Unified Pension Scheme Truth: मोदी का मास्टर स्ट्रोक या बैकफुट पर बीजेपी.. क्या है UPS की पूरी सच्चाई?

Unified Pension Scheme Truth: देश के राजा को एक बार फिर प्रजा की याद आई है. दुनिया भर में लोकप्रियता के सभी पैमानों पर खरा उतरने के बाद मोदी जी को अपने सरकारी वेतनभोगियों के रिटायरमेंट की चिंता सताने लगी है. कल तक NPS का जपनाम करने वाली मोदी केबिनेट आज NPS यानि नेशनल पेंशन स्कीम की खामियां गिनाने में लगी है.

दरअसल लोकसभा चुनाव में अकेले दम पर 400 पार का दावा करने वाली बीजेपी EVM खुली तो २४० पर सिमट कर रह गई. सरकार तो जैसे तैसे बन गई अब वक्त वक्त डैमेज कंट्रोल का है. चुनाव के पहले और दरमियान ओल्ड पेंशन स्कीम को लेकर खूब हो हल्ला हुआ. मोदी सरकार से लेकर राज्यों में बीजेपी की डबल इंजन सरकारों पर कर्मचारी संगठनो ने खूब दबाव डाला मगर इसे भुनाया गैर भाजपाई सरकारों वाले राजस्थान हिमाचल छत्तीसगढ़ और पंजाब ने अब बीजेपी की बारी है. साल के आखिर में महाराष्ट्र झारखंड, हरियाणा और जम्मू कश्मीर में विधानसभा चुनाव हैं. हरियाणा और जम्मू कश्मीर में चुनाव की तारीखों का एलान भी हो गया है तो लीजिए हाज़िर है मोदी की पेंशन गारंटी UPS यानि यूनिफाइड पेंशन स्कीम जिसमे NPS की बुराई दूर कर OPS की अच्छाई मिलाई गई है, जिसके बाद जो रसायन तैयार हुआ है उसे नाम दिया गया है यूपीएस.

यूनिफाइड पेंशन स्कीम

-कम से कम 25 साल तक नौकरी करने वाले को रिटायरमेंट से पहले पिछले 12 महीनों में प्राप्त औसत मूल वेतन का 50 फीसदी पेंशन के रूप में दिया जाएगा।
-पेंशन के हकदार वही होंगे जो कम से कम 10 साल नौकरी करेंगे।
-10 साल की नौकरी के बाद अगर कोई नौकरी छोड़ता है तो उसे कम से कम 10 हजार रुपये पेंशन के तौर पर मिलेंगे।
-कर्मचारी की मृत्यु होने पर उसकी पेंशन की 60 फीसदी रकम परिवार को मिलेगी।
-रिटायर होने पर ग्रेच्युटी के अलावा एकमुश्त भुगतान भी किया जाएगा।
-महंगाई इंडेक्सेशन का लाभ भी मिलेगा।
-कर्मचारियों को अंशदान करने की जरूरत नहीं होगी। सरकार अपनी तरफ से कर्मचारी की बेसिक सैलरी का 18.5 फीसदी वहन करेगी।
-हर छह महीने की सेवा के बदले मासिक वेतन (वेतन + डीए) का दसवां हिस्सा जुड़ कर रिटायरमेंट पर मिलेगा।

अप्रैल २०१८ में दिल्ली के राम लीला मैदान में पुरानी पेंशन की बहाली को लेकर देश भर के कर्मचारी जुटे तादात इतनी की पूरा मैदान भर गया। तब सरकार के गुणगान में लगी मीडिया को इसकी भनक तक नही लगी पिछले साल १ अक्टूबर को भी दिल्ली में बड़ी संख्या में कर्मचारी एकजुट हुए NPS में बदलाव की मांग पर अप्रेल २०२३ में वित्त सचिव डॉ. सोमनाथन की अध्यक्षता में कमेटी गठित की गई दावा है। डॉ सोमनाथन ने १०० से ज्यादा कर्मचारी संगठनो से विचार- विमर्श करके यूपीएस का फार्मूला खोजा है। ऐसा ही दावा किसान बिल लागू करते समय सरकार ने किया था अगर स्टेकहोल्डरों से उनके नफा नुकसान की जानकारी लेकर ये एक्सपेरिमेंट किए जा रहे है। तो फिर स्टेकहोल्डर ही नाराज क्यों है दावा तो ये भी है कि वर्ल्ड बैंक से लेकर रिजर्व बैंक तक से मशविरा किया गया है, तो फिर झोल कहां है ओल्ड पेंशन स्कीम को लेकर देश भर में आंदोलन चलाने वाले विजय कुमार का बयान है कि उनसे तो कोई पूछने भी नहीं आया।

मोदी सरकार की सबका साथ सबका विकास पालिसी की आलोचना करने वालो को तो जैसे बहाना मिल गया। आम आदमी पार्टी के संजय सिंह को तो बैठे-बिठाये मुद्दा मिल गया पैरा मिलिट्री फ़ोर्स में मैक्सिमम रिटायरमेंट एज ही २० साल है। ऐसे में देश के लिए जान गंवाने वाले कैसे २५ साल का क्राइटेरिया पूरा करेंगे सवाल तो है।

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शेयर मार्केट में उछाल के समय मार्केट में आई नेशनल पेंशन स्कीम लागू करते समय भी सरकार ने कई फायदे गिनाए। रिटायरमेंट के बाद जो NPS के दायरे में आ रहे है उनकी अपनी परेशानी है। वहीँ राजस्थान में कांग्रेस सरकार ने ओल्ड पेंशन स्कीम लागू की सत्त्ता में आते ही बीजेपी ने ख़तम कर दी। वहीँ यूपी में योगी सरकार नेजून के महीने में ओल्ड पेंशन स्कीम की ओर एक कदम आगे बढ़ा दिया है। ऐसे में जब अब यूपीएस इंट्रोड्यूस हुई है तो धर्मसंकट में है कुल मिलाकर सरकार मंशा पेंशन देने की है या परेशानी समझ से परे है।

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