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प्रधानमंत्री मोदी से लेकर मुख्यमंत्री योगी तक, जानें क्यों लॉकडाउन को खारिज कर रही हैं भाजपा की सरकारें?

नई दिल्ली। देश में कोरोना संक्रमण से बिगड़ते हालात के बीच मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश को संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने कहा कि कठिन स्थितियां हैं, कड़ी चुनौती है, लेकिन इन सबपर पार पाया जाएगा। सबको मिल कर कोरोना से लड़ना है और उस पर काबू पाना है। प्रधानमंत्री ने अपने संदेश में राज्यों को लॉकडाउन लगाने से बचने की सलाह दी और कहा कि कोरोना से मुकाबले के लिए लॉकडाउन का इस्तेमाल ‘अंतिम विकल्प’ के रूप में किया जाए।

वहीं, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को सूबे में लॉकडाउन न लगाना पड़े इसके लिए उनकी सरकार सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गई। अब सवाल उठता है कि आखिर पीएम मोदी से सीएम योगी तक बीजेपी सरकारें क्यों लॉकडाउन की संभावना खारिज कर रही हैं?

पीएम मोदी की लॉकडाउन से बचने की सलाह
राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन की संभावना को खारिज करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, ‘साथियों! आज की स्थिति में हमें देश को लॉकडाउन से बचाना है। मैं राज्यों से भी अनुरोध करूंगा कि वे लॉकडाउन को अंतिम विकल्प के रूप में ही इस्तेमाल करें। लॉकडाउन से बचने की भरपूर कोशिश करनी है। माइक्रो कंटेनमेंट जोन पर ही ध्यान केंद्रित करना है। हम अपनी अर्थव्यवस्था की सेहत भी सुधारेंगे और देशवासियों की सेहत का भी ध्यान रखेंगे।’ पीएम मोदी ने साफ कर दिया है कि देशव्यापी लॉकडाउन नहीं लगाया जाएगा। इसी के साथ राज्यों को संदेश दे दिया है कि लॉकडाउन लगाने से बचें और दूसरे विकल्पों पर विचार करें।

लॉकडाउन न लगाने के लिए योगी सरकार SC पहुंच गई
वहीं, उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ सहित कई बड़े शहरों में कोरोना के कहर से हालात खराब होते जा रहे हैं। ऐसे में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने सोमवार को लखनऊ, कानपुर और वाराणसी सहित पांच शहरों में 26 अप्रैल तक पूर्ण लॉकडाउन लगाने का आदेश दिया था। हाई कोर्ट के आदेश के बावजूद योगी सरकार यूपी में लॉकडाउन लगाने को तैयार नहीं हुई और इस आदेश पर रोक लगवाने के लिए सुप्रीम कोर्ट तक जा पहुंची, जिसमें वो सफल भी रही। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद योगी सरकार ने यूपी में केवल वीकेंड पर ही कर्फ्यू लगाने की घोषणा है और साथ ही साफ कर दिया है कि फिलहाल यूपी में पूर्ण लॉकडाउन का इरादा नहीं है।

यूपी की योगी सरकार ने कहा कि सख्ती के साथ कोरोना को नियंत्रण किया है और सरकार ने कई कदम उठाए हैं और आगे भी सख्त कदम उठाए जा रहे हैं। जीवन बचाने के साथ-साथ गरीबों की आजीविका भी बचानी है, जिसके चलते लॉकडाउन नहीं लगा सकते हैं। राज्य सरकार ने उपचार के साथ-साथ सख्ती के जो कदम उठाए हैं, उससे कोरोना की रोकथाम में मदद मिलेगी। ऐसे में प्रदेश सरकार फिलहाल पूर्ण लॉकडाउन लगाने पर विचार नहीं कर रही। योगी सरकार को पीएम मोदी के संदेश से भी बल बिल गया है।

एमपी और हरियाणा भी लॉकडाउन के खिलाफ
कोरोना से निपटने के लिए एक तरफ गैर-बीजेपी शासित कई राज्य सरकारें लॉकडाउन लगा रही हैं, लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर सीएम योगी सहित बीजेपी शासन वाले राज्य लॉकडाउन लगाने से बच रहे हैं। बीजेपी शासित यूपी में वीकेंड कर्फ्यू लगाया गया है तो मध्य प्रदेश में शिवराज सरकार ने राज्य के कई बड़े शहरों में कोरोना के आउट ऑफ कंट्रोल होने पर कोरोना कर्फ्यू के तहत तमाम पाबंदियां 30 अप्रैल तक लगा रखी हैं। हालांकि शिवराज सरकार इसे लॉकडाउन नहीं मान रही बल्कि कोरोना कर्फ्यू का नाम दिया है। मुख्यमंत्री शिवराज ने खुद कहा कि लॉकडाउन लगाने की जरूरत नहीं है। ऐसे ही हरियाणा सरकार ने भी कहा कि फिलहाल प्रदेश में लॉकडाउन लगाने का कोई विचार नहीं है, सख्ती और सतर्कता से कोरोना को हराया जा सकता है।

लॉकडाउन लगाने से क्यों बच रहे पीएम मोदी
बता दें कि कोरोना से लड़ाई में लॉकडाउन को हथियार के रूप में इस्तेमाल करके प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पिछले साल विपक्ष की आलोचनाओं का सामना करना पड़ा था। इतना ही लॉकडाउन के चलते लाखों लोगों की नौकरियां गईं थीं, लाखों प्रवासी मजदूरों को दरबदर होना पड़ा था। भारतीय अर्थव्यवस्था को तगड़ा झटका लगा था। शायद इन्हीं कारणों के चलते पीएम मोदी ने देश के नाम अपने 19 मिनट के भाषण में 4 बार लॉकडाउन शब्द का इस्तेमाल किया, लेकिन राज्यों को इसे न लगाने की सलाह देते दिखे। वहीं, बीजेपी शासित राज्यों के मुख्यमंत्री कोरोना के कहर के बावजूद अपने-अपने प्रदेशों में लॉकडाउन न लगाने के लिए तमाम तर्क दे रहे हैं, उसके पीछे उनकी अपनी सियासी मजबूरियां हैं, जिसके चलते ये सरकारें लॉकडाउन लगाने से पीछे हट रही हैं।

लॉकडाउन से आर्थिक गतिविधियों पर पड़ेगा असर
वरिष्ठ पत्रकार सिद्धार्थ कलहंस कहते हैं कि योगी सरकार लॉकाडाउन नहीं लगा रही है तो इसके पीछे सबसे बड़ी बजह यह है कि सरकार ने पहले ही सख्त लहजे में कह दिया था कि इस बार लॉकडाउन नहीं लगाएगी। ऐसे में अब हाई कोर्ट के आदेश पर लॉकडाउन लगाती है तो सरकार के फेल्योर होने का मैसेज जनता के बीच जाएगा। इसीलिए योगी सरकार लॉकडाउन लगाने से बच रही है। दूसरी बात यह है कि देश के संबोधन में जिस तरह से पीएम मोदी ने लॉकडाउन न लगाने की सलाह दी है, उससे जाहिर होता है कि बीजेपी शासित राज्यों को पहले से ही इसकी जानकारी दे दी गई थी। इसीलिए बीजेपी शासन वाले राज्य लॉकडाउन न लगाने की बात कह रहे हैं।

सिद्धार्थ कलहंस कहते हैं कि लॉकडाउन लगाया जाता है तो राज्य की आर्थिक स्थिति पर उसका सीधा असर पड़ेगा। पिछली बार लॉकडाउन लगाए जाने से सारी आर्थिक गतिविधियां ठप हो गई थी और मजदूर पलायन कर गए थे। इसके चलते कई राज्य अभी तक ऊभर नहीं पाए हैं। व्यापारियों की आर्थिक तौर पर पहले से ही कमर टूट चुकी है। पीएम मोदी के भारतीय अर्थव्यवस्था के 5 ट्रिलियन पहुंचाने के सपनों पर ग्रहण लगा हुआ है। लॉकडाउन लगाने से राज्य के वित्तीय कोष पर भी असर पड़ता है। सरकारों को राशन बांटने पड़ेंगे और जो मजदूरों को स्थानीय स्तर पर रोजगार देने की व्यवस्था करनी होगी। ऐसे में पीएम मोदी इस बार लॉकडाउन लगाने के पक्ष में नहीं हैं, जिसका पालन तमाम बीजेपी शासित राज्य भी कर रहे हैं।

लॉकडाउन के लगने से 2 फीसदी GDP के कम होने का अनुमान
अमेरिकी ब्रोकरेज कंपनी बोफा सिक्योरिटीज ने सोमवार को आगाह करते हुए कहा कि भारत में राष्ट्रव्यापी स्तर पर अगर एक महीने का ‘लॉकडाउन’ लगाया जाता है तो जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) में 2 प्रतिशत तक की गिरावट आ सकती है। ब्रोकरेज कंपनी ने उम्मीद जतायी है कि कोविड महामारी को फैलने से रोकने के लिये स्थानीय स्तर पर ही ‘लॉकडाउन’ लगाया जाएगा। रिपोर्ट के अनुसार, ‘यह देखने की बात है कि क्या कोरोना की दूसरी लहर राष्ट्रीय स्तर पर ‘लॉकडाउन’ के बिना समाप्त होगी। उच्च आर्थिक लागत को देखते हुए, रिपोर्ट में अनुमान है कि केंद्र और राज्य सरकारें कोरोना की रोकथाम से जुड़े नियमों (मास्क, उचित दूरी आदि) को कड़ाई से लागू कर, रात्रि कर्फ्यू और स्थानीय स्तर पर ‘लॉकडाउन’ के जरिए अंकुश लगाने का प्रयास करेंगी।

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