जंग-ए- आज़ादी के हस्ताक्षर, सूबे के मंत्री रहे ‘जमुना बोस’ की स्थिति चिंताजनक, आईसीयू में हुए शिफ्ट
(शाश्वत तिवारी)
लखनऊ/ पूर्व मन्त्री जमुना प्रसाद बोस जी बीमार हैं। लोहिया कोविड अस्पताल में भर्ती हैं, जो जहां है, वहीं से दस्तक दे ताकि उनके इलाज की समुचित व्यवस्था हो सके।
जी! जमुना प्रसाद बोस जी यूपी की राजनीति में ईमानदारी और सादगी के पर्याय हैं। वह स्वतन्त्रता संग्राम सेनानी हैं। वह लोकतन्त्र सेनानी हैं। वह चार बार विधायक रहे हैं। वह उत्तर प्रदेश सरकार में कैबिनेट मंत्री रहें हैं .
इसके बाद भी उन्हें इलाज की वह व्यवस्था भी नहीं मिल पा रही है जो सूबे के हर आदमी को मिलनी चाहिए, जिसे देने का दावा सरकार की ओर से अखबारों में रोज किया जा रहा है।
तीन सितम्बर की स्थिति यह है कि बोस जी के परिजन लोहिया कोविड अस्पताल के बाहर रो रहे हैं। वे यह भी नहीं जान पा रहे हैं कि भीतर उनके साथ क्या हो रहा है? स्थिति इतनी गम्भीर है कि गाँधी जयन्ती समारोह ट्रस्ट, बाराबंकी के अध्यक्ष राजनाथ शर्मा जैसा साहसी आदमी कह रहा है कि इलाज को लेकर यही लापरवाही और हृदयहीनता रही तो बोस जी का बचना इस बार मुश्किल होगा। कोविड प्रशासन भी इससे अवगत है लेकिन कान में तेल डाले पड़ा है।
राजनाथ शर्मा के अनुसार बोस जी का बाँदा के अस्पताल में इलाज चल रहा था। स्थिति गम्भीर होने पर उनको लखनऊ भेजा गया। उन्हें लोहिया के इमरजेंसी में भर्ती होना था लेकिन बोस जैसे वरिष्ठ नागरिक के साथ ऐसा व्यवहार हुआ कि वह लोहिया की जगह गोमती नगर के हार्ट सिटी असपताल में भर्ती हो गए। वहाँ उनकी कोरोना जांच पॉजिटिव आई इसलिए उन्हें फिर लोहिया के कोविड अस्पताल लाना पड़ा।
बोस जी की उम्र 95-96 की है। वह अपनी पीड़ा भी बताने के स्थिति में नहीं है। उनके किसी परिजन को उनके साथ नहीं रहने दिया जा रहा है। यह स्थिति उन्हें और बेचैन करेगी। फिर वही होगा जिसे सोच कर रोना आता है।
राजनाथ शर्मा का कहना है कि जब स्वतंत्रता संग्राम सेनानी, लोकतंत्र सेनानी, मंत्री व विधायक रहे जमुना प्रसाद बोस का इलाज ठीक तरीके से नहीं हो पा रहा है तो आम व्यक्ति की स्थिति क्या होगी, इसकी केवल कल्पना की जा सकती है।
राज्य सरकार को तत्काल इस प्रकरण को संज्ञान में लेना चाहिए और उसे जमुना प्रसाद के इलाज की समुचित व्यवस्था सुनिश्चित करनी चाहिए। उन्हें स्पेशल वार्ड में कोरेंटाइन कराया जाना चाहिए।