पड़ोसियों के खतरों में पाकिस्तान, चीन के साथ तालिबान शामिल : भागवत

नागपुर। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सरसंघचालक डा. मोहन भागवत ने शुक्रवार को कहा कि हमारी अपनी संस्कृति और मूल्यों की रक्षा के अलावा, पड़ोसियों के खतरों को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है, जिसमें पाकिस्तान, चीन और अब तालिबान भी शामिल हैं।
डा. भागवत ने यहां कहा कि देश में सक्रिय विभाजनकारी ताकतों से लड़ने के लिए समाज को जगाने की जरूरत है। उन्होंने कहा,“हमारी अपनी संस्कृति और मूल्यों की रक्षा के अलावा, पड़ोसियों के खतरों को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है, जिसमें पाकिस्तान, चीन और अब तालिबान शामिल हैं।”

वार्षिक विजयादशमी रैली को संबोधित करते हुए श्री भागवत ने कहा कि हिंदू संस्कृति और मूल्य सभी समावेशी हैं, और इन्हें फिर से आत्मसात करना होगा। उन्होंने कहा कि जाति और धर्म के आधार पर विभाजन को खत्म करने के लिए लोगों की अंतरात्मा को छूना होगा। उन्होंने कहा कि इसे व्यक्तिगत रूप से बातचीत करके हासिल किया जा सकता है ताकि अविश्वास की भावनाओं को दूर किया जा सके।

हिंदू संस्कृति के बारे में विस्तार से बात करते हुए डॉ भागवत ने कहा कि आरएसएस के स्वयंसेवकों द्वारा लोगों को एकजुट करने और देशभक्ति की भावना विकसित करने के प्रयास किए जा रहे हैं। इन प्रयासों में जम्मू-कश्मीर भी शामिल है, जहां लोग धारा 370 को हटाए जाने का लाभ उठा रहे हैं।

उन्होंने कहा कि सीमा पार से लोगों को आतंकित करने के प्रयासों को नियंत्रित करना होगा। उन्होंने कहा कि मादक पदार्थों की तस्करी और व्यसन पर प्रभावी नियंत्रण हासिल करना होगा। उन्होंने जोर देकर कहा कि युवा पीढ़ी को राष्ट्र के इतिहास, संस्कृति और मूल्यों को समझने का प्रयास करना चाहिए। उन्होंने कहा कि पहले अपने व्यवहार में सुधार करके इन मूल्यों को विकसित करने में परिवार के सदस्यों की भी प्रमुख भूमिका होती है। उन्होंने जोर देकर कहा कि युवा पीढ़ी का ध्यान भटकाने के लिए नशीली दवाओं जैसे तरीकों का इस्तेमाल करने वाली विभाजनकारी ताकतों को नियंत्रित किया जाना चाहिए।

उन्होंने कहा, “हमारी संस्कृति सभी के कल्याण के बारे में सोचने की है। हालांकि धार्मिक अनुष्ठान करने का तरीका अलग हो सकता है, हिंदू संस्कृति दार्शनिक है और इसका आध्यात्मिक आधार है।” उन्होंने कहा कि संदेश को युवा पीढ़ी को समझना और प्रसारित करना चाहिए।
उन्होंने कहा,“हमारी अपनी संस्कृति और मूल्यों की रक्षा के अलावा, पड़ोसियों के खतरों को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है, जिसमें पाकिस्तान, चीन और अब तालिबान शामिल हैं।”

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