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कोरोना की दूसरी लहर है ख़तरनाक, आरटी-पीसीआर को भी दे रहा धोखा, लक्षण में भी बदलाव

देहरादून। इस बार कोरोना की दूसरी लहर जितनी तेजी से फैल रही है, वो ज्यादा खतरनाक साबित हो रही है। कई बार आरटी-पीसीआर रिपोर्ट में भी ये कोरोना पकड़ में नहीं आ रहा है। इस बार कोरोना की दूसरी लहर जितनी तेजी से फैल रही है, वो ज्यादा खतरनाक साबित हो रही है। कई बार आरटी-पीसीआर रिपोर्ट में भी ये कोरोना पकड़ में नहीं आ रहा है। रिपोर्ट निगेटिव आती है और मरीज में कोरोना के लक्षण होते हैं। ऐसे में मरीज में कोरोना वायरस की पहचान के लिए दूसरे टेस्ट करने पड़ रहे हैं। साथ ही अब कोरोना के लक्षण में भी बदलाव आ रहा है।

बढ़ रही ऐसे मरीजों की तादात
कोरोना की दूसरी लहर ने देश को बुरी तरह से अपने चपेट में ले लिया है। फरवरी महीने में 15,000 के नीचे जा चुके मामले अब पिछले चार दिनों में हर दिन डेढ़ लाख के पार जा रहे हैं। इस भयावह स्थिति में अब तक कोविड टेस्टिंग में ज्यादा भरोसेमंद रहे आरटी-पीसीआर टेस्ट को लेकर भी शंकाएं खड़ी हो गई हैं। इस बार RT-PCR में भी कोरोना पकड़ में नहीं आ रहा है। इसको लेकर सीटी-स्कैन और ब्रोंकोस्कोपी करनी पड़ रही है। तब जाकर वायरस पकड़ में आ रहा है। ऐसे मरीजों की तादाद इस बार ज्यादा है।

नाक और गले से नहीं आ रहा पकड़ में
दिल्ली के गंगाराम अस्पताल के सूत्रों की मानें तो पहले गला और नाक ये दो अंग थे, जिनसे कोरोना को पकड़ रहे थे। अब वहां से पकड़ में नहीं आ रहा। सीटी स्कैन से पकड़ में आ रहा है। पहले ये ग्रोथ में 7 से 10 दिन लगाता था। अब किसी-किसी मामले में RT-PCR निगेटिव है, पर तीसरे ही दिन सीटी स्कैन में कोरोना के लक्षण दिख रहे हैं।

अब ऐसे कई मरीज साने आ रहे हैं जिनके लक्षण कोविड के होते हैं पर टेस्ट में नेगेटिव होते हैं। लक्षण कोविड का दिखता है तो 4-5 दिन ऑब्जर्व करने के बाद अगला कदम पहले छाती का सीटी-स्कैन करने का उठाया जा रहा है। इसके साथ ही सांस की नली में ट्यूब डालकर (ब्रोंकोस्कोपी) की जा रही है और फेफड़ों से फ्लूड लिया जा रहा है। जो सामान्य तौर पर नाक से लेने पर सैंपल नेगेटिव आ रहा था, इस विधि से पॉजिटिव आ रहा है।

लक्षण में भी दिख रहे बदलाव
इस बार कोरोना में नए लक्षण भी दिख रहे हैं। कोरोना के मरीजों में लूज मोशन, डायरिया भी मिल रहा है। शुरुवाती दिनों में कोरोना के मरीज को सूखी खांसी की शिकायत रहती थी, अब बलगम भी आ रहा है। सूंघने की समस्या पिछली बार ज्यादा थी। इस बार कम है। पहले इनक्यूबेशन पीरियड 3-7 दिन था। अब 1 से 3 दिन है। 1 से 3 दिनों में तेजी से निमोनिया फैलता है।

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