Unnao- श्री बाला जी मन्दिर में हुआ हवन और भंडारे का आयोजन

Unnao- बुधवार को सिविल लाइन मोहल्ला स्थित श्री बाला जी हनुमान मंदिर में हवन पूजन व कन्या भोज के बाद भंडारे का शुभारंभ किया गया। हवन और भंडारे का आयोजन मंदिर परिसर में किया गया। हवन और भंडारे में तमाम श्रद्धालुगण शामिल हुए, मंदिर भक्तो ने हवन और पूजन करने के बाद भंडारे का प्रसाद चखा।
श्री बाला जी मंदिर में संकट मोचन हनुमान जी की आरती के बाद विशाल हवन का आयोजन किया गया जिसमें सैकड़ो की संख्या में श्रद्धालुगण शामिल हुए, वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ भक्तो ने हवन में शामिल होकर आहूति दी जिसके बाद कन्याओ का पूजन कर कन्या भोज के उपरांत भंडारे का शुभारंभ किया गया। मंदिर पहुंचे सैकड़ो श्रद्धालुओ ने भंडारे का प्रसाद ग्रहण किया। मंदिर भक्तो को संबोधित करते हुए मंदिर पुजारी गोपाल कृष्ण त्रिपाठी ने सनातन धर्म मे हवन के महत्व पर प्रकाश डालते हुए बताया कि
सनातन हिंदू धर्म में हवन का विशेष महत्व होता है। पूजा-पाठ, अनुष्ठान या मांगलिक कार्यों में हवन कराने की परंपरा सदियों से चली आ रही है। महाभारत और रामायण काल से लेकर ऋषि मुनियों द्वारा हवन कराने की परंपरा का वर्णन मिलता है। हवन को हिंदू धर्म में शुद्धिकरण और सकारात्मकता का कर्मकांड माना जाता है। यही कारण है कि पूजा-पाठ समेत सभी धार्मिक कार्य हवन या यज्ञ के बिना अधूरे माने जाते हैं। हवन के महत्व को न केवल धार्मिक बल्कि वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण बताया गया है।

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अन्न दान को माना गया महादान : पुजारी

भंडारे का हिंदू धर्म में बहुत महत्व है। यह एक धार्मिक अनुष्ठान है जिसमें लोग सामूहिक रूप से भोजन प्रसादी का आयोजन करते हैं और इसे सभी के साथ साझा करते हैं। भंडारे में भोजन करने वाले सभी लोग अपनी सामर्थ्य अनुसार अन्नदान करते हैं, और इसमें किसी भी प्रकार का भेदभाव नहीं किया जाता है।
पौराणिक कथाओं के अनुसार, अन्नदान को महादान माना गया है, और यह विश्वास है कि जो चीज हम दान करते हैं, परलोक में हमें वही वस्तुएं मिलती हैं। इसलिए, भंडारे के माध्यम से लोग गरीब और जरूरतमंदों को भोजन कराते हैं, जिससे शरीर और आत्मा दोनों को संतुष्टि मिलती है। भंडारे की परंपरा धार्मिक पुण्य की प्राप्ति के लिए और समाज में समरसता और एकता को बढ़ावा देने के लिए भी महत्वपूर्ण है।

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