किसान आंदोलन: पीएम मोदी को लिखे पत्र के बाद किसान संगठन में मतभेद, SKM की 9 सदस्यीय समिति पर उठे सवाल

नई दिल्ली। लंबे वक्त से चल रहे किसान आंदोलन के बीच खबर आ रही है कि किसान संगठनों के बीच मतभेद शुरू हो गया है. संगठनों के बीच उत्पन्न हुए मतभेद का कारण पीएम मोदी को बातचीत दोबारा शुरू करने के लिए लिखे जाने वाला पत्र और योगेंद्र यादव की भूमिका को माना जा रहा है. कुछ किसान संगठन किसानों के मुद्दे पर एक बार फिर से सरकार के साथ बातचीत शुरू करना चाहते हैं. जबकि कुछ नेता सरकार से बिना बात किये आंदोलन को आगे बढ़ाना चाहते. जिसे लेकर खींचतान शुरू हो गई है.

गौरतलब है कि पिछले कई महीनों से संयुक्त किसान मोर्चा के बैनर तले किसानों का आंदोलन चल रहा है. इसी कड़ी में संयुक्त किसान मोर्चा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर सरकार और किसानों के बीच बातचीत को फिर से शुरू करने और उसे एक निर्णायक स्थिति पर ले जाने की मांग की गई है. बताया जा रहा है कि इस मुद्दे पर किसान संगठन एक मत नहीं नजर आ रहे हैं.

सूत्रों की माने तो 40 किसान नेताओं के एक व्हाट्सएप ग्रुप में इस बात को लेकर मतभेद सामने आए हैं. बताया जा रहा है कि संयुक्त किसान मोर्चा के 11 संगठनों के नेताओं ने सभी किसान नेताओं को एक पत्र लिखकर योगेंद्र यादव की भूमिका पर सवाल खड़े किए हैं. किसान नेता बूटा सिंह, निर्भाई सिंह, डॉ. सतनामी सिंह अजनाला, रुलदू सिंह मनसा, बलदेव सिंह लताला, पेम सिंह भंगू, बलदेव सिंह निहालगढ़, कंवलप्रीत सिंह पन्नू, हरदेव सिंह संधू, किरणजीत सिंह सेखो और हरजिंदर सिंह टांडानके हस्ताक्षर वाले पत्र में कहा गया है कि संयुक्त किसान मोर्चा की 9 सदस्यीय समिति की कार्यशैली की समीक्षा की जानी चाहिए.

साथ ही पत्र में कड़ा एतराज जताते हुए कहा गया है कि किस बैठक में प्रधानमंत्री को पत्र लिखे जाने का प्रस्ताव किया गया. संयुक्त किसान मोर्चा के 9 सदस्यीय समिति को पीएम को पत्र लिखने का अधिकार किसने दिया जैसे कई महत्वपूर्ण सवाल खड़े किए गए हैं. जिसके बाद अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति (एआईकेएससीसी) के पंजाब चैप्टर ने डॉ दर्शन पाल और योगेंद्र यादव को अपना नेता मानने से इनकार कर दिया है. फिलहाल किसान नेता कुछ बोलने को तैयार नहीं है. इसे अपना अंदरूनी मामला बता रहे हैं. लेकिन ऐसे पत्र और आपसी मतभेद से स्पष्ट है कि मोर्चा में सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है.

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