Mp News- एनसीसीएफ की लापरवाही के चलते किसान परेशान, नहीं हो पा रही धान खरीदी

Mp News- जिले ही नहीं शहडोल संभाग के तीनों जिले उमरिया, शहडोल और अनूपपुर में उपार्जन की धान खरीदी के लिए भारतीय राष्ट्रीय सहकारी उपभोक्ता संघ लिमिटेड अर्थात एनसीसीएफ को केन्द्र सरकार द्वारा अधिकृत किया गया है। एक तरफ प्रदेश सरकार ने 2 दिसंबर से स्लाट बुकिंग और धान खरीदी करने का आदेश दे दिया, अन्य जिलों में धान की खरीदी चालू हो गई तो वहीं दूसरी तरफ उमरिया सहित शहडोल और अनूपपुर में धान की खरीदी कल से चालू हुई।

उमरिया जिले में 36 उपार्जन केन्द्र बनाये गए हैं, जिसमे 6460 किसानों ने अपना पंजीयन करवाया है और सैकड़ों किसानों ने अपना स्लाट बुक किया है, लेकिन एनसीसीएफ की लापरवाही के चलते शुक्रवार को मात्र 13 किसानों का 4 खरीदी केन्द्र के माध्यम से 674 क्विंटल 67 किलो धान की खरीदी हो पाई है।

इस लेट लतीफी के बारे में जब नागरिक आपूर्ति निगम के प्रभारी जिला प्रबंधक शिव प्रकाश गुप्ता से बात की गई तो उन्होंने बताया कि हमारा काम केंद्रों में बोरी और बैनर भेजना था वो हमने कर दिया है बाकी सारा काम एनसीसीएफ का है, वहीं जब किसानों के द्वारा बेचे गए धान की रकम के भुगतान के बारे में पूंछा गया तो कहा कि हमसे कोई मतलब नही है सभी काम कम्पनी का है।

इस बारे में जब जिले के कलेक्टर धरणेन्द्र कुमार जैन से बात की गई तो उन्होंने कहा कि मेरे द्वारा प्रमुख सचिव महोदय को पत्र लिख कर अवगत करवा दिया गया है कि इस कंपनी के द्वारा कोई भी ऐसी व्यवस्था नही की गई है जिससे धान खरीदी हो सके इसलिए नागरिक आपूर्ति निगम को ही अधिकृत किया जाय ताकि धान की खरीदी हो सके।

खरीदी केंद्रों में किसान धान रख कर परेशान हैं और एनसीसीएफ के कान पर जूं तक नही रेंग रही है। इतना ही नही एक तरफ प्रदेश सरकार धान तुलवाने के बाद दो दिन में भुगतान का दावा कर रही है दूसरी तरफ भुगतान भी कम्पनी के द्वारा किया जाएगा, यदि यही रवैया रहा तो किसान धान बेचने के बाद भुगतान के लिए परेशान होता रहेगा और कहीं ऐसा भी न हो कि वेयरहाउस संचालक भी भंडारण के किराये के लिए कंपनी के अधिकारियों को खोजते नजर आएं।

गौरतलब है कि वर्ष 2021 -22 एवं 2022 -23 में इसी तरह गोग्रीन वेयरहाउसेस प्राइवेट लिमिटेड कम्पनी को भी प्रदेश सरकार से धान एवं गेंहू का रखरखाव करने के लिए अधिकृत किया गया था और उस कम्पनी द्वारा रखरखाव न कर पूर्ण रूप से लापरवाही बरती गई थी जिस पर लाखों मीट्रिक टन धान खराब हो गई थी एवं प्रदेश भर में 18 लाख मीट्रिक टन अर्थात 1 करोड़ 80 लाख क्विंटल गेंहू भी सड़ गया था जो आज भी भंडारण केंद्रों में धूल के रूप में पड़ा हुआ है, जिसकी अनुमानित कीमत 50 करोड़ 80 लाख रुपये है, इस पर किसी विधायक के द्वारा विधानसभा में प्रश्न भी उठाया गया, लेकिन सरकार जबाब नही दे सकी।

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