गोबर से बदली गांवों की सूरत, छत्तीसगढ़ में मूर्तियां और दीयों का बना बाजार

छत्तीसगढ़ में मूर्तियां और दीयों का बना बाजार

रायपुर। जब लोग गोबर से बने प्राकृतिक खाद से किसानी करते थे। गोबर के कंडे बनाकर इसका उपयोग इंधन के रूप में होता था। गोबर को लक्ष्मी का स्वरूप माना जाता था। कुछ लोग इससे अपनी कमाई भी किया करते थे। समय के साथ आधुनिकीकरण के चलते यह परंपरा विलुप्त होती चली गई। दिसंबर 2018 में प्रदेश में कांग्रेस की सरकार आई। इस सरकार ने किसानों की आर्थिक स्थिति सुधारने के लिए धान के समर्थन मूल्य को बढ़ाया और गोधन न्याय योजना के तहत गोठानों का निर्माण किया और गोबर की खरीदी शुरू की। इस गोबर से अब खाद, दीये और मूर्तियां बनाई जा रही है, जो ग्रामीणों और महिला समूह की आय बढ़ा रही है। इसके साथ सरकार अब इस गोबर से बिजली बनाने के लिए संयंत्र भी लगाने जा रही है। अब गोबर रूपी लक्ष्मी लोगों की झोली भर रही है।प्रदेश भर में गोधन न्याय योजना की शुरूआत 20 जुलाई 2020 से हुई। तब से लेकर अब तक शासन ने रिकार्ड 52 लाख क्विंटल की गोबर खरीदी कर 104.41 करोड़ रुपये का भुगतान किया जा चुका है। बतादें कि राज्य सरकार ने गोठानों के माध्यम से गोबर खरीदी की। इनमें ग्रामीण समेत शहरीय इलाके के लोग शामिल है। लोगों ने सीधे गोठान में जाकर दो रुपये किलो के हिसाब से गोबर बेचा।

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