Mp News- मध्‍य प्रदेश के रतलाम में अवैध बालिका मदरसा मिला, केमरों में कैद बचपन, देखरेख करनेवाले सभी पुरुष

Mp News- मध्य प्रदेश के रतलाम जिले में इस्लामी नियम से दीन की तालीम देनेवाला बालिकाओं का एक अवैध मदरसा मिला है। कई सालों से संचालित हो रहे इस मदरसे को लेकर किसी ने अब तक ध्‍यान नहीं दिया कि इस वैध तरीके से संचालित होता है या नहीं। मध्य प्रदेश राज्य बाल संरक्षण आयोग (एससीपीसीआर) जब अचानक यहां पहुंचा तो स्थितियां देखकर दंग रह गया । एससीपीसीआर की सदस्य एवं आला अधिकारी जैसे ही बालिकाओं से मिलने मदरसा ‘दारुल उलूम आयशा सिद्दीका लिलबिनात’ के अंदर कक्ष में गए तो बच्चियों की हालत देखकर दंग रह गए। कमरों में आवश्‍यकता से अधिक बच्‍च‍ियों को रखा गया है।

इस संबंध में स्‍कूल शिक्षा विभाग रतलाम में पदस्‍त एक वरिष्‍ठ शिक्षक ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि मध्य प्रदेश के कई जिलों समेत राज्य के सीमावर्ती क्षेत्र से यहां अच्छी शिक्षा, भोजन और आवास के नाम पर गरीब मुस्लिम परिवारों से सौ से अधि‍क बच्चियों को यहां लाकर रखा गया है। इनमें से बड़ी संख्या ऐसी बच्चियों की मिली है जो स्कूल ही नहीं जातीं और इनका अधुनिक शिक्षा से दूर-दूर तक कोई वास्‍ता नहीं है, सिर्फ दीन की तालीम के नाम पर यहां रह रही हैं।

दूसरी ओर जांच करने यहां पहुंची मप्र बाल संरक्षण आयोग की टीम ने इस मदरसे के अनुबंध और मान्‍यता को लेकर जब कागजात मांगे तो मदरसा संचालक कुछ भी नहीं दिखा पाए। काफी दबाव बनाने के बाद आखिर वे बोल गए कि हमने मप्र में इस मदरसे को संचालित करने के लिए शासन से कोई मान्‍यता नहीं ली है। यह मदरसा महाराष्‍ट्र के नन्‍दुरबार जिले के जामिया इस्‍लामिया इशाअतुल उलूम अक्‍कलकुआ नाम की संस्‍था से जुड़कर संचालित हो रहा है।

इसके साथ ही बाल आयोग ने इसकी फडिंग स्‍त्रोत जानना चाहे तो बहुत कहने के बाद भी मदरसा संचालक यह कहते रहे कि अभी हमारे पास सही जानकारी उपलब्‍ध नहीं है और उन्‍होंने इस मदरसा को संचालित करने के लिए प्राप्‍त होनेवाली कोई आय के बारे में बहुत पूछे जाने के बावजूद भी कुछ नहीं बताया। ऐसे में आयोग को अंदेशा है कि लोकल के अलावा फॅारेन फडिंग भी इसे जरूर कहीं न कहीं मिल रही होगी, इसलिए ये मदरसा संचालक सही जानकारी सामने रखना नहीं चाहते होंगे। वहीं, मदरसा संचालक मौलाना मौसीन से जब पूछा गया कि कब से आप इस मदरसे को संचालित कर रहे हैं, तो उसने बताया कि कई सालों से इसे हम संचालित कर रहे हैं। सही वक्‍त तो मुझे भी याद नहीं ।

इसके साथ ही मदरसा से जुड़ी यह जानकारी भी सामने आई कि मदरसे का अपना एक विद्यालय इसी से लगे परिसर में कक्षा 10वीं तक संचालित किया जा रहा है, जिसमें बाहर से भी बच्चे पढ़ने आते हैं। लेकिन कक्षा 10वीं तक का संचालित स्‍कूल होने के बाद भी यह मदरसा में रह रहीं बच्‍च‍ियों को अपने विद्यालय से आधुनिक शिक्षा नहीं दे रहा है । जब मदरसा संचालकों से इस बारे में जवाब-तलब किया गया तो वे कोई उत्तर ना दे सके । मदरसा के भीतर का माहौल तालीबानी शासन और शरिया नियमों की याद दिला देता है आंखों के अलावा शरीर का कोई हिस्सा नहीं दिखे इसके लिए बच्‍च‍ियों पर भारी सख्‍ती की जाती है। उन्हें अभी से मानसिक रूप से ट्रेंड किया जा रहा है । ताकि भविष्‍य में वे इसी तरह से अपने जीवन को वे जिएं।

अपनी जांच और की गई कार्रवाई को लेकर मप्र बाल संरक्षण आयोग की सदस्‍य डॉ. निवेदिता शर्मा ने बताया कि मदरसा संचालक अपने संचालित हो रहे बच्‍च‍ियों के इस संस्‍थान की कोई वैध जानकारी सामने नहीं रख पाए । उन्‍होंने सिर्फ इतना बताया कि हमारे यहां प्रत्‍येक बालिका को तीन सालों के लिए रखा जाता है, उसके बाद उन्‍हें दीनी तालीम देकर उनके घर वापिस भेज दिया जाता है। ‍यहां मध्‍य प्रदेश के अलग-अलग जिलों से आईं कई बच्‍च‍ियां तो थीं हीं साथ में दूसरे राज्‍यों से भी बच्‍च‍ियों को यहां लाकर रखा गया है।

उन्‍होंने कहा, ‘‘सबसे ज्‍यादा आपत्‍त‍ि मझे इस बात पर है कि बच्‍च‍ियों की कोई प्राइवेट जिंदगी नहीं है, हर जगह कैमरे लगा कर उन पर चौबीसों घण्‍टे नजर रखी जा रही है और नजर रखनेवाले सभी पुरुष हैं ” यहां रह रहीं कई बच्‍च‍ियों के बारे में यह भी सामने आया है कि कई बच्‍च‍ियों को दूसरे जिलों के विद्यालयों में रजिस्‍टर्ड किया गया है, लेकिन वे नियमित तौर पर रहती इस मदरसा में हैं । यहां शाला में पंजिकृत हैं वहां पढ़ने ही नहीं जातीं। वहीं, डॉ. निवेदिता शर्मा ने बताया कि जांच के दौरान उन्‍हें इस मदरसा में दो बच्‍चे सीएनसीपी (ऑरफन), जिनके माता-पिता नहीं हैं और कहीं भी ये बच्‍चे बाल आर्शीवाद योजना में रजिस्‍टर्ड नहीं हैं पाए गए । दोनों बच्‍चे राज्‍य के जिला धार के रहनेवाले हैं । इसको शासन की योजना का लाभ मिले इसके लिए शासन से निवेदन किया गया है।

सुश्री शर्मा का कहना यह भी रहा कि ‘‘कई बच्‍च‍ियां आधुनिक शिक्षा से पूरी तरह दूर पाई गईं, यह शिक्षा का अधिकार अधिनियम (आरटीई) का सीधा उल्‍लंघन है। यहां इन बच्‍च‍ियों को इस्‍लामिक शिक्षा देने के नाम पर आधुनिक शिक्षा से पूरी तरह से दूर रखा जाता हुआ पाया गया। इन बच्‍च‍ियों को भी आधुनिक शिक्षा लेने का देश के अन्‍य बच्‍चों की तरह ही अधिकार है, जब यह अपना निजि स्‍कूल कक्षा 10वीं तक संचालित कर रहे हैं तब मदारसा संचालकों को अपने स्‍कूल में या बाहर जहां भी ठीक लगता है, इन सभी बच्‍च‍ियों का विधिवत एडमीशन करवाना चाहिए था जोकि यहां अभी सभी का नहीं पाया गया। कुल 100 बच्‍च‍ियों में से सिर्फ 40 बच्‍च‍ियां ही पढ़ाई कर रही हैं’’

उन्‍होंने कहा कि मप्र बाल संरक्षण आयोग ने बहुत ही गंभीरता से इस मदरसा के विषय को लिया है, शासन को लिखेंगे और इन बच्‍च‍ियों के सुखद भविष्‍य के लिए क्‍या हो सकता है, इसकी चिंता करेंगे। इस बीच जब जिला शिक्षा अधिकारी रतलाम कृष्‍ण चंद्र शर्मा और जिला मदरसा संचालक प्रमुख इनामुर शैख से संपर्क किया गया तो दोनों के ही मोबाइल बंद थे।

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