Modi’s role: क्या मोदी की भूमिका ही है खेल जगत का विकास ?

Modi’s role: पेरिस ओलम्पिक में शानदार प्रदर्शन दिखाककर बिना कोई मैडल जीते करोड़ों भारतवासियो का दिल जीतने वाली विनेश फोगाट चुनावी मैदान में उतर गयी हैं। ओलम्पिक से पहले विनेश कुस्ती महा संघ के तत्कालीन अध्यछ बृजभूषण सिंह के खिलाफ सेक्सुअल हैरेसमेंट के आरोप को लेकर धरने पर बैठी थी। कोई विनेश और उनके साथियो पर सवाल खड़े कर रहा था तो कोई उनके सपोर्ट में खड़ा था। फिर कुछ समय बाद पेरिस में ओलंपिक्स ऑर्गनाइज़ होता है और विनेश फाइनल में पहुँच जाती है हलाकि महज 100 ग्राम वजन ज्यादा होने की वजह से उन्हें फाइनल खेलने को नहीं मिलता। फिर क्या भारत के राजनीतीक नुमाइंदे एक्टिव गए, कोई विनेश को 53 किलो ग्राम भर वर्ग छोड़कर 50 किलो ग्राम में लड़ने पर खरी-खोटी सुना रहा था तो कोई उन्हें देश का प्राइड बताकर उनके लिए गोल्ड मैडल की मांग कर रहा था। फिर एक दिन अचानक विनेश ने सबको शॉक करते हुवे कांग्रेस ज्वाइन कर ली। कांग्रेस ने उन्हें जींद की जुलना सीट से प्रत्याशी बना दिया। अब उम्मीदवार बनते ही विनेश ने बीजेपी को लेकर भर भर के बातें सुनाना शुरू कर दी, खैर ये लाजमी भी है क्यों की वो अब खिलाडी से कांग्रेस नेता जो बन गयी है। पर सवाल ये उठता है की अगर भारत में खेलों की दशा इतनी ख़राब है तो पैराओलिंपिक में सात गोल्ड कहाँ से आ गए। अगर PT उषा विनेश क साथ सिर्फ फोटो खींचाने गयी थी तो क्या उनका कद खेल जगत में पहले से इतना बड़ा नहीं था। और अगर PT उषा का कद विनेश से छोटा है तो PT उषा की जगह विनेश फोगाट ओलंपिक्स कमेटी की सदस्य क्यों नहीं है। आज इन्ही सवालो पर खुल कर बात करंगे।

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भारत ने आजादी के बाद बहुत से क्षेत्रों में उपलब्धियां हासिल की हैं और खेल जगत भी इससे अछूता नही है। भारत ने 2014 से लेकर अब तक खेल के क्षेत्र में भी के कई बड़ी उपलब्धियां हासिल की, इसमें एशियन गेम्स, कामनवेल्थ गेम्स, साउथ एशियन, ओलिंपिक ,पराओलिम्पिक और क्रिकेट विश्व कप की मेजबानी करना भी शामिल है। ऐसे में भारतीय खिलाड़ियों ने देश को समय-समय पर गौरवान्वित भी किया। जी हां आपको बता दे कि जब भारत ने 2017 में पुरुष अंडर-17 फुटबाल विश्व कप की मेजबानी की थी। यह पहली बार था जब भारत ने किसी फीफा टूर्नामेंट को होस्ट किया हो। उसके बाद 2019 में भारत की स्टार महिला बैडमिंटन खिलाड़ी पीवी सिंधू ने बासेल में हुए 2019 विश्व चैंपियनशिप में महिला सिंगल्स वर्ग का खिताब जीता था। आपकी जानकारी के लिए बता दें की सिंधू 2016 रियो ओलिंपिक की रजत पदक और 2021 टोक्यो ओलिंपिक में कांस्य पदक विजेता भी रह चुकी हैं। तो वंही 2019 में भारत ने ओलिंपिक में कुल सात पदक जीते थे। इन खेलों में एक स्वर्ण, दो रजत और चार कांस्य पदक शामिल है। 2022 ये पहली बार था जब भारत में शतरंज ओलिंपियाड का आयोजन किया गया। फ्लाइंग सिख के नाम से मशहूर भारत के फर्राटा धावक मिल्खा सिंह देश के एकमात्र एथलीट हैं, जिन्होंने एशियन गेम्स और कामनवेल्थ गेम्स में 400 मीटर में स्वर्ण पदक अपने नाम किया है। भारतीय महिला स्प्रिंटर पीटी उषा देश में बेहतरीन एथलीटों में से एक हैं। उन्होंने एशियन गेम्स में चार स्वर्ण और सात रजत पदक अपने नाम किए हैं। टोक्यो ओलिंपिक में स्वर्ण पदक जीतकर इतिहास रचने वाले भारत के शीर्ष भाला फेंक एथलीट नीरज चोपड़ा ने देश को गौरवान्वित होने का मौका दिया, गोल्डन बॉय के नाम से जाने.. जाने वाले नीरज चोपड़ा ने ओलिंपिक और विश्व चैंपियनशिप में पदक जीतने के साथ ही 2018 एशियन गेम्स और 2018 कामनवेल्थ गेम्स में स्वर्ण पदक अपने नाम किए। हलांकि मोदी सरकार ने खेल जगत को बढावा देने लिए कई स्कीमे भी निकली है जिसमें राष्ट्रीय खेल प्रतिभा प्रतियोगिता योजना (एन एस टी सी ), फिट इंडिड मूवमेंट, खेलो इंडिया विशेष छेत्र खेल योजना, टारगेट ओलंपिक पोडियम स्कीम शामिल हैं। इन योजनाओं के अलावा पीएम मोदी समय-समय पर खिलाड़ियों को उनके प्रदर्शन के अनुरूप प्रोत्साहित भी करते रहे है, चाहे वो 2023 वर्ल्ड कप हारने के बाद खिलाड़ियों के साथ समय बिताना हो या पैराओलंपिक में गोल्ड मैडल लाने के बाद नवदीप के हांथो से कैप पहनना। अक्सर उनके ऐसे वीडियोज सोशल मीडिया पर वायरल होते आये है। वो बात अलग है की इस काम के लिए उनके विरोधी जमकर पीएम को ट्रोल भी करते आये है पर खेल जगत में उनके सहयोग और भूमिका को अनदेखा नहीं किया जा सकता। पिछले १० सालो में कई ऐसे मौके आये जब लोगो ने पीएम को क्रेडिट चोर, पनोती, और न जाने किन-किन नामों से सम्बोधित किया होगा पर पीएम ने ये सब अनदेखा कर आगे बढ़ना मुनासिब समझा। शायद यही वजह है कि जो लोग कभी अपनी शारीरिक कमजोरी की वजह से दर किनार कर दिए जाते वो परोलमोस में भर-भर के मैडल ला रहे है।

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