Kolkata: महिला नेता से अश्लील चैट वायरल, पूर्व माकपा सांसद बंसगोपाल चौधरी पर यौन उत्पीड़न का आरोप
Kolkata: पश्चिम बंगाल में मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) एक बार फिर महिला संबंधी विवादों के चलते चर्चा में है। ताजा मामला पार्टी के वरिष्ठ नेता और पूर्व सांसद बंसगोपाल चौधरी से जुड़ा है, जिन पर पार्टी की एक महिला नेता ने यौन उत्पीड़न के गंभीर आरोप लगाए हैं। महिला नेता ने सोशल मीडिया पर कथित ‘अश्लील चैट’ के स्क्रीनशॉट साझा कर चौधरी पर अनुचित व्यवहार का आरोप लगाया है, जिसके बाद यह मामला तेजी से वायरल हो गया।
पीड़ित महिला नेता मुर्शिदाबाद जिले की हैं और जियागंज-आजिमगंज नगरपालिका की पूर्व पार्षद रह चुकी हैं। उनका कहना है कि शुरुआत में चौधरी सोशल मीडिया पर उनके पोस्टों पर टिप्पणी करते थे, जिसे उन्होंने वरिष्ठ का प्रोत्साहन समझा। लेकिन नवंबर 2023 से कथित तौर पर अश्लील संदेश भेजने का सिलसिला शुरू हुआ। उन्होंने इस बाबत पार्टी के जिला सचिव से शिकायत भी की थी, लेकिन कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई।
फरवरी में पार्टी के राज्य सम्मेलन के दौरान जब बंसगोपाल चौधरी की तस्वीरें अन्य शीर्ष नेताओं के साथ वायरल हुईं, तो महिला नेता ने सोशल मीडिया के माध्यम से सार्वजनिक रूप से नाराजगी जताते हुए सवाल उठाया, “ऐसा चरित्रहीन और लंपट व्यक्ति पार्टी के सम्मेलन का प्रतिनिधि कैसे हो सकता है?”
महिला नेता का आरोप है कि उन्होंने पार्टी को जो दस्तावेज सौंपे थे, वे लीक हो रहे हैं जिससे उन्हें और उनके परिवार को खतरे का डर सता रहा है। उन्होंने कहा, “मैं डरी हुई हूं। पार्टी की ओर से कोई सुरक्षा नहीं मिल रही।” बंसगोपाल चौधरी ने सभी आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए इसे एक राजनीतिक साजिश बताया है। उनका कहना है कि पार्टी के भीतर और बाहर कुछ लोग मिलकर उनकी छवि को नुकसान पहुंचाना चाहते हैं।
इस मामले में माकपा के राज्य सचिव मोहम्मद सलीम ने कहा है कि आरोपों की जांच पार्टी की आंतरिक समिति कर रही है, और रिपोर्ट मिलने के बाद उचित कदम उठाए जाएंगे। हालांकि, पार्टी की कई महिला कार्यकर्ताओं ने सोशल मीडिया पर खुलकर नाराजगी जाहिर की है। उन्होंने पूछा है कि जब पर्याप्त सबूत सामने हैं, तो पार्टी अब तक चुप क्यों है और आरोपी के खिलाफ ठोस कार्रवाई क्यों नहीं की गई?
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गौरतलब है कि इससे पहले भी माकपा के कुछ वरिष्ठ नेताओं पर यौन उत्पीड़न के आरोप लग चुके हैं, लेकिन उन मामलों में भी आंतरिक जांच के बावजूद कोई सख्त कदम नहीं उठाया गया था। इससे पार्टी की छवि और महिला कार्यकर्ताओं के बीच भरोसे को लेकर गंभीर सवाल उठ रहे हैं।