बसपा प्रमुख मायावती का बड़ा फैसला, लालजी वर्मा और रामअचल राजभर को दिखाया पार्टी से का बाहर रास्त

लखनऊ। अनुशासनहीनता और धोखाधड़ी को जरा सा भी बर्दाश्त न करने वाली बहुजन समाज पार्टी की अध्यक्ष मायावती ने गुरुवार को बड़ा एक्शन ले लिया है। मायावती ने पार्टी के दो बड़े नेताओं लालजी वर्मा और राम अचल राजभर को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया है। लालजी वर्मा और राम अचल राजभर बहुजन समाज पाटी के संस्थापक सदस्यों में से एक थे। वह स्वर्गीय कांशीराम के समय से बहुजन समाज पार्टी से जुड़े थे। इनको बसपा की मुखिया मायावती ने गुरुवार को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया है। लालजी वर्मा पार्टी के विधायक दल के नेता हैं जबकि राम अचल राजभर पूर्व प्रदेश अध्यक्ष हैं।

शाह आलम उर्फ गुड्डू जमाली को पार्टी के विधायक दल का नया नेता
मायावती ने राजभर को नेता विधान मंडल पद से भी हटाया है। उनके स्थान पर आजमगढ़ के मुबारकपुर से लगातार दूसरी बार विधायक बने शाह आलम उर्फ गुड्डू जमाली को पार्टी के विधायक दल का नया नेता बनाया है। वह विधानसभा में पार्टी के नेता विधानमंडल दल होंगे। बहुजन समाज पार्टी की तरफ से इस बार पंचायत चुनाव के दौरान पार्टी विरोधी गतिविधियों में लिप्त कार्यकर्ता व पदाधिकारियों के साथ विधायकों पर भी गाज गिरने लगी है। बसपा प्रमुख मायावती ने गुरुवार को अंबेडकरनगर के कटेहरी से विधायक लालजी वर्मा व अकबरपुर से विधायक राम अचल राजभर को पार्टी से निष्कासित कर दिया।

इन दोनों नेताओं की नजदीकियां पिछले कई दिनों से समाजवादी पार्टी से बढ़ने लगी थी। दोनों ने सपा मुखिया अखिलेश यादव से मिलने का समय भी मांगा है। पंचायत चुनाव के दौरान से ही पार्टी इन दोनों विधायकों से नाराज है। दोनों विधायकों ने पार्टी के उम्मीदवारों की जगह दूसरे उम्मीदवारों का समर्थन किया था।बसपा प्रमुख ने पंचायत चुनाव के दौरान इन दोनों के पार्टी विरोधी गतिविधियों में लिप्त होने के चलते यह कड़ी कार्रवाई की है। इनके पहले भी गौतमबुद्धनगर जिले में बसपा मुखिया ने पदाधिकारियों पर कार्रवाई की थी।

मायावती को  मिली थी शिकायत
उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती को शिकायत मिली थी कि अम्बेडकर नगर में लालजी वर्मा और राम अचल राजभर ने जिला पंचायत चुनाव में पार्टी के अधिकृत प्रत्याशियों का साथ नहीं दिया है। इन दोनों पर पंचायत चुनाव में पार्टी से धोखा करने का आरोप लगाकर मायावती ने बाहर का रास्ता दिखा दिया है। लालजी वर्मा और राम अचल राजभर अभी भी बसपा से विधायक हैं और दोनों का पार्टी में काफी बड़ा कद था। लालजी वर्मा तो प्रदेश में बसपा की हर सरकार में मंत्री रहे हैं। उनके शुक्रवार तक समाजवादी पार्टी में भी शामिल होने के कयास लगाए जा रहे हैं।

दोनों दिग्गज नेताओं के पार्टी के कार्यक्रमों में भी जाने पर रोक
विधायक लाल जी वर्मा और विधायक राम अचल राजभर की बसपा से निष्कासित करने की कार्रवाई के बाद जारी पत्र में कहा गया है कि इन दोंन विधायकों को अब पार्टी के किसी कार्यक्रम में नहीं बुलाया जाएगा। न ही बसपा की तरफ से कभी चुनाव लड़ाया जाएगा। इन दोनों दिग्गज नेताओं को पार्टी से निकाले जाने के बाद यूपी की राजनीति में सरगर्मियां और तेज हो गई हैं। बसपा में पहले भी कई बार टूट हो चुकी है। अब इन दोनों दिग्गज नेताओं का रुख क्या होगा, इस पर सबकी नजर है। दोनों दिग्गज नेताओं के पार्टी के कार्यक्रमों में भी जाने पर रोक लगा दी गई है।

मायावती के बेहद करीबी रहे हैं वर्मा
बहुजन समाज पार्टी से विधायक रहे लालजी वर्मा 17वीं विधानसभा से उत्तर प्रदेश के सदस्य हैं और प्रदेश के अंबेडकर नगर जिले के कटेहरी निर्वाचन क्षेत्र हैं। वर्मा ने 2017 विधानसभा चुनाव में BJP के अवधेश कुमार को हराया था। मूल रूप से अंबेडनगर के मोहिउद्दीनपुर गांव में 5 जनवरी 1955 को जन्में लालजी वर्मा ने कृषि विज्ञान विषय में एमएससी की शिक्षा हासिल की है। लालजी वर्मा की पत्नी शोभावती भी राजनीतिक क्षेत्र में सक्रिय रह चुकी हैं। वह जिला पंचायत अध्यक्ष भी रहीं हैं।

रामअचल ने बसपा से ही की राजनीतिक सफर की शुरुआत
रामअचल राजभर ने राजनीतिक कॅरियर की शुरुआत अकबरपुर ब्‍लाॅक प्रमुख चुनाव से की थी। 1991 में वह बसपा से विधायकी का चुनाव लड़े लेकिन हार गए। 1993 में फिर वह बसपा से विधानसभा चुनाव लड़े और जीत हासिल की। इसके बाद वह 1996, 2002 और 2007 में विधायक बने। 2007 में बसपा की सरकार बनने के बाद उन्हें परिवहन मंत्री बनाया गया था। परिवहन मंत्री रहते राजभर ने इस क्षेत्र में लोगों को सुविधाओं की झड़ी लगा दी। उन पर घोटाले के कई आरोप भी लगे। 

मायावती ने इससे पहले भी पार्टी के खिलाफ काम करने के आरोप में पार्टी के बड़े नेताओं को बाहर कर दिया है। इनमें आरके चौधरी, नसीमुद्दीन सिद्दीकी बाबू सिंह कुशवाहा, इंद्रजीत सरोज, स्वामी प्रसाद मौर्या, रामवीर उपाध्याय व जुगुल किशोर जैसे कुछ नाम हैं, जिनको मायावती ने पार्टी विरोधी गतिविधियों में पाने के बाद बाहर करने में एक मिनट का भी समय नहीं लिया। 

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