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केंद्रीय एजेंसियों के दफ्तरों में सीसीटीवी लगाने में पीछे है सरकार : सुप्रीम कोर्ट

नई दिल्ली। देश की सर्वोच्च न्यायालय ने सीबीआई, एनआईए, ईडी और अन्य केंद्रीय जांच एजेंसियों के कार्यालयों में सीसीटीवी कैमरे लगाने के मामले में अपने पैर पीछे खींचने और अधिक समय मांगने के लिए केंद्र सरकार को फटकार लगाई। शीर्ष अदालत ने 2 दिसंबर को केंद्र को जांच एजेंसियों राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए), केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई), प्रवर्तन निदेशालय (ईडी), डीआरआई आदि के कार्यालयों में सीसीटीवी कैमरे और रिकॉर्डिग उपकरण स्थापित करने का निर्देश दिया था।

ये एजेंसियां देश की सबसे बड़ी जांच एजेंसियों में शुमार हैं, जिनके पास गिरफ्तारी और पूछताछ करने की शक्ति है। आदेश के अनुपालन के संबंध में मंगलवार को सुनवाई हुई। केंद्र की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने इस मामले में स्थगन की मांग की। इस पर अपनी नाराजगी व्यक्त करते हुए न्यायमूर्ति आर.एफ. नरीमन ने केंद्र के वकील से कहा कि यह एक धारणा स्थापित कर रहा है कि केंद्र इस मामले में अपने पैर खींच रहा है।

मेहता ने जवाब दिया कि स्थगन की मांग की गई है, क्योंकि इस मामले में जटिलता हो सकती है। पीठ उनके जवाब से सहमत नहीं हुई और अदालत ने कहा कि यह फैसला नागरिकों के मौलिक अधिकारों से संबंधित है और अदालत नागरिकों के मौलिक अधिकारों को लेकर चिंतित है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह केंद्र के सुनवाई टालने के बहाने को मंजूर नहीं कर रहा है।

शीर्ष अदालत ने केंद्रीय जांच एजेंसियों में सीसीटीवी लगाने के लिए धन के आवंटन के पहलू पर भी मेहता से सवाल पूछे। मेहता ने खंडपीठ से आग्रह किया कि वह स्थगन की मांग करने वाले नोट की अनदेखी करें और मामले में हलफनामा दाखिल करने के लिए कुछ और समय दें। शीर्ष अदालत ने केंद्र को सीसीटीवी कैमरों के आवंटन और स्थापना के लिए समय-सीमा के लिए वित्तीय परिव्यय का हवाला देते हुए हलफनामा दाखिल करने के लिए तीन सप्ताह का समय दिया।

शीर्ष अदालत ने मामले को होली की छुट्टी के बाद आगे की सुनवाई के लिए निर्धारित किया है। शीर्ष अदालत ने कहा था कि जब भी पुलिस स्टेशनों पर बल प्रयोग की सूचना मिलती है, जिसके परिणामस्वरूप गंभीर चोट या हिरासत में मौतें होती हैं, तो यह आवश्यक है कि व्यक्ति उसके निवारण के लिए स्वतंत्र हो। अदालत ने इस बात पर भी जोर दिया कि ऐसे सीसीटीवी सिस्टम को स्थापित किया जाना चाहिए, जो रात के समय कम रोशनी में (नाइट विजन) भी काम कर सके और इसमें वीडियो फुटेज के साथ-साथ ऑडियो भी दर्ज होनी चाहिए।

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