राष्ट्रपति ने रखी आयुष विश्वविद्यालय की आधारशिला, कहा- लक्ष्य को साधने के लिए शरीर पहला साधन होता है

गोरखपुर। राष्ट्रपति राम नाथ कोविन्द ने आज शमनिवार को उत्तर प्रदेश के गोरखपुर जनपद के भटहट पिपरी स्थित राज्य का पहला ‘महायोगी गुरू गोरक्षनाथ आयुष विश्वविद्यालय’ का शिलान्यास किया। इस अवसर पर देश की प्रथम महिला सविता कोविंद, राज्यपाल आनंदीबेन पटेल, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ एवं आयुष मंत्री धर्म सिंह सैनी भी उपस्थित रहे।

भूमि पूजन कार्यक्रम के बाद उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति कोविंद ने कहा कि वैदिक काल से हमारे यहां आरोग्य को सर्वाधिक महत्व दिया जाता रहा है। किसी भी लक्ष्य को साधने के लिए शरीर पहला साधन होता है। योग के माध्यम से सामाजिक जागरण का अलख जगाने वाले महायोगी गोरखनाथ ने कहा है, ‘यदे सुखम तद स्वर्गम, यदे दुखम तद नर्कम’।

इसके साथ ही राष्ट्रपति ने कहा कि प्राचीन काल से ही शरीर को स्वस्थ रखने की कई पद्धतियां प्रचलित रही हैं, इन्हें सामूहिक रूप में आयुष कहते हैं। दो दशकों से आयुष की लोकप्रियता में काफी बढ़ोतरी हुई है। इससे बड़ी संख्या में युवाओं को रोजगार भी मिल रहा है। राष्ट्रपति कोविंद ने कहा कि हमारे यहां कहा गया है, पहला सुख निरोगी काया। गोस्वामी तुलसीदास ने भी कहा है, बड़े भाग मानुष तन पावा। मानुष तन को निरोगी रखने में आयुष महत्वपूर्ण है। उन्होंने यह कहते हुए प्रसन्नता जताई कि महायोगी गोरखनाथ के नाम पर आयुष विश्वविद्यालय की स्थापना हो रही है और जल्द ही इससे संबद्ध होकर उत्तर प्रदेश में आयुष के सभी संस्थान और बेहतर कार्य कर सकेंगे।

इस अवसर पर राज्यपाल श्रीमती आनंदीबेन पटेल ने कहा कि इस आयुष विश्वविद्यालय की स्थापना से प्रदेश में जहां एक ओर आयुष पद्धतियों में शोध को बढ़ावा मिलेगा तो वहीं दूसरी ओर आयुर्वेद, यूनानी, होम्योपैथी, योग एवं प्राकृतिक चिकित्सा संस्थानों को एक ही छत के नीचे लाना सम्भव हो सकेगा। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि हमारे देश की 70 प्रतिशत से अधिक आबादी आज भी ग्रामीण क्षेत्रों में निवास करती है, उन तक स्वास्थ्य सुविधाएं पहुंचाना एक बहुत बड़ी जिम्मेदारी है। जितनी ज्यादा जनसंख्या स्वस्थ होती है, उतना ही राष्ट्र भी समर्थ होता है। स्वस्थ जनसंख्या की ताकत बहुत उपयोगी होती है जो देश को आगे बढ़ाने और ऊर्जा बढ़ाने में काम आती है।

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