मुख्यमंत्री तीरथ सिंह ने की महिला सशक्तिकरण एवं बाल विकास विभाग की समीक्षा
देहरादून। उत्तराखंड के सीएम तीरथ सिंह रावत ने वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से महिला सशक्तिकरण एवं बाल विकास विभाग की समीक्षा की। इस दौरान उन्होंने विभागीय अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि केंद्र और राज्य सरकार द्वारा चलाई जा रही विभिन्न योजनाओं का लाभ लाभार्थियों को समय पर मिले। जिन आंगनबाड़ी केंद्रों के अभी भवन नहीं बने हैं, उनके निर्माण कार्यों में तेजी लाई जाए। यह सुनिश्चित किया जाए कि आंगनबाड़ी केंद्रों में पेयजल और विद्युत की सुचारू आपूर्ति हो।
जिन आंगनबाड़ी केंद्रों में पेयजल की समस्या है, उनमें जल जीवन मिशन के तहत पेयजल की व्यवस्था की जाए। महिलाओं एवं बच्चों को जो अतिरिक्त पोषाहार दिया जा रहा है, यह सुनिश्चित किया जाय कि पोषाहार समय पर पहुंच जाए. योजनाओं का जनता को समय पर लाभ मिल सके, इसके लिए आंगनबाड़ी कार्यकर्ता की उपस्थिति की भी नियमित मोनेटरिंग की जाए।
सीएम तीरथ सिंह रावत ने कहा कि भारत सरकार द्वारा आई.सी.डी.एस के अंतर्गत दिए जाने वाले बजट का शत प्रतिशत सदुपयोग हो. यह सुनिश्चित किया जाए कि टेक होम राशन का वितरण समय पर हो। महिलाओं एवं बच्चों में एनीमिया की समस्या को नियंत्रित करने के लिए क्या प्रयास हो सकते हैं, इसके लिए योजना बनाई जाए। यह सुनिश्चित हो कि राज्य सरकार द्वारा महिला सशक्तीकरण एवं बाल विकास से संबधित जो भी योजनाएं चलाई जा रही हैं, उनका लाभ लाभिार्थियों को उनके आवेदन के बाद शीघ्र मिल जाए। विभिन्न योजनाओं के लिए बजट शीघ्र आंवटित किया जायेगा।
बैठक में जानकारी दी गई कि राज्य में 20 हजार 33 आंगनबाड़ी केंद्र संचालित हैं। बाल पोषाहार योजना के तहत कोविड-19 के कारण अभी हॉट कुक्ड मील के स्थान पर टेक होम राशन का वितरण किया जा रहा है। 6 माह से 3 वर्ष के बच्चों, गर्भवती एवं धात्री महिलाओं को प्रत्येक माह की 5 तारीख को टेक होम राशन का वितरण किया जाता है। मुख्यमंत्री बाल पोषण अभियान के तहत 3 से 6 वर्ष के बच्चों को सप्ताह में दो दिन केला व 2 दिन अण्डा दिया जा रहा है।
गर्भवती एवं धात्री महिलाओं को आईसीडीएस के अंतर्गत प्रत्येक माह अतिरिक्त पोषाहार दिया जा रहा है। नंदा-गौरा योजना के तहत जिन परिवारों की वार्षिक आय 72 हजार रुपये से कम है, उनको बालिका के जन्म पर 11 हजार रुपये और 12वीं की परीक्षा उत्तीर्ण करने पर 51 हजार रुपये की धनराशि दी जा रही है। यह लाभ परिवार की प्रथम दो बालिकाओं को दिया जा रहा है।