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कोरोना के खिलाफ जारी जंग में भारत के साथ खड़े हुए अन्य देश, अमेरिका भी सक्रिय

नई दिल्ली। भारत में गहराए कोरोना संकट के बीच दुनिया के कई देशों से मदद आना शुरू हो गई है. सिंगापुर और संयुक्त अरब अमीरात से जहां टैंकर पहुंच रहे हैं. वहीं फ्रांस, रूस, सऊदी अरब के बाद अब अमेरिका ने भी मदद का हाथ बढ़ाया है.

अमेरिका ने भारतीय वैक्सीन निर्माताओं की जरूत पूरी करने के साथ ही डायग्नोस्टिक किट, पीपीई किट और वेंटिलेटर पहुंचाने का ऐलान किया है. अमेरिका से 318 ऑक्सीजन कन्संट्रेटर की एक खेप सोमवार को एयर इंडिया विमान में न्यूयॉर्क से नई दिल्ली पहुंच भी चुकी है. वहीं, बीती रात 500 बाइपेप मशीनें और 250 ऑक्सीजन कन्संट्रेटर सिंगापुर से एयर इंडिया की फ्लाइट में मुंबई पहुंची हैं.

ब्रिटेन की तरफ से वेंटिलेटर, ऑक्सीजन कन्संट्रेटर भिजवाई जा रही है
यूरोपीय संघ ने भारत को तत्काल सहायता मुहैया कराने के लिए सिविल प्रोटेक्शन मेकेनिज़्म को सक्रिय कर दिया है. यूरोपीय संघ की अध्यक्ष उर्सुला वोन दर ली ने कहा है कि यूरोपीय संघ अपने संसाधनों को जुटा रहा है ताकि भारत तक फौरन मदद पहुंचाई जा सके.

इसके अलावा ब्रिटेन की तरफ से वेंटिलेटर, ऑक्सीजन कन्संट्रेटर और अन्य चिकित्सा सामग्री भिजवाई जा रही है जो मंगलवार 27 अप्रैल तक भारत पहुँच जायगी. ब्रिटिश सरकार के मुताबिक 495 ऑक्सीजन कंसेंट्रेटर, 140 वेंटिलेटर भारत भेजे जा रहा है.

इसके अलावा जल्द ही रूस से भी बड़ी ऑक्सीजन कनसंट्रेटर और चिकित्सा इस्तेमाल वाली ऑक्सीजन के परिवहन में इस्तेमाल होने वाले बड़े टैंकर विशेष उड़ान के जरिए जवान किए जा रहे हैं. खाड़ी मुल्कों में सऊदी अरब ने भारत के लिए 80 मीट्रिक टन तरल ऑक्सीज़न मुहैया कराने का फैसला किया है. वहीं भारतीय वायुसेना के विमान अब तक दो बार आधा दर्जन से अधिक की संख्या में भारी भरकम क्रायोजेनिक टैंकर संयुक्त अरब अमीरात से लेकर भारत पहुंच चुके हैं.

अमेरिका ने भारत के लिए हर सम्भव मदद करने का ऐलान किया
सोमवार को दुबई से भारतीय वायुसेना का सी17 विमान ऑक्सीजन टैंकर लेकर पहुंचा. इस बीच भारत में कोरोना संकट के बीच अमेरिका का अब तक नज़र आए रवैये को लेकर उठी आलोचनाओं का बाद वाशिंगटन ने बीते 24 घटों में काफी सक्रियता दिखाई है. भारत और अमेरिका के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों के बीच 25 अप्रैल को हुई फोन वार्ता के बाद, अमेरिका ने भारत के लिए हर सम्भव मदद करने का ऐलान किया.

अमेरिका के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जेक सुलिवन और भारत के एनएसए अजीत डोवाल के बीच बातचीत के बाद जारी बयान में कहा गया कि भारतीय वैक्सीन कोविशील्ड के उत्पादन के लिए जरूरी सामग्री के लिए जरूरी सामग्री की पहचान कर ली गई है, उसे तत्काल भारत को उपलब्ध कराया जा रहा है.

ध्यान रहे कि कोविशील्ड बना रही सीरम इस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के मुखिया आदर पूनावाला ने बीते दो हफ्तों के दौरान अमेरिका से वैक्सीन निर्माण के लिए ज़रूरी समान के आयात में हो रही परेशानियों का मामला उठाया था. इस मामले पर भारत सरकार ने भी अमेरिका का आगे अपनी चिंताएं और परेशानी दर्ज कराई थी.

अमेरिका भारत के साथ नहीं खड़ा हुआ तो भारतीय जनमानस पर विपरीत प्रभाव होगा
इस बीच सूत्रों के मुताबिक भारत ने अमेरिका को इस बाबत भी जता और बता दिया था कि मुसीबत के इस वक्त में वाशिंगटन की तरफ से किसी सहायता या सहानुभूति के बयानों का न आना रिश्तों के लिए कांटे पैदा कर सकता है. थिंकटैंक ओआरएफ में रणनीतिक मामलों के जानकार प्रो हर्ष पंत कहते हैं कि अमेरिका की तरफ से उदासीनता का रवैया किसी भी तरह से उचित नहीं कहा जा सकता था.

साथ ही अमेरिकी नागरिकों के टीकाकरण को मानवता की प्राथमिकता बताने जैसे बयान दम्भ की छवि बनाते हैं. ऐसे में भारत की तरफ से गए सन्देशों में अमेरिका को भी यह समझ आ गया होगा कि संकट के इस समय में अगर वो भारत के साथ खड़ा नहीं होगा तो इसका भारतीय जनमानस पर विपरीत प्रभाव होगा.

जिसका आगे जाकर खामियाजा उसे भी उठाना पड़ सकता है. क्योंकि भारत ने कोविड संकट के दौरान अमेरिका को जहां हाइड्रोक्सीक्लोरोक्विन दवा मुहैया कराने में देरी नहीं की थी. वहीं अमेरिका अगर अपने अतिरिक्त भंडार के मुंह भी नहीं खोलता है तो इससे भारत में उसकी दोस्ती को लेकर अविश्वास ही बढ़ेगा.

वैश्विक कोष से भी भारत के लिए संसाधन मुहैया कराने में जुटा है अमेरिका
बहरहाल, भारत से गए सख्त सन्देशों का ही असर था कि अचानक जो बाइडन प्रशासन हरकत में आया. जिसके बाद अमेरिका ने ऐलान किया कि वो भारत की ऑक्सीजन जनरेटर की जरूरत पूरी करने के लिए भी तत्काल मदद पर विचार कर रहा है.

साथ ही अमेरिका की शीर्ष मेडिकल संस्था सीडीसी के विशेषज्ञों की एक टीम भी भारत की मदद के लिए तैनात करने की घोषणा की जो अमेरिकी दूतावास, भारतीय स्वास्थ्य मंत्रालय और भारत के एपिडेमोलॉजिकल इंटेलिजेंस स्टाफ के साथ मिलकर काम करेगी.

इसके अलावा सीडीसी अपने वैश्विक कोष से भी भारत के लिए संसाधन मुहैया कराने में जुटा है. अमेरिका के रक्षा मंत्री लॉईड ऑस्टिन ने भी बयान जारी कर कहा कि भारत तक मदद पहुंचाने के लिए अमेरिकी सैन्य परिवन और लॉजिस्टिक सुविधाओं का इस्तेमाल किया जाएगा. वहीं अमेरिका की उपराष्ट्रपति कमल हैरिस की तरफ से भी 25 अप्रैल को ट्वीट कर कोविड संकट में भारत के लिए सहानुभूति व पूरी सहायता की बात की गई.

भारत ने दवाओं से लेकर टीकों तक कई मोर्चों पर देशों को मदद पहुंचाई थी
हालांकि हर्ष पंत जैसे जानकार कहते हैं कि कोरोना संकट की पहली वेव ने जहां हमें चीन पर सप्लाय चैन निर्भरता कम करने के सबक दिए. वहीं दूसरी वेव ने सिखाया है कि अमेरिका पर भी सप्लाय चेन निर्भरता को कम करने की ज़रूरत है. ताकि महामारी जैसे संकट के समय भारत को टीकों के उत्पादन में किसी अन्य मुल्क की तरफ न देखना पड़े.

गौरतलब है कि जिस वक्त अमेरिका समेत कई अन्य देश भारत के मुकाबले कहीं अधिक मामलों से जूझ रहे थे तब भारत ने दवाओं से लेकर टीकों तक कई मोर्चों पर उन्हें मदद पहुंचाई. दो दिन पहले ऑस्ट्रेलिया की विदेश मंतर मेरिस पेन ने बाकायदा ट्वीट कर कहा कि भारत ने उदारता और नेतृत्व दिखाते हुए इस क्षेत्र में कई देशों को वैक्सीन मुहैया कराए. इस संकट की इस घड़ी में हम भारत के साथ हैं मिककर काम कर रहे हैं ताकि इस वैश्विक चुनौती का मुकाबला किया जा सके.

वहीं, जब भारत में कोरोना मामलों का ग्राफ और मेडिकल सुविधाओं का दबाव बढ़ा है तो स्वाभाविक है कि भारत ने भी अपने मित्र देशों से कुछ ज़रूरी सामानों की सहायता का आग्रह किया है. इसमें खास ज़ोर मोबाइल ऑक्सीजन जनरेटर, ऑक्सीजन कन्संट्रेटर और रेमदेसीवीर जैसी ज़रूरी दवाएं का आग्रह किया है. भारत की इस अपील का बाद ही कि मुल्कों से सहायता का प्रस्ताव हासिल हुए हैं.

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