूल Congress, Samajwadi Party, राष्ट्रीय जनता दल समेत कई विपक्षी दलों ने लोकसभा चुनाव के मतदान के आखिरी और 7वें चरण की समाप्ति पर विभिन्न मीडिया संस्थानों के Exit Polls में Bhartiya Janta Party के अगुवाई वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन की प्रचंड जीत के अनुमान को मोदी मीडिया का पोल करार दिया है। Indi Alliance के नेताओं की बैठक के बाद कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे और अन्य नेताओं ने दावा किया वे सब मिलजुल कर 295 सीट से ज्यादा जीत रहे हैं। इस दावे को लगातार मीडिया पर दिखाया जाता रहा। साथ ही कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष की बौखलाहट भरी प्रतिक्रिया कि Exit Poll Modi Media का पोल है, को भी मीडिया में लगातार जगह मिलती रही।

सवाल यह है कि 4 जून को ये अनुमान नतीजों में बदल जाते हैं तो विपक्ष के नेताओं की प्रतिक्रिया क्या होगी? उसकी तै यारी भी पहले से ही कर ली गई है। हार का ठीकरा चुनाव आयोग और ईवीएम पर फूटना तय है। एग्जिट पोल सही साबित हो, यह पहले भी साबित हो चुका है। इस बार सभी एग्जिट पोल्स एनडीए की सरकार तीसरी बार बना रहे हैं। भाजपा के नेता एग्जिट पोल के बाद भी लगातार 400 पार का नारा लगा रहे हैं। सवाल एग्जिट पोल्स के सही या गलत साबित होने का नहीं है। कुछ एग्जिट पोल पहले भी गलत और सही साबित हुए हैं। एग्जिट पोल पर टिप्पणी करते हुए राहुल गांधी ने जिस तरह मीडिया पर टिप्पणी की है, वह उनकी बौखलाहट ही जाहिर करती है।

कांग्रेस ने तो एग्जिट पोल्स पर टीवी चैनलों पर बहस में हिस्सा लेने से इनकार कर दिया। बाद में उन्होंने यह फैसला बदल दिया। Rahul Gandhi और Conress के नेता शायद यह भूल गए कि 2023 के अंत में हुए Rajasthan, Chattisgarh, Madhya Pradesh और Telangana के विधानसभा चुनाव में Exit Poll कांग्रेस की सरकार बना रहे थे। इन चुनावों में भी कुछ एग्जिट पोल गलत और कुछ सही साबित हुए थे। जाहिर है आप Exit Polls पर सवाल उठा सकते हैं पर मीडिया को मोदी की मीडिया बताना पूरी तरह गलत है। लोकसभा चुनाव के दौरान मीडिया ने कुछ ऐसी खबरों को खूब बढ़ा-चढ़ा कर दिखाया, जिससे भाजपा को परेशानी हुई।

खासतौर पर Haryana, Punjab और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में किसानों के आंदोलन का भारी असर बताया गया। इसी तरह Gujarat, Rajasthan, Haryana और पश्चिम उत्तर प्रदेश में केंद्रीय मंत्री पुरुषोत्तम रूपाला की टिप्पणी को लेकर राजपूतों में भारी नाराजगी जताई। यह अलग बात है कि भाजपा के एक-दो राजपूत नेताओं को टिकट न मिलने पर राजपूतों की नाराजगी को बार-बार दिखाया गया। टीवी चैनलों पर बहस के दौरान कांग्रेस और अन्य विपक्षी दल के प्रवक्ता सही पक्ष रखने वाले पत्रकारों और राजनीतिक टिप्पणीकारों को मोदी समर्थक साबित करने पर तुले रहे।

कुछ चैनलों पर राजनीति से जुड़े लोगों को राजनीतिक विश्लेषक के तौर पर बुलाने के कारण पत्रकारों पर सवाल उठने भी थे। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी तो लगातार मीडिया ही निशाना साधते रहे। इसी तरह की तर्ज पर कांग्रेस के प्रवक्ता मीडिया को दोषी ठहराते रहे। टीवी चैनलों पर तय मुद्दे को नकारते हुए अपने मुद्दे पर बहस करने की जबरन सलाह देते रहे। ऐसा लग रहा था कि विपक्षी दलों के नेता मीडिया पर अपना एजेंडा थोपना चाहते थे। मीडिया के लोगों से जाति पूछी जाती रही। यह मीडिया की खुद की कमजोरी है कि बहुत बड़ा वर्ग चुप्पी साधे रहा। राहुल गांधी की टिप्पणी पर भी मीडिया जगत चुप्पी साधे बैठा है। केंद्र सरकार और BJP पर लगातार टिप्पणी करने वाले मीडिया संगठन इस मामले में एकदम चुप बैठे हैं।

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NDA के अलावा सभी दलों ने एग्जिट पोल के अनुमानों को पूरी तरह नकार दिया है। अनुमान किसी के भी खिलाफ हों, नकारना ही था। कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी ने भी नतीजों से एक दिन पहले एग्जिट पोल्स को नकार दिया। अब सवाल यही है कि विपक्षी दल नतीजों को लेकर क्या रवैया अपनाएंगे।

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