शिक्षा मंत्रालय ने परफॉर्मेंस ग्रेडिंग इंडेक्स जारी किया, पंजाब, तमिलनाडु और केरल सहित इन राज्यों को A++ ग्रेड मिला
नई दिल्ली। केन्द्रीय शिक्षा मंत्रालय ने शिक्षा मंत्री डॉ. रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ की मंजूरी के बाद आज यहां पर परफॉर्मेंस ग्रेडिंग इंडेक्स (पीजीआई) 2019-20 का तीसरा संस्करण जारी किया. इसके तहत राज्यों एवं केंद्रशासित प्रदेशों द्वारा स्कूली शिक्षा के क्षेत्र में की गई पहलों के आधार पर ग्रेड दिए जाते हैं.
पीजीआई की शुरुआत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के स्कूली शिक्षा में अभूतवपूर्व बदलाव लाने के विज़न के तहत हुई थी. इसमें 70 मापदंडों के एक सेट के तहत राज्यों एवं केंद्रशासित प्रदेशों को ग्रेड दिए जाते हैं. पहली बार यह इंडेक्स 2019 में जारी किया गया था जिसके लिए 2017-18 में राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों द्वारा की गई पहल को ध्यान में रखा गया था.
पिछले वर्षों की तुलना में अधिकांश राज्यों की ग्रेड में सुधार
पीजीआई के तीसरे संस्करण में पंजाब, चंडीगढ़, तमिलनाडु, अंडमान और निकोबार द्वीप समूह और केरल को ए ++ ग्रेड दिया गया है. इसके अलावा अधिकांश राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों ने पिछले वर्षों की तुलना में अपने ग्रेड में सुधार किया है. अंडमान-निकोबार द्वीप समूह, अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर, पुडुचेरी, पंजाब और तमिलनाडु ने पीजीआई स्कोर में 10% यानी 100 या अधिक अंकों का सुधार किया है. अंडमान-निकोबार द्वीप समूह, लक्षद्वीप और पंजाब ने पहुँच (एक्सेस) के मामले में में 10% (8 अंक) या उससे अधिक का सुधार दिखाया है.
इंफ्रास्ट्रक्चर में ओडिशा ने 20% सुधार दिखाया
13 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों ने इंफ्रास्ट्रक्चर एवं सुविधाओं के मामले में 10% (15 अंक) या उससे अधिक का सुधार दिखाया है.वहीँ अंडमान-निकोबार द्वीप समूह और ओडिशा ने 20% या उससे अधिक सुधार दिखाया है.
अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर और ओडिशा ने इक्विटी (समानता) की दिशा में 10% से अधिक सुधार दिखाया है. इसके अलावा 19 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों ने गवर्नेंस प्रोसेस के मामले में 10% (36 अंक) या उससे अधिक का सुधार दिखाया है. अंडमान-निकोबार द्वीप समूह, आंध्र प्रदेश, अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर, पंजाब, राजस्थान और पश्चिम बंगाल ने तकरीबन 20% (72 अंक या अधिक) सुधार दिखाया है.
इंडेक्स से कमी का पता लगाकर सुधार करने में मिलती है मदद
यह इंडेक्स विभिन्न पहलों के द्वारा राज्यों एवं केंद्रशासित प्रदेशों को शिक्षा क्षेत्र में वांछित परिणाम प्राप्त करने के लिए प्रेरित करता है. सभी राज्य एवं केंद्रशासित प्रदेश शिक्षा के क्षेत्र में कमियों को पता कर के उनके ऊपर काम करने में भी मदद करता है.