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म्यामार में तख्तापलट: अमेरिका ने दी चेतावनी, कहा- लोकतंत्र की ओर बढ़ते कदम पर सीधा हमला

नई दिल्ली। म्यामार सेना ने सोमवार को अपने देश में तख्तापलट कर दिया। जिसे लेकर अमेरिका काफी खपा है। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने कहा म्यामार की सेना ने तख्तापलट कर लोकतंत्र की ओर बढ़ते कदम पर सीधा हमला किया है। इसके साथ ही जो बाइडन ने सोमवार को इस देश पर नए प्रतिबंध लगाने की चेतावनी दी। स्टेट काउंसलर आंग सान सू ची समेत देश के शीर्ष नेताओं को सोमवार को हिरासत लेने के कदम की अमेरिका ने आलोचना की।

लगाई गई इमरजेंसी- मीडिया की खबरों के अनुसार, सेना के स्वामित्व वाले टेलीविजन चैनल ‘मयावाडी टीवी’ पर सोमवार सुबह यह घोषणा की गयी कि सेना ने एक साल के लिए देश का नियंत्रण अपने हाथ में ले लिया है। बाइडन ने एक बयान में कहा कि बर्मा की सेना द्वारा तख्तापलट, आंग सान सू ची एवं अन्य प्राधिकारियों को हिरासत में लिया जाना और राष्ट्रीय आपातकाल की घोषणा देश में सत्ता के लोकतंत्रिक हस्तांतरण पर सीधा हमला है।

म्यामां की सेना पर दवाब डाले- उन्होंने कहा कि लोकतंत्र में सेना को जनता की इच्छा को दरकिनार नहीं करना चाहिए। लगभग एक दशक से बर्मा के लोग चुनाव कराने, लोकतांत्रिक सरकार स्थापित करने और शांतिपूर्ण सत्ता हस्तांतरण को लेकर लगातार काम कर रहे हैं। इस प्रगति का सम्मान किया जाना चाहिए। अमेरिकी राष्ट्रपति ने वैश्विक समुदाय का भी आह्वान किया कि वह एक स्वर में म्यामां की सेना पर दबाव डाले।

लंबे समय तक रहा है सैन्य शासन- बता दें म्यामार में ऐसा पहली बार नहीं हो रहा है, वहां लंबे समय तक सैन्य शासन रहा है। जापान से आजाद होने के बाद कुछ कुछ समय तक ब्रिटेन की कटपुतली सरकार रही थी। उसके बाद वहां लगातार लंबे समय तक सैन्य शासन रहा। अभी एक दशक पहले वहां 26 साल से लगातार चलने वाला सैन्य शासन खत्म हुआ था। जिसके बाद आंग सान सू ची के नेतृत्व में पहली बार एक लोकतांत्रिक सरकार का गठन हुआ था। लगभग एक दशक शासन के बाद अब दोबारा वहां सैन्य शासन लग गया है और उनकी नेता आंग सान सू ची को नजरबंद कर लिया गया है।

सेना ने आरोप लगाया था कि वहां हाल में हुए चुनावों में धांधली हुई है, जिसमें आंग सान सू ची की पार्टी ने 80 फीसद से ज्यादा वोट पाकर जीत हांसिल की थी मगर सैन्य तख्तापलट के बाद अब उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया है।

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