औषधीय ही नहीं, दैवीय गुणों से भी परिपूर्ण है तुलसी का पौधा, Tulsi Pooja करने से बनते हैं कई काम
खांसी जुकाम से लेकर गंभीर बीमारियों में भी काढ़े के रूप में दी जाने वाली तुलसी अनेक औषधीय गुणों को अपने भीतर समाए हुए है. लेकिन इसके दैवीय गुण भी अनगिनत हैं. तुलसी पूजा का महत्व हमारे शास्त्रों में भी बताया गया है. कहते हैं तुलसी की पूजा कर सीधे भगवान विष्णु को प्रसन्न किया जा सकता है. कार्तिक मास में तो तुलसी पूजा का महत्व कई गुना बढ़ जाता है लेकिन अन्य दिनों में तुलसी के पौधे की पूजा बेहद विशेष मानी गई है.
प्रतिदिन पूजा से मिलते हैं अनेक लाभ
हिंदू धर्म में तुलसी का पौधा अत्यंत पवित्र माना गया है. जिसकी प्रतिदिन पूजा भी अनिवार्य बताई गई है. सुबह सवेरे नहा धोकर तुलसी पूजन सर्वश्रेष्ठ माना गया है. जिसके अनेकों लाभ मिलते हैं. कहते हैं कि तुलसी के हर रोज दर्शन करने से पाप खत्म होते हैं तो वहीं इसके पूजन से मोक्ष मिलता है. मान्यता है कि जिस घर में तुलसी का पौधा हो वहां त्रिदेव यानी ब्रह्मा, विष्णु और महेश विराजते हैं. घर में होने वाली हर पूजा में तुलसी का पत्ता जरूर शामिल करें अन्यथा इससे देवताओं का आशीर्वाद नहीं मिलता.
रामायण में भी मिलता है तुलसी का महत्व
कहते हैं कि लंकापति नरेश रावण के भाई विभीषण भी रोजाना तुलसी की पूजा करते थे. यही कारण था कि उनके महल में भी तुलसी का पौधा था. जब लंका दहन के समय हनुमान जी ने ये पौधा विभीषण के महल में देखा तो उन्होंने सिर्फ इस एक जगह को छोड़कर पूरी लंका में आग लगा दी थी.
कैसे करें पूजा?
सुबह सवेरे नहा धोकर एक लोटा जल तुलसी के पौधे पर अवश्य डालना चाहिए. उससे पहले अक्षत, चंदन, रोली और अगर रोली न हो तो हल्दी को तुलसी के पौधे पर अर्पित करना चाहिए. दिन ढलने के दौरान तुलसी के पौधे के पास घी का दीपक जलाएं. कहते हैं कि ऐसा करने से घर में कलह-कलेश का वातावरण नहीं बनता और सुख समृद्धि आती है.