Kolkata: त्वमेव सर्वम को मिला बेस्ट शॉर्ट फिल्म का अवार्ड, बिक्रम सिंह और संजय मिश्रा ने निभाए अहम किरदार
Kolkata: हावड़ा के शरत सदन में 22-23 नवंबर को आयोजित ग्लोबल इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल में शॉर्ट फिल्म “त्वमेव सर्वम” को बेस्ट शॉर्ट फिल्म का अवार्ड मिला। 23 नवंबर की शाम को फिल्म की स्क्रीनिंग के बाद इसे यह सम्मान दिया गया।
यह फिल्म इससे पहले अवध चित्र फिल्म फेस्टिवल, लखनऊ में भी बेस्ट शॉर्ट फिल्म का अवार्ड जीत चुकी है। यह समारोह 17 नवंबर को डॉ. भीमराव अंबेडकर यूनिवर्सिटी में आयोजित हुआ था। मुंबई में सिने ड्रीम फिल्म फेस्टिवल के दौरान दिग्गज अभिनेता संजय मिश्रा को इसी फिल्म के लिए बेस्ट एक्टर का अवार्ड दिया गया।
ओडिशा में इंडियन फिल्ममेकर्स एसोसिएशन द्वारा आयोजित इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल में फिल्म के सह-अभिनेता बिक्रम सिंह को बेस्ट एक्टर का सम्मान मिला। एसोसिएशन के अध्यक्ष दिलीप कुमार एच.आर ने उन्हें प्रमाणपत्र, सम्मान पत्र और गुलदस्ता भेंट किया।
फिल्म की कहानी और किरदार
त्वमेव सर्वम एक 32 मिनट की शॉर्ट फिल्म है, जिसे मनोज तिवारी ने निर्देशित किया है। यह फिल्म मध्य प्रदेश के प्रशासनिक अधिकारी जीवन एस. रजक और उनके पिता मूलचंद रजक के संघर्ष की कहानी है। फिल्म की पटकथा भी जीवन एस. रजक ने ही लिखी है।
इस प्रेरणादायक फिल्म में मूलचंद रजक की भूमिका संजय मिश्रा ने निभाई है, जबकि उनके बेटे जीवन एस. रजक का किरदार बिक्रम सिंह ने निभाया है। बिक्रम सिंह पश्चिम बंगाल के रानीगंज के निवासी हैं और हिंदी के जाने-माने युवा कहानीकार और उपन्यासकार हैं। उन्होंने इस फिल्म में अपने अभिनय से गहरी छाप छोड़ी है।
फिल्म एक पिता के उस संघर्ष को दिखाती है, जिसमें वह अपने बेटे को प्रशासनिक अधिकारी बनाने के लिए अपना सब कुछ दांव पर लगा देता है। बेटा भी अपने पिता के सपने को साकार करने के लिए हर कठिनाई का सामना करता है।
इस फिल्म के निर्माता मध्य प्रदेश के रामपाल सिंह पठारिया हैं। निर्देशक मनोज तिवारी ने 32 मिनट की अवधि में इस संघर्षपूर्ण कहानी को प्रभावशाली ढंग से प्रस्तुत किया है। यह फिल्म खासतौर पर प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने वाले युवाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत है।
शिक्षण संस्थानों में हुई स्क्रीनिंग
त्वमेव सर्वम को कोलकाता के एडमास विश्वविद्यालय में पत्रकारिता और जनसंचार के छात्रों के लिए भी प्रदर्शित किया गया। फिल्म ने छात्रों पर गहरी छाप छोड़ी और उन्हें जीवन में कठिनाइयों से लड़ने की प्रेरणा दी।
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संजय मिश्रा और बिक्रम सिंह ने अपने-अपने किरदारों को जीवंत बना दिया। संजय मिश्रा के अनुभव और बिक्रम सिंह की ऊर्जा ने फिल्म को एक नया आयाम दिया। यह शॉर्ट फिल्म हर वर्ग के दर्शकों के लिए एक प्रेरणादायक कहानी प्रस्तुत करती है।