उ.प्र. के बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों के सभी पीडि़त परिवारों को राशन किट उपलब्ध कराएगी सरकार
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा है कि बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों के सभी पीडि़त परिवारों को राशन किट उपलब्ध करायी जाए। बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में जनहानि, पशुहानि, मकान क्षति अथवा अन्य हानि होने पर 24 घण्टे के अंदर जनप्रतिनिधि के माध्यम से पीडि़त परिवार को निर्धारित आर्थिक सहायता राशि उपलब्ध करायी जाए। उन्होंने कहा कि बाढ़ पीडि़तों को राहत प्रदान करने में किसी प्रकार की कोताही या लापरवाही नहीं बरती जानी चाहिए। राहत कार्यों के संचालन में शासन द्वारा निर्धारित कोरोना प्रोटोकॉल का अनुपालन भी सुनिश्चित किया जाए। मुख्यमंत्री शनिवार को अपने सरकारी आवास पर वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से बाढ़ के प्रति अतिसंवेदनशील व संवेदनशील प्रदेश के 40 जनपदों के जिला प्रशासन और जनप्रतिनिधियों के साथ संवाद कर रहे थे।
वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के दौरान उन्होंने वर्तमान में बाढ़ प्रभावित 15 जनपदों अम्बेडकरनगर, अयोध्या, आजमगढ़, बहराइच, बलिया, बाराबंकी, बस्ती, देवरिया, गोण्डा, गोरखपुर, लखीमपुर खीरी, कुशीनगर, मऊ तथा सीतापुर के जिला अधिकारियों तथा जनप्रतिनिधियों से सम्बन्धित जनपदों में बाढ़ की स्थिति और राहत कार्यों के संचालन के सम्बन्ध में जानकारी प्राप्त की और आवश्यक निर्देश दिए। मुख्यमंत्री ने कहा कि वर्तमान समय में कुछ जनपदों को कोरोना की महामारी के साथ बाढ़ की त्रासदी का सामना करना पड़ रहा है। इसके दृष्टिगत आवश्यक सावधानी बरती जाए।
उन्होंने कहा कि बाढ़ का खतरा सितम्बर माह के मध्य तक बना रहता है। जिला प्रशासन इसके अनुरूप तैयारी रखे। उन्होंने कहा कि बाढ़ पीडि़तों को वितरित करायी जा रही राशन किट में 10 कि0ग्रा0 आटा, 10 कि0ग्रा0 चावल, 10 कि0ग्रा0 आलू, 05 कि0ग्रा0 लाई, 02 कि0ग्रा0 भुना चना, 02 कि0ग्रा0 अरहर की दाल, 500 ग्राम नमक, 250 ग्राम हल्दी, 250 ग्राम मिर्च, 250 ग्राम धनिया, 05 लीटर केरोसिन, 01 पैकेट मोमबत्ती, 01 पैकेट माचिस, 10 पैकेट बिस्कुट, 01 लीटर रिफाइण्ड तेल, 100 टैबलेट क्लोरीन एवं 02 नहाने के साबुन उपलब्ध कराए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि बाढ़ राहत कार्यों के लिए पर्याप्त मात्रा में धनराशि उपलब्ध है। पूरी संवेदनशीलता बरतते हुए सभी बाढ़ पीडि़तों को राहत सहायता उपलब्ध करायी जाए। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रशासन द्वारा बनाए गए शिविरों में रहने वाले बाढ़ पीडि़तों के लिए शुद्ध भोजन और स्वच्छ पेयजल की व्यवस्था सुनिश्चित की जाए। तटबंधों आदि पर रह रहे बाढ़ पीडि़तों को तिरपाल उपलब्ध कराया जाए। पेट्रोमैक्स की व्यवस्था की जाए।
बाढ़ प्रभावित गांव में नौकाओं की व्यवस्था भी रहनी चाहिए। उन्होंने कहा कि बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में मोबाइल मेडिकल टीम द्वारा भ्रमण किया जाए। जलजनित बीमारियों से बचाव के लिए क्लोरीन की गोलियां वितरित की जाएं। मुख्यमंत्री ने कहा कि बाढ़ की चपेट में आकर मकान की क्षति होने पर प्रभावित परिवारों को प्रधानमंत्री आवास योजना अथवा मुख्यमंत्री आवास योजना के तहत आवास उपलब्ध कराने के सम्बन्ध में कार्ययोजना तैयार की जाए। सम्बन्धित गांव में भूमि की उपलब्धता न होने पर पीडि़त परिवार को किसी अन्य स्थान पर बसाने के सम्बन्ध में राजस्व विभाग को प्रस्ताव भेजा जाए।
उन्होंने कहा कि आकाशीय बिजली अथवा सर्पदंश से मृत्यु होने पर पीडि़त परिवार को नियमानुसार आर्थिक सहायता उपलब्ध करायी जाए। सर्पदंश, कुत्ते के काटने पर लगाए जाने वाले इंजेक्शन सामुदायिक,प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों पर उपलब्ध कराए जाएं। मुख्यमंत्री ने कहा कि जल संरक्षण में प्राकृतिक झीलों की महत्वपूर्ण भूमिका है। यह जल संरक्षण की केन्द्र हैं। उन्होंने कहा कि प्राकृतिक झीलों की डीसिल्टिंग एवं पुनरूद्धार के लिए प्रत्येक जनपद द्वारा कार्ययोजना तैयार करायी जाए। उन्होंने कहा कि जल भराव के कारण उठने वाली लहरों से सडक़ों और तटबंधों में कटान की स्थिति बन जाती है। इनको नुकसान से बचाने के लिए तत्परता से कार्य किया जाए।
वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के दौरान कई जनप्रतिनिधियों द्वारा बाढ़ नियंत्रण में डेऊजिंग की उपयोगिता बताते हुए कहा गया कि उनके क्षेत्रों में सम्पन्न हुए डेऊजिंग कार्य से बाढ़ से राहत मिली है। मुख्यमंत्री जी ने कहा कि प्रत्येक जनपद का जिला प्रशासन सिंचाई विभाग के साथ चर्चा करके डेऊजिंग के सम्बन्ध में ठोस कार्ययोजना प्रस्तुत करे। उन्होंने अधिकारियों को जनप्रतिनिधियों द्वारा दिए गए सुझावों पर त्वरित कार्यवाही के निर्देश भी दिए।
वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के दौरान अपर मुख्य सचिव राजस्व रेणुका कुमार ने मुख्यमंत्री को प्रदेश में बाढ़ से राहत की कार्ययोजना तथा अपर मुख्य सचिव सिंचाई श्री टी0 वेंकटेश ने बाढ़, तटबंधों, नदियों के जल स्तर आदि की स्थिति के बारे में जानकारी दी। अपर मुख्य सचिव राजस्व ने बताया कि वर्तमान में प्रदेश के 15 जनपदों के 665 गांव बाढ़ प्रभावित हैं, जिनमें से 391 गांव मैरुण्ड तथा जलमग्न हैं। जनपदों में बाढ़, राहत हेतु 328 बाढ़ शरणालय स्थापित किए गए हैं। वर्तमान में 04 जनपदों बलिया, आजमगढ़, मऊ तथा अम्बेडकरनगर में 24 बाढ़ शरणालयों में 1402 लोग रह रहे हैं। बाढ़ प्रभावित परिवारों को 95,483 लंच पैकेट, 65,425 राशन किट तथा 1.89 लाख मीटर तिरपाल का वितरण किया जा चुका है। बाढग़्रस्त क्षेत्रों में सुगम आवागमन हेतु 779 नावों का संचालन किया जा रहा है। बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में चिकित्सा सुविधाएं उपलब्ध कराने हेतु 265 मोबाइल मेडिकल टीमें गठित की गई हैं। बाढ़ से प्रभावित पशुओं हेतु 268 पशु शिविरों की स्थापना की गई है तथा अब तक 6.36 लाख पशुओं का टीकाकरण किया जा चुका है। प्रदेश में बाढ़ बचाव कार्यों हेतु एन0डी0आर0एफ0 की 15 टीमें, एस0डी0आर0एफ0 की 09 टीमें तथा पी0ए0सी0 की 17 बाढ़ कम्पनियां बाढ़ खोज-बचाव हेतु तैनात हैं।
अपर मुख्य सचिव सिंचाई ने बताया कि तटबंधों की मरम्मत, बाढ़ नियंत्रण कक्षों की स्थापना, फ्लड फाइटिंग हेतु स्टॉक की व्यवस्था, बाढ़ व बरसात के पुर्वानुमान सहित प्रतिदिन बाढ़ बुलेटिन जारी करने की तैयारी की गयी है। तटबंधों की सतत निगरानी एवं पड़ोसी राज्यों से समन्वय किया जा रहा है। लॉकडाउन के बावजूद तटबंधों की मरम्मत करायी गयी है। बाढ़ काल से पूर्व 83 परियोजनाओं को पूर्ण कर लिया गया है। शेष परियोजनाओं का कार्य सुरक्षित स्तर तक कराया गया है। इस अवसर पर मुख्य सचिव आर0के0 तिवारी, अपर मुख्य सचिव सूचना एवं गृह अवनीश कुमार अवस्थी, अपर मुख्य सचिव पंचायतीराज मनोज कुमार सिंह, अपर मुख्य सचिव पशुपालन भुवनेश कुमार, राहत आयुक्त संजय गोयल सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारी एवं एस0डी0एम0ए0 के उपाध्यक्ष ले0जन0 रवीन्द्र प्रताप साही उपस्थित थे।