लखनऊ: राजनाथ सिंह ने स्व. लालजी टंडन को बताया लखनऊ की शान, प्रतिमा का हुआ लोकार्पण

लखनऊ। उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में आज सोमवार को भाजपा के वारिष्ठ नेता और एमपी मध्य प्रदेश, बिहार के राज्यपाल रहे स्वर्गीय लालजी टंडन की प्रतिमा का लोकार्पण हजरतगंज स्थित मल्टी लेवल पार्किंग के सामने किया गया। कार्यक्रम के मुख्यअतिथि के रूप में लखनऊ के सांसद और देश के रक्षामंत्री राजनाथ सिंह के साथ सीएम योगी, डिप्टी सीएम केशव मौर्य, डिप्टी सीएम दिनेश शर्मा, यूपी सरकार के मंत्री आशुतोष टंडन प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह समेत कई अन्य नेताओं ने भी शिरकत की।

इस दौरान लखनऊ की मेयर संयुक्ता भाटिया और कई अन्य गणमान्य भी कार्यक्रम में मौजूद रहे। राजधानी हजरतगंज में अटल चौक पर मल्टी लेवल पार्किंग के सामने स्वर्गीय लालजी टंडन की इस प्रतिमा का अनावरण किया गया। यह प्रतिमा कांस्य धातु की बनी हुई है जिसकी ऊंचाई साढ़ें 12 फीट है। अनावरण के मौके पर देश के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि इस उत्कृष्ट कार्य के लिए नगर निगम को बधाई। मैं इस प्रतिमा को जब देख रहा था, मेरे मन में एक ही लाइन आई है। धोती-कुर्ता पहने एक ज़िंदादिल इंसान, राजनीति है जिसकी पहचान, ऐसे थे लालजी टंडन, लखनऊ के शान।

भाजपा को सत्ता तक पहचाने में निभाई बड़ी भूमिका
अपने संबोधन के दौरान राजनाथ ने कहा कि दो व्यक्ति इस शहर में ऐसे थे, जो लखनऊ को जीते थे। एक थे योगेश प्रवीण और दूसरे लालजी टंडन। यूपी में भाजपा को सत्ता तक पहचाने में उनकी बड़ी भूमिका रही। मैं जब विधायक था, तबसे उनकी राजनीति को बेहद क़रीब से देखा है। कल्याण सिंह हों, कलराज मिश्रा हों या मैं, जब किसी को महत्वपूर्ण सुझाव लेना होता था तो लोग उनके पास जाते थे। उनसे बहुत कुछ सीखने को मिलता था। व्यक्ति का पद और क़द चाहे कितना भी बड़ा क्यों ना हो? उसे ज़मीन से कभी नहीं कटना चाहिए। हर दल के व्यक्ति के साथ उनके सम्बन्ध बहुत अच्छे थे। चाहे किसी भी जाति या मजहब हो, उससे उनके सम्बंध प्रगाढ़ थे। मायावती जी ने भी कहा था टंडन जी मेरे भाई हैं।

अटल जी राम थे तो टंडन जी लखन
राजनाथ ने कहा कि टंडन जी से ये सीखना ज़रूरी है कि राजनीति में मतभेद तो हो सकते है लेकिन मनभेद नहीं होना चाहिए। टंडन जी ने हमेशा विकास की राजनीति की। इसलिए लोग उनको विकास पुरुष कहते थे। लखनऊ में उन्होंने कितना विकास किया वो बताने की ज़रूरत नहीं है। अटल जी और लाल जी टंडन के रिश्ते को हम ऐसे समझ सकते हैं कि अगर अटल जी राम थे तो टंडन जी लखन थे। उनके अंदर अपनापन का भाव था।

अगर कोई आपके बीच नहीं होता है तो उसकी स्मृतियां रहती हैं। उनके बेटे भी वही विभाग देख रहे हैं, जो कभी लालजी टंडन भी देखते थे। कई बार ये मानना मुश्किल हो जाता है कि वो अब हमारे बीच नहीं रहे। लेकिन आज उनकी प्रतिमा देखकर मानना पड़ेगा। आज मैं उनको श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं।

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