Bijapur: सबसे ऊंचे नक्सली स्मारक काे जवानों ने बम विस्फाेट से उड़ाया
Bijapur: छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिले अंर्तगत अंदरूनी नक्सलियाें के काेर इलाका सबसे सुरक्षित पनाहगाह ग्राम कोमटपल्ली में नक्सलियों ने 64 फीट ऊंचा स्मारक बनाया था, जो नक्सलियाें का सबसे ऊंचा स्मारक है। नक्सलियाें के 64 फीट सबसे ऊंचे स्मारक काे सुरक्षाबलाें ने बम विस्फाेट कर ध्वस्त कर दिया है। वर्ष 2022 में नक्सलियों ने यहां 12 हजार लोगों की मौजूदगी में शहीदी सप्ताह मनाया था।
नक्सल स्मारक को ध्वस्त करने से पहले जवानों और अधिकारियों ने इसके साथ सेल्फी भी ली। लगभग एक सप्ताह पहले तक यह इलाका नक्सलियों का सबसे सुरक्षित पनाहगाह था। इस इलाके में 20 दिसंबर को झिड़पल्ली और वाटेवागु गांव में जवानों का नया सुरक्षा कैंप
खुलने के बाद मंगलवार को बीजापुर एसपी जितेंद्र यादव बड़ी संख्या में जवानों को साथ लेकर नक्सल स्मारक वाली जगह पर पहुंचकर सबसे बड़े नक्सली स्मारक के चारों तरफ बम बिछाने के बाद चंद सेकंड में ही ध्वस्त कर किया।
उल्लेखनीय है कि, नक्सलियों के सबसे सुरक्षित पनाहगाह में 64 फीट सबसे ऊंचे स्मारक का निर्माण अपने बड़े नक्सली नेता 50 लाख के इनामी अक्की राजू की याद में बनाया था। पुलिस का दावा है कि अपने सबसे सुरक्षित इलाके में नक्सली बैक फुट पर आ चुके हैं। नक्सलियों ने 3 अगस्त 2022 को बीजापुर जिले के कोमटपल्ली में इस स्मारक को बनाया था। इस मौके पर तेलंगाना और छत्तीसगढ़ के लगभग 500 से ज्यादा हथियारबंद नक्सलियों ने 10 से 12 हजार ग्रामीणों के साथ मिलकर शहीदी सप्ताह मनाया था। इस आयोजन में तेलंगाना और छत्तीसगढ़ में सक्रिय करोड़ों रुपए के इनामी सेंट्रल कमेटी मेंबर दामोदर, सुजाता, विकास जैसे बड़े नक्सली नेता यहां पहुंचे थे। इनके अलावा पामेड़ एरिया कमेटी, जगरगुंडा एरिया कमेटी, माड़ एरिया कमेटी, इंद्रावती एरिया कमेटी, कंपनी नंबर 9 के भी बड़े नक्सली नेता यहां शामिल हुए थे।
विदित हाे कि, नक्सली प्रति वर्ष 27 जुलाई से 3 अगस्त तक शहीदी सप्ताह मनाते हैं। इस सप्ताह में बीमारी या मुठभेड़ में मारे गए नक्सलियों को याद किया जाता है। इस मौके पर ग्रामीणों की मौजूदगी में सभा करते हैं और उन्हें क्रांतिकारी बताया जाता है। नक्सलियाें का शहीदी सप्ताह 2022 से पहले तेलंगाना या महाराष्ट्र बॉर्डर पर आयोजित होता था। लेकिन करीब 15 सालों में पहली बार 3 अगस्त 2022 को नक्सलियों ने शहीदी सप्ताह मनाने के लिए बीजापुर जिले के कोटमपल्ली गांव को चुना था। इस इलाके काे नक्सली अपना सबसे सुरक्षित इलाका मानते आ रहे थे।
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