Gandhinagar- नवसारी के सुलतानपुर गांव के सामूहिक शौचालय में दिव्यांगों के लिए ब्रेल लिपि साइन बोर्ड

Gandhinagar-  नेत्रहीन लोगों की सुविधा के लिए ब्रेल लिपि का आविष्कार करने वाले लुई ब्रेल का जन्मदिन 4 जनवरी विश्व ब्रेल दिवस के रूप में मनाया जाता है। दिव्यांगों की सुविधा और कल्याण के लिए प्रयासरत गुजरात सरकार ने तब आज ही के दिन स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) के अंतर्गत राज्य के नवसारी जिले के छोटे से गांव में दिव्यांगों की सेवा के लिए एक अनोखी पहल शुरू की, जाे देश भर के गांवों के लिए प्रेरणादायी है।

नवसारी के सुलतानपुर गांव में बनाए गए सामूहिक शौचालय में दिव्यांगों के लिए ब्रेल लिपि में साइन बोर्ड लगाए गए हैं, जिनकी मदद से दिव्यांगों के लिए शौचालय का उपयोग करना काफी आसान हो गया है। इसके अलावा, व्हील चेयर से शौचालय जाने के लिए रैम्प बनाया गया है। साथ ही शौचालय के अंदर ग्रैब हैंडल भी लगाए गए हैं। दिव्यांगों के इस शौचालय में दरवाजे की चौड़ाई इतनी है कि व्हील चेयर आसानी से अंदर प्रवेश कर जाती है और अंदर मोड़ने के लिए भी पर्याप्त स्थान की व्यवस्था है।

लोगों के लिए सहायक है सामूहिक शौचालय

इस संबंध में सुलतानपुर गांव के सरपंच शशिकांत भूपेंद्रभाई पटेल कहते हैं कि, “जहां यह शौचालय बना है वहां प्रतिदिन आसपास के गांवों के बहुत से लोग आते हैं, क्योंकि पास में ही ऐतिहासिक जोगेश्वर महादेव मंदिर है और सावन के महीने में यहां मेला भी लगता है। हमारा उद्देश्य दिव्यांगजनों के लिए इस सुविधा के माध्यम से समाज के सभी वर्गों के लोगों तक प्राथमिक सुविधाएं पहुंचाना है। सुलतानपुर गांव में अभी 25 दिव्यांग रहते हैं। शौचालय के बगल में पंचायत की जमीन पर गार्डन की सुविधा भी विकसित की गई है। यहां बच्चों के लिए प्ले एरिया भी बनाया गया है, इसलिए आगंतुक यहां आनंदपूर्वक अपना समय बिता सकते हैं।”

नवसारी में 2 लाख से अधिक व्यक्तिगत शौचालय

नवसारी को खुले में शौच से मुक्त रखने के बड़े विजन के साथ यह काम किया जा रहा है। नवसारी में 2 लाख से अधिक व्यक्तिगत शौचालय और 100 से अधिक सामूहिक शौचालय बनाए गए हैं। इस प्रोजेक्ट को टिकाऊ बनाने के लिए मजबूत इंफ्रास्ट्रक्चर और जागरूकता अभियान पर ध्यान केंद्रित किया गया है। सर्वसमावेशिता स्वच्छ भारत मिशन का विजन है।

किचन गार्डन से सशक्त बनीं सुलतानपुर की महिलाएं

विकास-उन्मुख दृष्टिकोण वाले इस गांव में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का महिला सशक्तिकरण का विजन भी साकार होता देखा जा रहा है। लगभग 2600 की आबादी वाले इस गांव में 107 महिलाएं किचन गार्डन के जरिए आत्मनिर्भरता की दिशा में आगे बढ़ी हैं। ये महिलाएं किचन गार्डन के माध्यम से घर के आंगन में ही प्राकृतिक खेती कर अपने परिवार के लिए पोषक तत्वों से भरपूर सब्जियां उगाती हैं। यही नहीं, इन सब्जियों की बिक्री के जरिए वे अच्छी खासी कमाई भी कर रही हैं। सरपंच शशिकांत पटेल सर्वेक्षण करने के बाद बेस्ट किचन गार्डन की प्रतियोगिता आयोजित करते हैं और अपने खर्च पर महिलाओं को पुरस्कार भी देते हैं।

शशिकांतभाई बताते हैं कि हमने महिलाओं को प्राकृतिक खेती के माध्यम से किचन गार्डन के लिए प्रोत्साहित करने के लिए पिछले दो वर्षों से एक प्रतियोगिता शुरू की है। इसके लिए हम उनसे फॉर्म भरवाकर विस्तृत जानकारी प्राप्त करते हैं। उसके बाद कृषि अधिकारी उनके किचन गार्डन की विभिन्न मापदंडों के आधार पर जांच करते हैं। महिलाओं को इस कार्य के लिए आवश्यक मार्गदर्शन भी दिया जाता है। इस प्रकार हम शीर्ष तीन किचन गार्डन को क्रमशः दस, पांच और तीन हजार रुपये का पुरस्कार प्रदान करते हैं। इस गांव के कई युवा प्राकृतिक कृषि और मत्स्य पालन जैसे व्यवसाय के जरिए आत्मनिर्भर बन रहे हैं। नवसारी कृषि विज्ञान केंद्र के माध्यम से गांव के युवाओं को आवश्यक मार्गदर्शन दिया जाता है। सुलतानपुर गांव वास्तव में स्वच्छ और आत्मनिर्भर भारत के विजन को साकार कर रहा है।

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