कोयला निर्यातक देशों ऑस्ट्रेलिया और इंडोनेशिया के कार्बन फुटप्रिंट के मुकाबले उनका ‘स्को‍प 3’ उत्सर्जन दोगुने से ज्यादा

एम्बबर ने आज एक नये संवादात्मडक कोल शिपिंग डैशबोर्ड का प्रकाशन किया। इसके साथ-साथ वर्ष 2020 में समुद्री रास्तेए से किये जाने वाले कोयला निर्यात और उपभोक्तााओं द्वारा उस कोयले को जलाये जाने के कारण उत्प न्नत होने वाले ‘स्कोभप 3’ उत्सजर्जन से सम्बान्धित नये डेटा को भी पेश किया गया है। इससे यह जाहिर हुआ है कि वर्ष 2020 में विदेश भेजा गया कोयला, सालाना वैश्विक ऊर्जा सम्बैन्धीस कार्बन डाई ऑक्साजइड के कुल उत्स2र्जन के 10 प्रतिशत हिस्सेल के लिये जिम्मेरदार है। वर्ष 2020 में निर्यात किये गये कोयले में 3.1 अरब टन कार्बन डाई ऑक्सायइड पैदा करने की क्षमता है, जो भारत के सालाना कार्बन उत्संर्जन की कुल मात्रा से ज्याबदा है।

अगर समुद्री रास्ते से भेजे जाने वाले कोयले से उत्पकन्न् ‘स्कोऑप 3’ प्रदूषण को भी जोड़ लिया जाए तो दुनिया के सबसे बड़े कोयला निर्यातक देशों ऑस्ट्रेीलिया और इंडोनेशिया का घरेलू स्तार पर कार्बन उत्सुर्जन दोगुने से ज्या्दा हो जाएगा।

एम्बुर के विश्ले षक निकोला फुलगॅ ने कहा ‘‘जहां कोयला निर्यातक देशों में मुनाफे की बयार बहती है, वहीं पर्यावरणीय प्रभाव समुद्र पार चले जाते हैं। दुनिया के कुल कार्बन डाई ऑक्सािइड उत्स्र्जन में उल्लेपखनीय योगदान करने के बावजूद वे स्कोदप 3 उत्सईर्जन को बड़ी सहूलियत के साथ नजरअंदाज कर देते हैं।’’

मुख्यत निष्कर्ष

● समुद्रपार से निर्यात कर लाये गये कोयले से निकलने वाला प्रदूषण, वर्ष 2020 में ऊर्जा से सम्बयन्धित उत्स्र्जित कार्बन डाई ऑक्सा इड के 10 प्रतिशत हिस्से2 के लिये जिम्मेसदार रहा। वर्ष 2020 में ऊर्जा पैदा करने की प्रक्रिया के दौरान कुल 31.5 बिलियन टन कार्बन डाई ऑक्सा2इड उत्पेन्न‍ हुई। कार्बन डाई ऑक्सारइड के 3.1 बिलियन के स्तकर पर ही समुद्रपारीय कोयले के स्कोपप 3 उत्सरर्जन का स्त्र कुल उत्सपर्जन के 10 फीसद हिस्से के बराबर पहुंच गया।

● इंडोनेशिया, ऑस्ट्रेेलिया, रूस और अमेरिका समुद्र के रास्तेर भेजे जाने वाले कोयले के सबसे बड़े निर्यातक देश हैं। सिर्फ इंडोनेशिया और ऑस्ट्रे लिया ही कुल के 59 प्रतिशत हिस्से के बराबर कोयले का निर्यात करते हैं। इन दोनों ने ही वर्ष 2020 में 370-370 मेगाटन कोयला निर्यात किया। ऐसे देशों ने सिर्फ 2 प्रतिशत कोयला निर्यात किया जो शीर्ष 10 निर्यातकों में शामिल नहीं हैं।

● बड़े निर्यातक देशों में से ऑस्ट्रे लिया और इंडोनेशिया के स्कोरप 3 उत्संर्जन का स्तनर उनके कुल घरेलू उत्स़र्जन के मुकाबले उल्ले खनीय रूप से ज्यारदा है। इन दोनों ही मुल्कों में 0.9-0.9 अरब टन कार्बन डाई ऑक्सासइड का उत्सलर्जन होता है। इस तरह समुद्रपारीय कोयले के कारण उत्पोन्नम होने वाला स्कोबप 3 उत्सउर्जन इन देशों के कुल घरेलू उत्समर्जन के मुकाबले 1.5 और 2 गुना ज्याकदा है।

● चूंकि यूरोप में कोयले की मांग में गिरावट शुरू हो गयी है, इसलिये उसके सबसे बड़े कोयला कारोबारी साझीदार अब एशिया की तरफ देख रहे हैं, मगर नेट-जीरो के प्रति संकल्पसबद्धताएं और बढ़ते घरेलू उत्पाअदन के कारण कोयला एक फंसी हुई सम्प त्ति में तब्दीतल हो सकता है। चूंकि कोविड-19 महामारी ने कोयले की वैश्विक मांग पर बुरा असर डाला है, ऐसे में कोलम्बिया के निर्यात में वर्ष 2019 के मुकाबले 2020 में 30 प्रतिशत गिरावट आयी है। हालांकि कोलम्बिया तथा अन्य देशों से यूरोप में होने वाले कोयले के निर्यात में महामारी से पहले ही गिरावट आने लगी थी। चूंकि और अधिक संख्याो में यूरोपीय देशों की सरकारें कोयले के इस्तेरमाल को चरणबद्ध ढंग से बंद करने की तैयारी कर रही हैं, इसलिये निर्यात में गिरावट का रुख जारी रहने की सम्भाणवना है।

एम्बरर के विश्ले षक निकोला फुलगॅ ने कहा ‘‘पूरी दुनिया में कार्बन डाई ऑक्सा़इड के उत्सगर्जन में उल्लेीखनीय योगदान करने के बावजूद कोयला निर्यात क्षेत्र तथा कोयला निर्यातकों ने जांच और जिम्मे दारी की ज्याकदातर अनदेखी ही की है। कोयले का इस्तेलमाल करने वाले देशों द्वारा नेट जीरो को लेकर की गयी घोषणाओं, कोयला उत्पाहदन की बढ़ती पड़ताल और कार्बन के ऊंचे दामों के बावजूद ऐसे कुछ बाध्यओकारी समझौते हैं जिनके तहत वैश्विक कोयला उद्योग के लिये आपूर्ति के पहलू को बरकरार रखा जाना जरूरी है।’’

इंडोनेशिया और ऑस्ट्रेालिया वैश्विक कोयला बाजार में खासा दबदबा रखते हैं। वर्ष 2020 में इन दोनों देशों ने कुल समुद्रपारीय कोयले के आधे से ज्यावदा हिस्सेर के बराबर कोयला निर्यात किया। एक अनुमान के मुताबिक वर्ष 2020 में पूरी दुनिया में 1.25 बिलियन टन कोयले का समुद्री रास्तेद से निर्यात किया गया। दरअसल, इन दोनों ने ही वर्ष 2020 में 370-370 मेगाटन कोयला निर्यात किया। ऐसे देशों ने सिर्फ 2 प्रतिशत कोयला निर्यात किया जो शीर्ष 10 निर्यातकों में शामिल नहीं हैं।

कोयले का आयात बाजार विभिन्न देशों में अधिक समानतापूर्ण तरीके से बंटा हुआ है। तीन सबसे बड़े आयातकों में चीन, भारत और जापान शामिल हैं जिनकी कुल कोयला आयात में 53 प्रतिशत की हिस्सेयदारी है।

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