देश के विदेशी मुद्रा भंडार में कभी इटावा के बुनकर उद्योग से था खासा योगदान

इटावा। एक समय सूती वस्त्रो के बड़ी मात्रा में निर्यात से देश के विदेशी मुद्रा भंडार में खासा योगदान करने वाले इटावा जिले का बुनकर उद्योग सरकार की बेरुखी के चलते दम तोड़ता नजर आ रहा है। बेसक बुनकर कारोबार हासिये पर चला गया हो ,लेकिन राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के आर्दशो पर चल बुनकरो ने अपने कारोबार को चालू रखा है। इटावा के बुनकर आज भी सरकार के रहमोकरम के बजाय गांधी जी के आर्दशो चल कर अपना कारोबार कमरतोड़ मेहनत के बलबूते पर करने में जुटे हुए है। कोराना महामारी ने बनुकरी कारोबार के ठप होने से बड़ी तादात में बुनकर आबादी रोजी रोटी को मोहताज हो गई थी।

इटावा बुनकर संध के अध्यक्ष मुईन अंसारी का कहना है कि इटावा में बुनकरी कारोबार आजादी से पहले शुरु हो गया था । उन्होंने बताया कि 1929 में महात्मा गांधी इटावा आये थे और उनका सूत प्रेम देखकर बुनकरों के मन में नया उत्साह पैदा हुआ और आजादी के वक्त तक इटावा में बुनकरी का कारोबार बहुत तेजी से बढ़ा। आजादी के बाद भी यह बढ़त जारी रही लेकिन तब तक जब तक सरकार ने विकास की योजनाओं का श्रीगणेश नहीं कर दिया। सरकार ने जैसे ही बुनकरों के विकास का बीडा अपने हाथ में उठाया वे बदहाल होते चले गये। उन्होंने कहा कि आजादी के पहले का उत्साह सरकारी योजनाओं और अफसरशाही की भेंट चढ़ गया है।

अंसारी ने बताया कि जीएसटी लागू होने के बाद सूत के दाम काफी बढ़े है, जिससे सूत खरीदकर कपड़ा तैयार करने में अधिक लागत आ रही है। जिस कारण उत्पादित माल की कीमतें बढ़ गयीं हैं और बिक्री पर खासा असर पड़ रहा है । इटावा का बुनकर जो अपना माल दूसरे शहरों की मण्डियों में बेचने जाता था अब वहां भी माल की खरीद में कमी आई है । जीएसटी के कारण खरीदारी पर प्रभाव पड़ा है और मांग में भारी कमी के चलते बुनकर कारोबारी व मजदूर भी भुखमरी के कगार पर हैं और उनके परिवारों के सामने भरण पोषण के लाले पड़े हैं । उन्होंने मांग की है कि सरकार बुनकरों की दुर्दशा पर ध्यान दे और जीएसटी में संशोधन कर करों में राहत प्रदान करे अन्यथा बुनकर व्यवसाय पूर्णतः ठप्प हो जायेगा ।

इटावा के बुनकरो का कहना है कि राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का नाम जेहन में आते ही एक अजीब सी ताकत का एहसास होता है। गांधी ने गुलामी के दौर में देशवासियों में एक नई उर्जा का सृजन किया था ,जिसके बूते देश को आजादी मिली,महात्मा गांधी ने देश को जो कुछ दिया ,उसका बखान करने की जरूरत नहीं हैं लेकिन उन्होंने हथकरघा के रूप में एक कारोबार देशवासियों को दिया है। इसी कारोबार का खासा असर उत्तर प्रदेश के इटावा में देखा जाता है। इटावा के बुनकर महात्मा गांधी को प्ररेणास्त्रोत मान कर आज भी अपना कारोबार करने में तन्मयता से जुटे हुये है।

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