चिदंबरम ने केंद्र सरकार पर कसा तंज़, कहा- हर रोज़ पेट्रोल-डीज़ल की कीमतें बढ़ाने वाले पीएम मोदी का शुक्रिया

नई दिल्ली। कोरोना महामारी के बीच देश में बढ़ती महंगाई से जनता परेशान है. खुदरा महंगाई दर मई महीने में उछलकर 6.3 फीसदी पर पहुंच गई. अब इसको लेकर देश के पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने मोदी सरकार पर तंज़ कसते हुए हमला बोला है. उन्होंने अपने ट्वीट के ज़रिए महंगाई के आंकड़े शेयर करते हुए इसके लिए पेट्रोल और डीज़ल की बढ़ती कीमतों को ज़िम्मेदार ठहराया है.

पी चिदंबरम ने ट्वीट में कहा, “थोक मूल्य सूचकांक महंगाई 12.94 फीसद. उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) महंगाई 6.3 फीसदी. क्या आप जानना चाहते हैं क्यों?” इसके बाद उन्होंने लिखा, “ईंधन और बिजली महंगाई 37.61 फीसदी पर है. हर रोज़ पेट्रोल और डीज़ल की कीमतें बढ़ाने वाले पीएम मोदी का शुक्रिया.”

पी चिदंबरम ने आगे कहा कि खाद्य मुद्रास्फीति 6.3 फीसदी हो गई है. आप जानते हैं क्यों? उन्होंने कहा, “दलहन मुद्रास्फीति 9.93 फीसदी पर है और खाद्य तेल मुद्रास्फीति 30 फीसदी पर. सक्षम आर्थिक मैनेजमेंट के लिए ये सबसे अहम हैं.” आपको बता दें कि खाने का सामान मंहगा होने से खुदरा महंगाई दर में मई महीने में बड़ा उछाल देखा गया, जो कि भारतीय रिजर्व बैंक के संतोषजनक स्तर से ऊंची है. सोमवार को जारी सरकारी आंकड़े के अनुसार उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) आधारित मुद्रास्फीति अप्रैल में 4.23 प्रतिशत थी.

राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) के आंकड़े के अनुसार खाद्य वस्तुओं की महंगाई दर मई में 5.01 प्रतिशत रही. यह पिछले महीने के 1.96 प्रतिशत से कहीं अधिक है. सरकार ने आरबीआई को खुदरा मुद्रास्फीति 2 प्रतिशत घट-बढ़ के साथ 4 प्रतिशत पर बरकरार रखने की जिम्मेदारी दी हुई है. आरबीआई मौद्रिक नीति पर विचार करते समय मुख्य रूप से खुदरा मुद्रास्फीति पर गौर करता है. केंद्रीय बैंक ने इस महीने द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा में नीतिगत दर में कोई बदलाव नहीं किया.

रिजर्व बैंक ने 2021-22 में खुदरा महंगाई दर 5.1 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया है. इसके 2021-22 की पहली तिमाही में 5.2 प्रतिशत, दूसरी तिमाही में 5.4 प्रतिशत, तीसरी तिमाही में 4.7 प्रतिशत और चौथी तिमाही में 5.3 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया गया है. कच्चे तेल और विनिर्मित वस्तुओं की थोक कीमतों में बढ़ोतरी के चलते थोक मूल्य सूचकांक पर आधारित मुद्रास्फीति की दर मई में बढ़कर रिकॉर्ड उच्च स्तर 12.94 प्रतिशत पर पहुंच गई.

इस उछाल में तुलनात्मक आधार का भी प्रभाव दिखता है क्योंकि मई 2020 में डब्ल्यूपीआई आधारित मुद्रास्फीति शून्य से 3.37 प्रतिशत नीचे थी. यह लगातार पांचवां महीना है, जब थोकमूल्य सूचकांक (डब्ल्यूपीआई) पर आधारित मुद्रास्फीति बढ़ी है. अप्रैल 2021 में यह दस प्रतिशत की सीमा पार कर 10.49 प्रतिशत हो गई थी.

Related Articles

Back to top button