एक और खतरनाक वायरस एचएमपीवी की दस्तक
वर्ष 2020 में चीन से शुरू होकर कोरोना ने पूरी दुनिया में जो दहशत मचाई, उसे याद करके आज भी रोंगटे खड़े हो जाते हैं। कोरोना महामारी के भयावह दौर में दुनिया भर में लाखों लोग मारे गए, लाखों परिवार उजड़ गए, अनेक बच्चे अनाथ हो गए।
अभी तक कोरोना का खौफ बरकरार है, और कोरोना की शुरुआत के 5 साल बाद अब चीन से ही एक और ऐसे ही खतरनाक वायरस की दस्तक की खबरें दुनिया के सामने आ रही हैं, जिसके बारे में कहा जा रहा है कि यह वायरस कोरोना से भी ज्यादा खतरनाक साबित हो सकता है।
भारत में कर्नाटक, गुजरात और पश्चिम बंगाल में कुछ बच्चों में नये वायरस के मामले मिल चुके हैं, जिसके बाद भारत में सतर्कता बढ़ा दी गई है। बताया जा रहा है कि यह वायरस बच्चों और बुजुगरे को सबसे ज्यादा प्रभावित कर रहा है। कमजोर प्रतिरक्षा वाले रोगियों में यह संक्रमण निमोनिया में परिवर्तित हो जाता है, और उनमें मौत का जोखिम बढ़ जाता है। हाल के दिनों में कई रिपोटरे में बताया जा चुका है कि ह्यूमन मेटान्यूमोवायरस (एचएमपीवी) नामक वायरस ने इन दिनों चीन में दहशत फैला रखी है।
इस खतरनाक वायरस के कारण बड़ी संख्या में मरीज मर रहे हैं, लेकिन कोविड की ही भांति चीन द्वारा इसे लेकर भी लीपापोती की जा रही है। हालांकि कुछ रिपोटरे में दावा किया जा रहा है कि इस वायरस के बढ़ते प्रकोप को देखते हुए आपातकाल की स्थिति घोषित कर दी गई है, लेकिन इसकी पुष्टि नहीं हुई है। बताया जा रहा है कि उत्तर चीन के प्रांतों में 14 वर्ष से कम उम्र के लोगों में एचएमपीवी के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। खचाखच भरे अस्पताल और श्मशानों में बेतहाशा भीड़ इस संकट के कोरोना जैसा या उससे भी बदतर होने की पुष्टि कर रहे हैं।
सोशल मीडिया पर ‘सार्स-सीओवी-2 (कोविड-19)Ó नामक एक्स हैंडल द्वारा पोस्ट में लिखा गया है कि चीन एचएमपीवी, इन्फ्लूएंजा ए, माइकोप्लाज्मा न्यूमोनिया और कोविड-19 सहित कई वायरस के मामलों में उछाल का सामना कर रहा है, और वहां के अस्पताल निमोनिया और ‘व्हाइट लंगÓ के मामलों से खासे परेशान हैं। एचएमपीवी वायरस का प्रकोप भी सबसे पहले चीन में ही शुरू हुआ है। दरअसल, र्बड फ्लू से लेकर सार्स और कोविड तक सभी महासंहारक वायरल प्रकोपों की उत्पत्ति चीन से ही होती रही है।
चूंकि सभी वायरस चीन में ही पैदा होते रहे हैं, इसलिए ऐसे वायरस हमलों को लेकर दुनिया में चीन को लेकर संदेह का माहौल बना हुआ है कि कहीं कोविड-19 के बाद खतरनाक होता एचएमपीवी भी चीन की जैविक प्रयोगशालाओं में रची जा रही साजिश तो नहीं है। हालांकि डच शोधकर्ताओं ने 2001 में सबसे पहले सन संबंधी बीमारियों से पीड़ित बच्चों में इस वायरस की खोज की थी और हर साल कई देशों में इसके कुछ मामले सामने आते रहे हैं, लेकिन चीन में जिस तरह इस वायरस ने आतंक मचाया हुआ है, ऐसे में भारत ने भी सतर्कता बढ़ा दी है। राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र स्थिति पर नजर रखे हुए है तथा अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों के संपर्क में है। स्वास्थ्य सेवा महानिदेशक डॉ. अतुल गोयल का कहना है कि बताया गया है कि चीन में मेटान्यूमोवायरस वायरस का एक आउटब्रेक है, जो गंभीर है। हालांकि उनका कहना है कि हमें नहीं लगता कि भारत में किसी गंभीर स्थिति की आशंका है।
दिल्ली मेडिकल काउंसिल के चेयरमैन एवं बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. अरुण गुप्ता का कहना है कि भारत में इस वायरस के कारण बीमारी बढऩे की अभी आशंका नहीं है। अमेरिकी रोग नियंत्रण एवं रोकथाम केंद्र के अनुसार, एचएमपीवी सभी उम्र के लोगों में अपर और लोअर रेस्पिरेटरी डिजीज का कारण बन सकता है। संक्रमित व्यक्ति के खांसने-छींकने से निकलने वाले स्रव या नजदीकी संपर्क जैसे हाथ मिलाने से भी यह वायरस फैलता है। एचएमपीवी वायरस न्यूमोवायराइड और मेटान्यूमो वायरस जीनस का हिस्सा है, जो सिंगल-स्ट्रैंडेड नेगेटिव-सेंस आरएनए वायरस है।
चाइनीज सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन के अनुसार, इस वायरस का संक्रमणकाल तीन से पांच दिन होता है। इसके संक्रमण से रोग-प्रतिरोधी क्षमता कमजोर होती है। एचएमपीवी कोरोना की ही भांति सन पथ को संक्रमित करता है, हालांकि कोरोना के मुकाबले इसके कारण ऊपरी और निचले, दोनों सन पथ में संक्रमण का खतरा हो सकता है। विशेषज्ञों के मुताबिक यह कम पहचाना वायरस है, लेकिन दुनिया भर में मौसमी सन बीमारियों में योगदान कर रहा है। एचएमपीवी में कोरोना ही भांति फ्लू जैसे लक्षण दिखते हैं। सामान्य लक्षणों में खांसी, बुखार, नाक बंद होना, गले में खराश और सांस लेने में तकलीफ शामिल हैं। इससे बचाव के उपायों में हाथों को बार-बार साबुन और पानी से धोना, खांसते और छींकते समय मुंह और नाक ढंकना, संक्रमितों से दूरी बनाना, स्वस्थ आहार और पर्याप्त नींद लेना, फ्लू के टीके लगवाना इत्यादि शामिल हैं।