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राहुल गांधी ने कहा- अगर वो प्रधानमंत्री होते तो विकास दर की चिंता करने की बजाय ये काम करते

नई दिल्ली। कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष और वायनाड से सांसद राहुल गांधी ने कहा है कि अगर वे प्रधानमंत्री होते तो विकास दर की चिंता करने की बजाय रोजगार बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित करते। राहुल गांधी ने यह बात एक कार्यक्रम के दौरान कहीं। दरसअल राहुल गांधी अमेरिका में हार्वर्ड केनेडी स्कूल के राजदूत निकोलस बर्न्स के साथ शुक्रवार को बातचीत कर रहे थे। इस दौरान उन्होंने एक सवाल का जवाब देते हुए कहा कि अगर वह प्रधानमंत्री होते तो विशुद्ध रूप से “विकास केंद्रित” नीति की तुलना में रोजगार सृजन पर अधिक ध्यान केंद्रित करते।

राहुल ने एक सवाल का उत्तर देते हुए कहा, “मैं सिर्फ विकास-केंद्रित विचार से नौकरी-केंद्रित विचार की ओर बढ़ूंगा। मैं कहूंगा कि हमें विकास की जरूरत है, लेकिन प्रोडक्शन और जॉब क्रिएशन और वैल्यू एडिशन को आगे बढ़ाने के लिए हम सब कुछ करने जा रहे हैं।” राहुल गांधी ने यह जवाब उस वक्त दिया जब उनसे पूछा गया कि अगर वह प्रधानमंत्री के रूप में चुने जाते हैं तो वे किन नीतियों को प्राथमिकता देंगे? उन्होंने आगे सवालों का जबाव देते हुए कहा, “वर्तमान में अगर हमारी वृद्धि को देखें, तो हमारे विकास और जॉब क्रिएशन के बीच संबंध का प्रकार, वैल्यू एडिशन के बीच होना चाहिए, ऐसा नहीं है. मैं ऐसे किसी चीनी नेता से नहीं मिला, जो मुझसे कहता है कि मुझे नौकरियों की समस्या है।

राहुल ने कहा, “अगर मैं इसके ठीक बगल में जॉब नंबर नहीं देखता हूं, तो मुझे 9 फीसदी आर्थिक विकास में कोई दिलचस्पी नहीं है।” राहुल गांधी ने देश में संस्थागत ढांचे पर सत्तापक्ष की तरफ से पूरी तरह कब्जा कर लेने का आरोप लगाते हुए कहा कि निष्पक्ष राजनीतिक मुकाबला सुनिश्चित करने के लिए जिम्मेदार संस्थाएं अपेक्षित सहयोग नहीं दे रही हैं। उन्होंने अमेरिकी के जानेमाने शिक्षण संस्थान ‘हार्वर्ड कैनेडी स्कूल’ के छात्रों के साथ ऑनलाइन संवाद में असम विधानसभा चुनाव के दौरान भाजपा के एक विधायक की कार से ईवीएम मिलने का भी उल्लेख किया। इस कार्यक्रम की मेजबानी अमेरिका के पूर्व राजनयिक निकोलस बर्न्स ने की।

कांग्रेस की चुनावी असफलता और आगे की रणनीति के बारे में पूछे जाने पर राहुल गांधी ने कहा, “हम आज ऐसी अलग स्थिति में हैं जहां वो संस्थाएं हमारी रक्षा नहीं कर पा रही हैं जिन्हें हमारी रक्षा करनी है। जिन संस्थाओं को निष्पक्ष राजनीतिक मुकाबले के लिए सहयोग देना है वो अब ऐसा नहीं कर रही हैं।” उन्होंने आरोप लगाया कि सत्तापक्ष की तरफ से संस्थागत ढांचे पर पूरी तरह कब्जा कर लिया गया है। इसके साथ ही उन्होंने दावा किया कि सत्तापक्ष से लोगों का मोहभंग हो रहा है और यह कांग्रेस के लिए एक अवसर भी है।

कोरोना संकट और लॉकडाउन के असर पर कांग्रेस नेता ने कहा, ‘‘ मैंने लॉकडाउन की शुरुआत में कहा था कि शक्ति का विकेंद्रीकरण किया जाए… लेकिन कुछ महीने बाद केंद्र सरकार की समझ में आया, तब तक नुकसान हो चुका था।” अर्थव्यवस्था को गति देने के उपाय से जुड़े सवाल पर कांग्रेस नेता ने कहा, ‘‘अब सिर्फ एक ही विकल्प है कि लोगों के हाथों में पैसे दिए जाएं। इसके लिए हमारे पास ‘न्याय’ का विचार है।” उन्होंने चीन के बढ़ते वर्चस्व की चुनौती के बारे में पूछे जाने पर कहा कि भारत और अमेरिका जैसे देश लोकतांत्रिक मूल्यों के साथ ही समृद्धि और विनिर्माण क्षेत्र के विकास से बीजिंग की चुनौती से निपट सकते हैं।

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