यूपी: उपभोक्ताओं को प्रीपेड स्मार्ट मीटर चुनने में विकल्प दे सरकार

लखनऊ। देश भर के उपभोक्ताओ के घर 2025 तक लगेगा। ऐसे में उपभोक्ता परिषद ने केंद्र सरकार से मांग की है कि उपभोक्ताओ को प्रीपेड स्मार्ट मीटर विकल्प चुनने का हो अधिकार देना चाहिए। उपभोक्ता परिषद के मुताबिक एक ही विकल्प उपभोक्ता अधिकार का हनन है। परिषद के अनुसार पूरे देश में उपभोक्ताओ ने प्रीपेड मोड के बदले जमा कर रखी करोड़ो की सिक्योरटी केवल उत्तर प्रदेश में ही जमा है। यह राशि केवल उत्तर प्रदेश में 3379 करोड़ रूपये है। ऐसे मे क्या प्रीपेड मीटर लगाने पर विभाग उक्त राशि उपभोक्ताओं को वापस करेगा?

इसके अलावा ओपेक्स माडल पर हर माह कैपिटल कॉस्ट पर जीएसटी वसूल की छूट का भी केंद्र सरकार को उपभोक्ता हित में निर्णय लेना होगा। उपभोक्ता परिषद के अवधेश वर्मा के अनुसार केंद्र सरकार द्वारा बनाया गया कानून की सभी देश के उपभोक्ताओ के घरो में वर्ष 2025 तक स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगाना अनिवार्य होगा और सभी के घर में लगाया जायेगा। ऐसे में सवाल यह उठता है कि क्या देश के उपभोक्ताओ का विक्लप सरकार छीन नहीं रही ? क्योंकि अभी तक कानूनन केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण व केंद्रीय नियमावली के तहत उपभोक्ताओ के पास प्रीपेड व पोस्टपेड बिजली संयोजन लेने का विकल्प है ?

यहाँ सरकार उपभोक्ताओ की सुबिधा बढ़ाने के बजाय घटा रही सबसे बड़ा मुद्दा यह भी है की अगले तीन वर्ष में अगर सभी उपभोक्ताओ को प्रीपेड स्मार्ट मीटर में तब्दील करना है तो अगले तीन वर्षो के लिए बिलिंग रीडिंग बिल वितरण के लिए लगभग 600 करोड़ का टेंडर क्यों फाइनल किया गया। क्या कोई प्लानिंग नहीं या केवल प्रैक्टिकल हो रहा कौन सोचेगा। वर्तमान व्यवस्था को देखा जाय तो प्रदेश में जो 12 लाख स्मार्ट मीटर लगे है वह ओपेक्स मोडल पर है यानि हर महीने बिजली कंपनी लगभग 86 रुपये ईईएसएल को देती है और ऊपर से उस पर 18 प्रतिशत हर माह जीएसटी अदा करेगी। सब मिलाकर सरकार क्या यह बताएगी कि इस स्कीम से गरीब उपभोक्ताओ और छोटे उपभोक्ताओ के लिए हितकर होगा?

सबसे बड़ा सवाल यह है की देश के उपभोक्ताओ का आज बिजली कम्पनियो के पास जो हजारो करोड़ सिक्योरटी जमा है जिसे प्रीपेड लगने के बाद बिजली कम्पनियो को उपभोक्ताओ को वापस करना होगा केवल उत्तेर प्रदेश की सभी बिजली कम्पनियो की बात करे तो केवल वर्ष 2019 -20 तक उपभोक्ताओ की प्रीपेड मोड के बदले करोड़ो की सिक्योरटी केवल उत्तेर प्रदेश में ही जमा है। उपभोक्ताओ की विभाग के पास रुपया 3379 करोड़ की सिक्योरटी जमा हैं। ऐसे में बिजली कम्पनियो का लाभ काम नुकशान ज्यादा दिख रहा कही यह सब योजना निजीकरण को बढ़वा देने के उद्देश्य से तो नहीं की जा रही अगर सरकार की मंशा साफ है तो सबसे पहले स्मार्ट प्रीपेड मीटर पर लगाने वाली मीटर निर्माता कम्पनियो या बिचौलिया जैसे ईईएसएल है उन्हे हर माह जीएसटी चार्ज मंथली चार्ज पर न वसूल करने का पहले केंद्र सरकार उपभोक्ताओ के हित में निर्णय ले।

वहीं प्रदेश में स्मार्ट मीटर का हश्र सभी के सामने है। राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने कहा उपभोक्ता परिषद् केंद्र सरकार को बहुत जल्द एक विधिक प्रस्ताव भेजेगा कि कौन उपभोक्ता प्रीपेड मोड में रहना पसंद करता है कौन नहीं। दोनों विक्लप खुले होने चहिए और अगर केंद्र सरकार यह चाहती है कि एक ही विक्लप उपभोक्ताओ को मिलेगा तो हर माह स्मार्ट मीटर पर जो एक मंथली चार्ज प्रोजेक्ट अवधि तक प्रीपेड स्मार्ट मीटर लगाने वाली एजेंसी वसूल करेगी। उस पर जो हर माह जीएसटी वसूल होता है उसे माफ करने का आदेश जारी कराया जाय। क्योकि जब स्मार्ट प्रीपेड मीटर एक मुस्त कोई भी एजेंसी व बिजली कंपनी खरीद करती है तो उस पर पहले ही टोटल कास्ट पर जीएसटी अदा की जाती है फिर हर माह जीएसटी प्रोजेस्ट कॉस्ट पर मंथली वसूली नियमानुसार बिलकुल उचित नहीं इसलिए सरकार पूरे प्रोजेक्ट पर पुन: विचार कर निर्णय ले।

Related Articles

Back to top button