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Air India का या तो निजीकरण होगा या फिर पूरी तरह बंद : केंद्रीय मंत्री पुरी

नई दिल्ली। केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने शनिवार को कहा कि एयर इंडिया के निजीकरण की प्रक्रिया मई माह के अंत तक पूरी हो जाएगी। साथ ही उन्होंने कहा कि सरकार के सामने एयर इंडिया के निजीकरण करने या उसे बंद करने का ही विकल्प है। निजीकरण होने तक उसे इसे चालू रखना होगा। एक न्यूज एजेंसी से बात करते हुए उन्होंने कहा, “हमने निर्णय लिया है कि एयर इंडिया में 100 प्रतिशत विनिवेश होगा। यह विकल्प विनिवेश और गैर-विनिवेश के मध्य होगा। यह विनिवेश और बंद होने के बीच है। एयर इंडिया पर्स्ट क्लास रेटेड संपत्ति है, लेकिन उस पर ₹ 60,000 करोड़ रुपये का कर्ज है। हमें उसे साफ-सुथरा करना है।” उन्होंने कहा, “उसे नया ठिकाना ढूंढना ही होगा।”

बीते माह कई संस्थाओं ने एयरलाइन में सरकार की हिस्सेदारी खरीदने के लिए बोली लगाने में रुचि व्यक्त की थी। मंत्री ने कहा, “पिछली बैठक में, सोमवार को यह निर्णय लिया गया था कि शॉर्टलिस्ट किए गए बोलीदाताओं (एयर इंडिया विनिवेश के लिए) को सूचित किया जाए कि बोलियों को 64 दिनों के भीतर आना है … इस बार सरकार दृढ़ संकल्प है और कोई हिचकिचाहट नहीं है।”

एयरपोर्ट के निजीकरण का विरोध कर रही कांग्रेस पर पार्टी पर हमला बोलते हुए उन्होंने कहा कि जब वो सत्ता में थे जो कुछ बेहतर काम किए उनमें दिल्ली और मुंबई के हवाई अड्डों का निजीकरण था। एक दिन पहले पुरी ने टाइम्स नेटवर्क के कार्यक्रम भारत आर्थिक सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा था, ‘‘अब हम नयी समयसीमा पर विचार कर रहे हैं. मूल्य लगाने के इच्छुक पक्षों के लिए अब डाटा-रुम (सूचना संग्रह) खोल दिया गया है. वित्तीय बोलियों के लिए 64 दिन का समय होगा. उसके बाद सिर्फ फैसला लेने और एयरलाइन हस्तांतरित करने का निर्णय ही शेष होगा।”

बता दें कि एयर इंडिया सरकार की अकेले की मिल्कियत है। वह इसमें अपनी 100 की 100 प्रतिशत हिस्सेदारी के लिए खरीदार तलाशने में लगी है। लाभ में चलने वाली इंडियन एयरलाइंस का एयर इंडिया में 2007 में विलय कर दिया गया था। उसके बाद यह घाटे में डूबती गयी। पुरी ने कहा, ‘‘हमारे पास कोई विकल्प नहीं है। या तो हमें इसका निजीकरण करना होगा या इसे बंद करना होगा. एयर इंडिया अब पैसा बना रही है, लेकिन हमें अभी भी प्रतिदिन 20 करोड़ रुपये का नुकसान हो रहा है। कुप्रबंधन की वजह से एयर इंडिया का कुल कर्ज 60,000 करोड़ रुपये पर पहुंच चुका है।”

एयर इंडिया के लिए वित्त मंत्री से कोष मांगने का उल्लेख करते हुए पुरी ने कहा, ‘‘मेरी इतनी क्षमता नहीं है कि मैं बार-बार निर्मला जी के पास जाऊं और कहूं कि मुझे कुछ और पैसा दे दें।” उन्होंने कहा कि पूर्व में एयर इंडिया के निजीकरण के प्रयास इसलिए सफल नहीं हो पाए, क्यों उन्हें पूरे दिल से नहीं किया गया था। उन्होंने यह भी कहा गया कि घरेलू विमान सेवा क्षेत्र कोरोना वायरस महामारी से असर से अब उबर रहा है।

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