Muzaffarnagar Kaavad Yatra: “जनम जात मत पूछिए, का जात अरु पात। रैदास पूत सब प्रभु के,कोए नहिं जात कुजात- मंत्री मुख़्तार अब्बास नक़वी
Muzaffarnagar Kaavad Yatra: उत्तर प्रदेश में कांवड़ यात्रा को लेकर हर तरफ एक अलग उत्साह देखने को मिलता है, हमेशा वीडियोज सामने आते है कि कांवड़ यात्रा के दौरान गैर हिन्दू समुदाय कांवड़ियों पर पुष्प वर्षा करते या श्रृद्धालुओं के लिए पानी की व्यवस्था करते है। पर इस बार कांवड़ यात्रा से पहले मुजफ्फरनगर पुलिस के एक आदेश ने हर तरफ भारी बवाल मचा रखा है। इस आदेश के बाद देश में राजनीतिक हलचल मची हुई है, विपक्ष से लेकर सत्तारूढ़ दल तक हर तरफ इस आदेश की आलोचना होने लगी है। तो आखिर क्या है पूरा मामला और क्यों इस आदेश के बाद इतनी हाय तौबा मची हुई है आइये जानते है।
दरअसल कांवड़ यात्रा के रूट को लेकर मुजफ्फरनगर पुलिस ने एक आदेश जारी किया है जिसमें कांवड़ यात्रा मार्ग पर आने वाले दुकानों और ठेलों पर उनके मालिकों का नाम लिखने को कहा गया है। जिसके बाद कुछ फोटोज और वीडियोज भी सामने आये जिसमें साफ तौर पर दिखाई दे रहा है की दुकानों पर उनके मालिकों का नाम लिखा हुआ है। इस आदेश के बाद यूपी से लेकर केंद्र तक सियासी पारा बढ़ गया। सपा मुखिया अखिलेश यादव से लेकर कांग्रेस के बड़े बड़े नेताओं ने यूपी पुलिस के इस आदेश की आलोचना की। मुद्दा तब बढ़ गया जब इसे लेकर एनडीए के सहयोगियों ने भी नाराज़गी ज़ाहिर करनी शुरू कर दी। जेडीयू हो या आरएलडी सबने इस मामले पर रोष जताया।
बीजेपी के पूर्व केंद्रीय अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री मुख़्तार अब्बास नक़वी ने भी इस निर्देश को लेकर नाराजगी जाहिर की। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफार्म x पर एक पोस्ट करते हुए लिखा कि कुछ अति-उत्साही अधिकारियों के आदेश हड़बड़ी में गडबड़ी वाली ..अस्पृश्यता की बीमारी को बढ़ावा दे सकते हैं…आस्था का सम्मान होना ही चाहिए,पर अस्पृश्यता का संरक्षण नहीं होना चाहिए….”जनम जात मत पूछिए, का जात अरु पात। रैदास पूत सब प्रभु के,कोए नहिं जात कुजात।
हालाँकि इस पोस्ट के बाद लोगो ने नक़वी के कमेंट बॉक्स में अपनी अलग अलग प्रतिक्रियाएं देनी शुरू कर दी। लोगो ने उनको जमकर सुनाना शुरू कर दिया। जिसके एवज में पूर्व मंत्री ने एक और ट्वीट किया जिसमें उन्होंने लिखा, अरे ट्रोलर टट्टुओं…कांवड यात्रा के सम्मान, श्रद्धा का सर्टिफिकेट कम से कम मुझे तो मत बाटो, मेरा हमेशा मानना है कि “कोई भी आस्था असहिष्णुता,अस्पृश्यता की बन्धक नहीं होनी चाहिए”.
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इसके अलावा कांग्रेस के मीडिया और प्रचार विभाग के प्रमुख पवन खेड़ा ने इस आदेश पर नाराज़गी जाहिर करते हुए कहा कि यह मुसलमानों के आर्थिक बॉयकॉट की दिशा में उठाया कदम है या दलितों के आर्थिक बॉयकॉट का, या दोनों का, हमें नहीं मालूम। जो लोग यह तय करना चाहते थे कि कौन क्या खाएगा, अब वो यह भी तय करेंगे कि कौन किस से क्या ख़रीदेगा?