Actor Manoj Kumar Death: ‘भारत की बात सुनाने वाले’ मनोज कुमार नहीं रहे, बॉलीवुड में शोक की लहर

Actor Manoj Kumar Death: भारतीय सिनेमा के दिग्गज अभिनेता, निर्माता और निर्देशक मनोज कुमार का 87 वर्ष की आयु में निधन हो गया। उन्होंने मुंबई के कोकिलाबेन धीरूभाई अंबानी अस्पताल में अंतिम सांस ली। देशभक्ति से ओत-प्रोत अपनी फिल्मों के कारण वे ‘भारत कुमार’ के नाम से प्रसिद्ध हुए। अपने 40 वर्षों के लंबे सिनेमा करियर में उन्होंने न केवल एक प्रतिभाशाली अभिनेता के रूप में बल्कि एक कुशल निर्माता और निर्देशक के रूप में भी अपनी अमिट छाप छोड़ी।

देशभक्ति सिनेमा के सृजनकर्ता

मनोज कुमार ने हिंदी सिनेमा को एक नई शैली प्रदान की, जिसमें राष्ट्रवाद, सामाजिक मूल्यों और देशभक्ति की भावना का गहरा समावेश था। उनके द्वारा निर्देशित और अभिनीत फिल्में, जैसे “शहीद” (1965), “उपकार” (1967), “पूरब और पश्चिम” (1970), और “रोटी कपड़ा और मकान” (1974), भारतीय सिनेमा में मील का पत्थर साबित हुईं।

उनकी फिल्मों के गीतों ने भी देशवासियों के दिलों में खास जगह बनाई। “मेरे देश की धरती सोना उगले” और “भारत का रहने वाला हूँ” जैसे अमर गीत आज भी देशभक्ति का जज्बा जगाने में सक्षम हैं।

प्रारंभिक जीवन और फिल्मी करियर

24 जुलाई 1937 को जन्मे मनोज कुमार का असली नाम हरिकृष्ण गिरि गोस्वामी था। उनका जन्म अविभाजित भारत के लाहौर के एबटाबाद में हुआ था। भारत विभाजन के बाद उनका परिवार दिल्ली आकर बस गया। सिनेमा के प्रति उनके लगाव ने उन्हें मुंबई खींच लाया, और 1957 में आई फिल्म “फैशन” में उन्होंने एक छोटी भूमिका निभाकर अपने फिल्मी सफर की शुरुआत की।

हालांकि, उनकी पहली बड़ी सफलता 1962 में आई फिल्म “हरियाली और रास्ता” से मिली। इसके बाद “वो कौन थी”, “गुमनाम”, “दो बदन”, “हिमालय की गोद में”, “पत्थर के सनम”, “नील कमल” जैसी फिल्मों में उनके अभिनय को दर्शकों ने खूब सराहा।

लेकिन, 1965 में आई फिल्म “अमर शहीद” में भगत सिंह के किरदार ने उन्हें एक नई पहचान दी। इसके बाद उन्होंने सिनेमा में देशभक्ति के तत्व को अपने करियर का अभिन्न हिस्सा बना लिया।

सम्मान और पुरस्कार

भारतीय सिनेमा में उनके योगदान को सम्मानित करते हुए 1992 में पद्मश्री और 2015 में दादा साहब फाल्के पुरस्कार से नवाजा गया। उनका योगदान केवल फिल्मों तक सीमित नहीं था, बल्कि उन्होंने समाज को जागरूक करने वाले और प्रेरणादायक सिनेमा को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया।

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एक युग का अंत

मनोज कुमार का निधन भारतीय सिनेमा के लिए अपूरणीय क्षति है। उनके देशभक्ति से भरे सशक्त किरदार, उनके संवाद, और उनके गीत आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणास्रोत बने रहेंगे। उनका नाम, उनका योगदान और उनकी विरासत सदैव अमर रहेगी। जय हिंद!

 

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