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अयोध्या मामले की मध्यस्थता के लिए शाहरुख खान को भी शामिल करना चाहते थे जस्टिस बोबडे, जानें फिर क्या हुआ

नई दिल्ली। भारत के 47वें मुख्य न्यायाधीश शरद अरविंद बोबडे आज सेवानिवृत्त हो गए. उनके रिटायरमेंट समारोह में एक दिलचस्प जानकारी निकल कर सामने आई. जस्टिस बोबडे फ़िल्म स्टार शाहरुख खान को भी अयोध्या मामले की मध्यस्थता प्रक्रिया में शामिल करना चाहते थे. शाहरुख भी इसके लिए सहमत थे. लेकिन बात आगे नहीं बढ़ पाई.

8 मार्च 2019 को अयोध्या मामले की सुनवाई के दौरान जस्टिस बोबडे ने ही एक मध्यस्थता कमिटी के गठन का सुझाव दिया था. इसके बाद सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज एफ एम कलीफुल्ला, धर्म गुरु श्री श्री रविशंकर और वरिष्ठ वकील श्रीराम पंचु का मध्यस्थता पैनल बना था. पैनल को सभी पक्षों से बात कर मसले का सर्वमान्य हल निकालने की कोशिश करने को कहा गया था.

आज सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष विकास सिंह ने चीफ जस्टिस के विदाई समारोह में बोलते हुए कहा कि मध्यस्थता प्रक्रिया के दौरान जस्टिस बोबड़े इसकी कामयाबी को लेकर बहुत उत्सुक थे. उन्होंने विकास सिंह को फ़िल्म स्टार शाहरुख खान से बात करने के लिए कहा था. सिंह ने कहा, “चूंकि मेरा शाहरुख खान के परिवार से पुराना परिचय है.

इसलिए, जस्टिस बोबड़े के कहने पर मैंने शाहरुख से बात की. शाहरुख भी इसमें दिलचस्पी रखते थे. उनका मानना था कि मंदिर की आधारशिला कोई मुस्लिम रखे और मस्जिद की कोई हिंदू, इससे एकता बढ़ेगी. लेकिन मध्यस्थता आगे नहीं बढ़ पाई.”

जस्टिस बोबड़े ने इस मसले पर कुछ नहीं कहा
हालांकि, समारोह के अंत में जब जस्टिस बोबडे के बोलने की बारी आई तो उन्होंने इस मसले पर कुछ नहीं कहा. बतौर चीफ जस्टिस 17 महीने के कार्यकाल के बाद रिटायर हो रहे बोबड़े ने कहा कि वह अच्छी यादें लेकर विदा हो रहे हैं. आज उनके कार्यकाल के अंतिम दिन कोरोना को लेकर उनकी तरफ से लिए गए संज्ञान पर विवाद हो गया था.

कुछ वरिष्ठ वकीलों ने बिना कोर्ट का आदेश पढ़े टिप्पणी कर दी थी कि सुप्रीम कोर्ट अलग-अलग हाई कोर्ट में चल रही सुनवाई को रोकना चाहता है. चीफ जस्टिस ने कहा, “वकीलों और जजों को एक-दूसरे के प्रति सम्मान और विश्वास रखना चाहिए. इस संस्था को सुचारू रूप से चलाने और लोगों तक न्याय पहुंचाने के लिए ज़रूरी है.”

चीफ जस्टिस बोबड़े के कार्यकाल के दौरान कोविड से जब पूरा देश रुक गया, तब भी उन्होंने सुप्रीम कोर्ट को रुकने नहीं दिया. उनके नेतृत्व में पिछले साल सुप्रीम कोर्ट बाकी सालों की तुलना में ज़्यादा काम किया. कोर्ट ने बिना एक दिन गंवाए वीडियो कांफ्रेंसिंग से काम शुरू किया और ज़रूरी मामलों की सुनवाई की. समारोह के दौरान एटॉर्नी जनरल के के वेणुगोपाल समेत तमाम अतिथियों ने इसके लिए जस्टिस बोबड़े की सराहना की.

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