संसद में पीएम मोदी ने विपक्ष पर बोला हमला, किसान आंदोलन खत्म की अपील, MSP परह कही ये बात
नई दिल्ली। राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव का जवाब देते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विपक्षी सांसदों और नोताओं पर अपने खास अंदाज में पलटवार किया। इस दौरान मोदी ने विपक्ष पर निशाना साधते हुए कहा कि अच्छा होता विपक्ष राष्ट्रपति का भाषण सुनता, लेकिन उनके भाषण का प्रभाव इतना है कि विपक्ष बिना कुछ सुने भी इतना कुछ उनके भाषण पर बोल पाया है। इतना ही नहीं इस इसके आगे पीएम मोदी ने कहा कि देश अब आजादी के 75वें वर्ष में प्रवेश कर रहा है, ऐसे में हर किसी का ध्यान देश की ओर कुछ करने के लिए होना चाहिए। पीएम मोदी ने कहा कि संकट के वक्त में दुनिया की नजर भारत पर है।
इस दौरान पीएम मोदी ने मैथिलीशरण गुप्त की कविता ‘अवसर तेरे लिए खड़ा है, फिर भी तू चुपचाप पड़ा है’ भी सदन में पढ़ी। पीएम मोदी ने कहा कि 21वीं सदी में वो जरूर लिखते कि ‘’…अरे भारत, आत्मनिर्भरता के पथ पर दौड़। पीएम मोदी ने विपक्षी सांसदों के भाषण पर जमकर चुटकी ली। डेरेक ओ ब्रायन के शब्दों का जिक्र कर मोदी ने कहा कि मुझे लग रहा था कि वे बंगाल की बात बता रहे हैं या फिर देश की बात बता रहे हैं। स्वाभाविक है कि वहां जो देखते-सुनते हों वहां की बात गलती से यहां बता दी हो।
बस एक कदम बाकी और बाजवा 84 तक पहुंच जाएंगे- कांग्रेस के बाजवा साहब काफी अच्छा बता रहे थे। इतना लंबा खींचकर बता रहे थे कि मुझे लग रहा था कि बस थोड़ी देर में ये इमर्जेंसी तक पहुंच जाएंगे। मुझे लग रहा था क बस एक कदम बाकी है और वह 84 तक पहुंच जाएंगे। लेकिन वह बहां तक नहीं पहुंचे। खैर कांग्रेस देश को बहुत निराश करती है, आपने भी बहुत निराश किया ।
जब पीएम मोदी ने कसा ‘फूफी’ वाला तंज- पीएम मोदी ने पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह एक कथन पढ़ा जिसमें उन्होंने कृषि से जुड़े एक बड़े बाजार की वकालत की थी। मोदी ने कहा, ‘मजा ये है जो लोग पॉलिटिकल बयानबाजी करते हैं उछल-उछल के, उनकी सरकारों ने भी अपने-अपने राज्यों में थोड़ा-बहुत तो किया ही है। किसी ने कानूनों की मंशा पर सवाल नहीं उठाए हैं। शिकायत ये है कि तरीका ठीक नहीं था… जल्दी कर दिया… ये रहता है। वो तो परिवार में शादी होती है तो फूफी नाराज होकर कहती है.. मुझे कहां बुलाया.. वो तो रहता है… इतना बड़ा परिवार है तो वो तो रहता ही है।’
राष्ट्रपति का अभिभाषण सुन लेते तो अच्छा होता– अपने संबोधन की शुरुआत में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को धन्यवाद देते हुए पीएम मोदी ने विपक्षी दलों पर तंज कसा। उन्होंने कहा, ‘अच्छा होता कि अगर सभी सदस्य राष्ट्रपति जी का भाषण सुन पाते, लेकिन फिर भी राष्ट्रपति जी का अभिभाषण इतना शक्तिशाली था कि लोगों तक पहुंच गया।’
कृषि कानून और किसान आंदोलन पर बोले पीएम मोदी- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने संबोधन में कहा कि हमें तय करना होगा कि हम समस्या का हिस्सा बनेंगे या समाधान का माध्यम बनेंगे। राजनीति और राष्ट्रनीति में हमें किसी एक को चुनना होगा। पीएम मोदी ने कहा कि सदन में किसान आंदोलन की भरपूर चर्चा हुई, जो भी बताया गया वो आंदोलन को लेकर बताया गया लेकिन मूल बात पर चर्चा नहीं हुई।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि पूर्व पीएम देवेगौड़ा ने सरकार के प्रयासों की सराहना भी की, साथ ही उन्होंने सुझाव भी दिए। पीएम मोदी ने चौधरी चरण सिंह के कथन को सदन में पढ़ा, ‘किसानों का सेंसेस लिया गया, तो 33 फीसदी किसान ऐसे हैं जिनके पास जमीन 2 बीघे से कम है, 18 फीसदी जो किसान कहलाते हैं उनके पास 2-4 बीघे जमीन है। ये कितनी भी मेहनत कर ले, अपनी जमीन पर इनकी गुजर नहीं हो सकती है’। पीएम मोदी ने अपने संबोधन में कहा कि मौजूदा वक्त में जिनके पास 1 हेक्टेयर से कम जमीन है, वो 68 फीसदी किसान हैं। 86 फीसदी किसानों के पास 2 हेक्टेयर से भी कम जमीन है। हमें अपनी योजनाओं के केंद्र में 12 करोड़ किसानों को रखना होगा।
पीएम मोदी ने गिनाई सरकार की उपलब्धियां- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि आज भारत में डबल डिजिट ग्रोथ का अनुमान है, दुनिया के कई देशों को निवेश नहीं मिल रहा है लेकिन भारत में लोग निवेश करना चाहते हैं। कभी यहां मोबाइल फोन को लेकर मजाक उड़ाया गया, लेकिन आज भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा मोबाइल निर्माता है। पीएम मोदी ने कहा कि सर्जिकल स्ट्राइक हो या एयरस्ट्राइक, भारत की ताकत को दुनिया ने देखा है। अपने संबोधन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि हमारी सरकार पहले दिन से गरीबों के लिए काम कर रही है। पीएम मोदी ने कहा कि अगर गरीबों को आत्मविश्वास मिला तो वो खुद मेहनत कर आगे बढ़ेंगे। आज देश में 10 करोड़ शौचालय बने, 41 करोड़ से अधिक बैंक खाते खुले, 2 करोड़ घर बने, 8 करोड़ से अधिक मुफ्त सिलेंडर दिए गए।