लखनऊ: निजी स्कूलों की दो टूक, गरीबों को नहीं देंगे एडमिशन, बताई ये वजह
लखनऊ। शिक्षा का अधिकार अधिनियम आरटीई के तहत प्राइवेट स्कूल प्रबंधनों ने गरीब बच्चों के निशुल्क प्रवेश लेने से साफ मना कर दिया है, और अब अनऐडेड स्कूल एसोसिएशन भी प्रबंधकों के पक्ष में खड़ा हो गया है। एसोसिएशन ने पिछले तीन सालों से सरकार ने स्कूल प्रबंधनो को फीस का पैसा नहीं भुगतान किया है, और विभागों में फाइल पर फाइल चल रही है फिर भी हर साल प्रवेश के लिए बच्चों को तो भेज दिया जाता है, लेकिन उनकी फीस प्रतिपूर्ति के लिए मिलने वाला पैसा नहीं दिया जा रहा है।
एसोसिएशन ने कहा कि प्रवेश के लिए पात्र बच्चों के भविष्य को लेकर मुझे भी चिंता है लेकिन इसके लिए सरकार का उदीसन रवैया जिम्मेदार है। अनएडेड स्कूल एसोसिएशन के प्रदेश् अध्यक्ष अनिल अग्रवाल ने बताया कि सभी स्कूल-कॉलेजों के साथ बैठक कर तय किया है कि सत्र 2021-22 में आरटीई के तहत बच्चों के प्रवेश नहीं लिए जाएंगे। दरअसल आरटीई में कक्षा एक से आठ तक बच्चों की निशुल्क पढ़ाई होती है। सरकार की ओर से 450 रुपए प्रति छात्र फीस प्रतिपूर्ति के रूप में कॉलेज को दिया जाता है। लेकिन ये फीस पिछले तीन सालों से नहीं दी गयी है।
निदेशक से लेकर मंत्री तक कराया अवगत
एसोसिएशन के अध्यक्ष अनिल अग्रवाल ने कहा कि अपने निर्णय से हमने बेसिक शिक्षा मंत्री, बेसिक शिक्षा निदेशक को अवगत करा दिया है। अनिल अग्रवाल ने कहा कि वर्ष 2019 से आरटीई के तहत पढ़ने वाले सवा लाख बच्चों की फीस प्रतिपूर्ति शिक्षा विभाग ने नहीं भेजी है और न ही वर्ष 2013 के बाद फीस रिवाइज की है।
अधिकारी देते हैं मान्यता वापस लेने की चेतावनी
एसोसिएशन ने बताया कि हर साल आरटीई के तहत निजी स्कूलों पर प्रवेश लेने का दबाव बिना फीस के बनाया जाता है, अधिकारी मान्यता तक वापस लेने की बात करते हैं। लेकिन इस बार कॉलेजों के प्रतिनिधियों ने तय कर लिया है कि आरटीई के तहत एक भी प्रवेश नहीं लिया जायेगा। वर्तमान समय में आरटीई के प्रदेश भर में सवा लाख बच्चे पढ़ाई कर रहे हैं। इस फैसले से बच्चों पर क्या असर पड़ेगा इस सवाल पर एसोसिएिशन ने कहा कि अगले दो दिनों में हम निर्णल लेंगे कि जो बच्चे पढ़ रहे हैं उनका क्या किया जाए। दो तरफा कानून नहीं चलने देंगे।
आरटीई के तहत आठ साल पहले 450 रुपए प्रतिमाह फीस बच्चे की तय की गयी थी, जबकि स्कूल संचालन का खर्च लगातार बढ़ रहा है। हम सिर्फ सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का पालन भी कर रहे हैं, जबकि सरकार नहीं कर रही है, और समय से फीस चुकायी जाये और आठ सालों में अभी तक जो मंहगाई बढ़ी उसी के आधार पर फीस बढ़ोत्तरी कर दी जाये, तब हम बच्चों का प्रवेश ले सकते हैं। – अनिल अग्रवाल, अध्यक्ष, अनएडेड स्कूल एसोसिएशन