Prayagraj: हाईकोर्ट का फैसला-स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति सरकारी कर्मचारी का अधिकार : हाईकोर्ट

Prayagraj: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अपने एक फैसले में कहा कि एक सरकारी कर्मचारी को 30 वर्ष की सेवा पूरी करने के बाद सीसीएस रूल्स 1972 के अन्तर्गत स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति लेने का अधिकार प्राप्त है, बशर्ते वह निलम्बित न हुआ हो।

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक फैसले में बस्ती जिले में डाकघर अधीक्षक डॉ. शिव पूजन आर. सिंह के स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति के अधिकार को भारत संघ और अन्य के खिलाफ बरकरार रखा है और कैट के आदेश को सही ठहराया है।

इस मामले में प्राथमिक कानूनी मुद्दा यह था कि क्या डॉ. शिव पूजन आर. सिंह को 30 वर्ष की सेवा पूरी करने के बाद केंद्रीय सिविल सेवा (पेंशन नियम), 1972 के नियम 48 के तहत स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति का अधिकार प्राप्त था, और क्या भारत संघ अथवा केन्द्र सरकार द्वारा उनके अनुरोध को अस्वीकार करना उचित था।

मुख्य न्यायाधीश अरुण भंसाली और न्यायमूर्ति विकास बुधवार द्वारा 16 जुलाई, 2024 को दिए गए फैसले में भारत संघ द्वारा दायर रिट याचिका को खारिज कर दिया गया है। न्यायालय ने केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण के उस आदेश को बरकरार रखा, जिसमें डॉ.सिंह के स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति अनुरोध को अस्वीकार करने के केन्द्र सरकार के 31 मार्च, 2014 और 6 मई, 2014 के आदेशों को रद्द कर दिया गया था।

हाईकोर्ट ने स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति का अधिकार को लेकर इस बात पर जोर दिया कि सीसीएस (पेंशन नियम), 1972 के नियम 48 के तहत, एक सरकारी कर्मचारी को 30 साल की सेवा पूरी करने के बाद स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति का अधिकार है, बशर्ते कि वे निलम्बित न हों। न्यायालय ने कहा, “नियम 48 सेवानिवृत्त होने वाले कर्मचारी को दो शर्तों के अधीन स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति का दावा करने का अधिकार देता है। पहला 30 साल की संतोषजनक ढंग से पूरी करना और दूसरा यह कि कर्मचारी का निलम्बन के अधीन न होना।

हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि नियोक्ता का विवेकाधिकार नियम 48 ए (जो 20 वर्ष की सेवा से सम्बंधित है) के तहत उसे विवेकाधिकार है, लेकिन नियम 48 के तहत सेवानिवृत्ति के प्रभावी होने के लिए नियोक्ता की स्वीकृति जरूरी नहीं है। कोर्ट ने कहा कि, “दोनों प्रावधानों के बीच एक स्पष्ट अंतर है।’’

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हाईकोर्ट ने पाया कि डॉ.सिंह के खिलाफ शुरू की गई अनुशासनात्मक कार्यवाही स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति की उनकी प्रभावी तिथि के बाद की गई थी, जो उनके सेवानिवृत्ति अनुरोध के लिए अप्रासंगिक है। न्यायालय ने कहा, “विभागीय आरोप पत्र स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति की प्रभावी तिथि के बहुत बाद 10 अक्टूबर 2013 को जारी किया गया है जो अप्रासंगिक है।

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